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SECL का सालाना उत्पादन 150 मिलियन टन से ज्यादा लेकिन 20 मिलियन टन के लिए हाय तौबा

इन दिनों साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड(SECL) से नॉन पावर सेक्टर के उद्योगों को कोयला नहीं देने की चर्चा है. सोमवार को युवा कांग्रेसियों ने बिलासपुर में सीएमडी कार्यालय का घेराव भी कर दिया. हालांकि इस आंदोलन के प्रायोजित होने की चर्चा रही. इस मुद्दे का दूसरा पहलू यह भी है कि एसईसीएल पिछले 3 सालों से 150 मिलियन टन सालाना कोयले का उत्पादन कर रहा है जबकि नॉन पावर सेक्टर के उद्योगों को पूरे साल में केवल 20 मिलियन टन कोयले की जरूरत होती है.

industries not getting coal from SECL
कोरबा में एसईसीएल का सालाना उत्पादन
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Published : Feb 8, 2022, 5:31 PM IST

Updated : Feb 8, 2022, 9:22 PM IST

कोरबा: नॉन पावर सेक्टर के लगभग 200 उद्योगों को एसईसीएल द्वारा कोयला दिया जाता है. प्रत्येक कंपनी से एसईसीएल का सालाना अनुबंध होता है. जिसके आधार पर ही उन्हें कोयला दिया जाता है. नॉन पावर सेक्टर के उद्योग छत्तीसगढ़ के साथ ही पड़ोसी राज्यों के भी हैं. इन सभी को लगभग 20 से 30 मिलियन टन कोयले की आवश्यकता सालाना पड़ती है. एसईसीएल ने पावर सेक्टर को प्राथमिकता देने की बात कही है. देश में कोयला क्राइसिस की बातें शुरू होने के बाद से नॉन पावर सेक्टर की मुश्किलें बढ़ी हैं. जिनका आरोप है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिल रहा है.

कोरबा में एसईसीएल का सालाना उत्पादन

एसईसीएल का वित्तीय वर्ष का टारगेट 172 मिलियन टन

एसईसीएल पिछले 3 वर्षों से लगातार 150 मिलियन टन से ज्यादा कोयला उत्पादन कर रहा है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में एसईसीएल ने 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन का टारगेट रखा है. हालांकि इसे हासिल कर पाना आसान नहीं है. पावर सेक्टर में लगे पावर प्लांटों को ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को भी एसईसीएल द्वारा कोयला दिया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कोयले के बढ़ते दाम के बाद कोयला क्राइसिस की परिस्थितियां बनीं. जिससे नॉन पावर सेक्टर के कोटे में कुछ कटौती जरूर हुई है. हालांकि एसईसीएल ने हमेशा ही कोयला देने की ही बात कही है.

लक्ष्य से पिछड़ा SECL : CIL की 8 कंपनियों में सबसे खराब रेटिंग, अब 2 महीने में करना होगा 66 MT कोयला उत्पादन

सीएमडी लगातार कर रहे दौरा

टारगेट से पिछड़ने के बाद नवनियुक्त एसईसीएल सीएमडी प्रेमसागर मिश्रा लगातार खदानों का दौरा कर रहे हैं. कोरबा के बाद एक दिन पहले ही सीएमडी ने रायगढ़ क्षेत्र का दौरा किया था. एसईसीएल का पूरा फोकस कोयला उत्पादन बढ़ाने पर है. उत्पादन बढ़ता है तभी नॉन पावर सेक्टर को पर्याप्त कोयला मिल सकेगा. हालांकि नॉन पावर सेक्टर को कुल उत्पादन में से केवल 20 मिलियन टन कोयले की ही आवश्यकता है. जिसे पूरा कर पाना एसईसीएल के लिए कोई बड़ी बात नहीं है. बावजूद इसके लगातार इस तरह की परिस्थितियां बन रही है.

कोरबा: नॉन पावर सेक्टर के लगभग 200 उद्योगों को एसईसीएल द्वारा कोयला दिया जाता है. प्रत्येक कंपनी से एसईसीएल का सालाना अनुबंध होता है. जिसके आधार पर ही उन्हें कोयला दिया जाता है. नॉन पावर सेक्टर के उद्योग छत्तीसगढ़ के साथ ही पड़ोसी राज्यों के भी हैं. इन सभी को लगभग 20 से 30 मिलियन टन कोयले की आवश्यकता सालाना पड़ती है. एसईसीएल ने पावर सेक्टर को प्राथमिकता देने की बात कही है. देश में कोयला क्राइसिस की बातें शुरू होने के बाद से नॉन पावर सेक्टर की मुश्किलें बढ़ी हैं. जिनका आरोप है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिल रहा है.

कोरबा में एसईसीएल का सालाना उत्पादन

एसईसीएल का वित्तीय वर्ष का टारगेट 172 मिलियन टन

एसईसीएल पिछले 3 वर्षों से लगातार 150 मिलियन टन से ज्यादा कोयला उत्पादन कर रहा है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में एसईसीएल ने 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन का टारगेट रखा है. हालांकि इसे हासिल कर पाना आसान नहीं है. पावर सेक्टर में लगे पावर प्लांटों को ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को भी एसईसीएल द्वारा कोयला दिया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कोयले के बढ़ते दाम के बाद कोयला क्राइसिस की परिस्थितियां बनीं. जिससे नॉन पावर सेक्टर के कोटे में कुछ कटौती जरूर हुई है. हालांकि एसईसीएल ने हमेशा ही कोयला देने की ही बात कही है.

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सीएमडी लगातार कर रहे दौरा

टारगेट से पिछड़ने के बाद नवनियुक्त एसईसीएल सीएमडी प्रेमसागर मिश्रा लगातार खदानों का दौरा कर रहे हैं. कोरबा के बाद एक दिन पहले ही सीएमडी ने रायगढ़ क्षेत्र का दौरा किया था. एसईसीएल का पूरा फोकस कोयला उत्पादन बढ़ाने पर है. उत्पादन बढ़ता है तभी नॉन पावर सेक्टर को पर्याप्त कोयला मिल सकेगा. हालांकि नॉन पावर सेक्टर को कुल उत्पादन में से केवल 20 मिलियन टन कोयले की ही आवश्यकता है. जिसे पूरा कर पाना एसईसीएल के लिए कोई बड़ी बात नहीं है. बावजूद इसके लगातार इस तरह की परिस्थितियां बन रही है.

Last Updated : Feb 8, 2022, 9:22 PM IST
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