कोरबा : कुसमुंडा खदान में लगी आग को लेकर ETV भारत लगातार आगाह कर रहा है. पिछले 5 महीने से लगी आग को लेकर अब पर्यावरण विभाग हरकत में आया है. पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कुसमुंडा खदान प्रबंधन को एक डायरेक्शन भी जारी कर दिया है. जिसमें साफ तौर पर जिक्र है कि खदान की आग से भीषण वायु प्रदूषण फैल रहा है. खदान से बहने वाला गंदा पानी सीधे हसदेव नदी में मिल रहा है. जिससे नदी भी प्रदूषित हो रही है. कुसमुंडा खदान को वायु और जल दोनों ही प्रदूषण फैलाने के लिए पर्यावरण विभाग की ओर से कड़े निर्देश जारी किए हैं.
हाल ही में पर्यावरण संरक्षण मंडल की टीम ने कुसमुंडा खदान का दौरा किया था. इस निरीक्षण के दौरान एसएसएल के प्रतिनिधि के रूप में सिद्धार्थ शर्मा नोडल अधिकारी मौजूद थे. तीन बिंदुओं पर किए गए निरीक्षण के दौरान व्यापक पैमाने पर पर्यावरण मापदंडों का उल्लंघन पाया गया.
पढ़ें-SPECIAL: कुसमुंडा खदान में धधक रही आग, प्रबंधन की चुप्पी पर उठे सवाल
जांच के दौरान मिली ये खामियां-
- कोल हैंडलिंग प्लांट के निरीक्षण के दौरान पर्यावरण विभाग की टीम ने पाया कि स्टेक यार्ड में आग लगने के कारण व्यापक मात्रा में वायु प्रदूषण फैल रहा है. इसके अलावा कोल ओवरलोडिंग हॉपर को कवर किए जाने का नियम है. लेकिन इसे कवर नहीं किया गया था. इसके साथ ही साथ कोल स्टेक यार्ड के चारों ओर गारलैंड ड्रेन सह कोल स्लेज सेटलिंग टैंक का निर्माण किया जाना है, जिससे दूषित जल खदान परिसर से बाहर निस्सारित ना हो, लेकिन निरीक्षण के दौरान इसका निर्माण नहीं हुआ है.
- पर्यावरण विभाग की टीम ने वर्कशॉप के निरीक्षण में पाया कि कुसमुंडा खदान के वर्क शॉप नंबर 1 से निकलने वाले दूषित जल के ट्रीटमेंट के लिए प्लांट की व्यवस्था नहीं है. वर्कशॉप नंबर 3 में दूषित जल उपचार संयंत्र पिछले 3 महीने से बंद है. इसके साथ ही वर्कशॉप नंबर 1 और 3 में हाउस कीपिंग की व्यवस्था बेहद खराब पाई गई. जगह-जगह स्लज जमा होना पाया गया.
- विभाग की टीम ने तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण बिंदु पर भी आपत्तिजनक तथ्यों को उजागर किया है. निरीक्षण के दौरान टीम ने पाया कि नियमों को ताक पर रखकर ड्रेन के जरिए दूषित जल सीधे हसदेव नदी में छोड़ा जा रहा है.
कुसमुंडा खदान प्रबंधन में मचा हड़कंप
कुसमुंडा खदान में आग लगने और इससे वायु प्रदूषण फैलने की खबर को ETV भारत ने पहले भी प्रमुखता से दिखाया था. इसके बाद पर्यावरण की टीम ने निरीक्षण किया और कई खामियों को उजागर किया है. कुसमुंडा खदान के एरिया पर्सनल मैनेजर पीके जैन का कहना है कि कुसमुंडा बेहद बड़ी खदान है, पर्यावरण विभाग का निरीक्षण एक रूटीन प्रक्रिया है. जिन खामियों को भी बताया गया है उन्हें हम जल्द ही दुरुस्त कर लेंगे. हालांकि पर्यावरण विभाग की ओर से जारी किए गए डायरेक्शन में कई आपत्तिजनक खामियों का जिक्र है, जिसे दूर नहीं करने पर और भी कड़ी कार्रवाई करने की बात कही गई है.