कोरबा : जिस जिले का प्रभार खुद प्रदेश के शिक्षा मंत्री के पास है, वहां के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को जिले में कितने सरकारी प्रायमरी और मिडिल स्कूल संचालित है, इसकी भी जानकारी नहीं है. सोमवार को जिला पंचायत कि सामान्य सभा की बैठक में सदस्यों ने जब जिले की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के प्रश्न पर DEO से जवाब मांगा, तो वे बंगले झांकने लगे.
बैठक के दौरान सदस्यों को किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं मिला. जिला पंचायत ने इसे गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के लिए शासन को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया है.
जिला पंचायत सभाकक्ष में आयोजित सामान्य सभा की बैठक में शिक्षा, आदिवासी, महिला और बाल विकास विभाग, पीएचई, कृषि, PWD और PMGSY जैसे बड़े विभागों की समीक्षा के लिए एजेंडा रखा गया था.
बता दें कि लगभग 2 घंटे चली बैठक में शिक्षा विभाग केंद्र में रहा. चर्चा पूरी तरह से शिक्षा विभाग के लापरवाही भरे कामकाज पर केंद्रित रही.
DEO ने नहीं दिया जवाब
जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अजय जायसवाल जो शिक्षा स्थाई समिति के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने विभाग के कामकाज पर गहरी नाराजगी जताई है. ग्रामीण क्षेत्रों से शिक्षकों को उपकृत करने के लिए शहर में ट्रांसफर, नियम विरुद्ध दिव्यांग शिक्षकों का स्थानांतरण, शासन के आदेशों का नियम विरुद्ध संशोधन, शिक्षकों का संलग्नीकरण सहित फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाले शिक्षकों पर हुई कार्रवाई का जांच प्रतिवेदन मांगा गया. लेकिन DEO इन सवालों का जवाब नहीं दे सके.
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जिला पंचायत सदस्य ने लगाए गंभीर आरोप
पोड़ी उपरोड़ा क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य राय सिंह मरकाम ने भी शिक्षा विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि 'शिक्षकों के स्थानांतरण और मनमानी के सवाल पर जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे कोई भी जवाब नहीं दे सके. जिला अध्यक्ष देवी सिंह टेकाम ने DEO पर कार्रवाई के लिए प्रस्ताव शासन को भेजने की बात कही.
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विवादों रहा गहरा नाता
DEO सतीश पांडे का विवादों से गहरा नाता रहा है. कुछ महीने पहले प्रायमरी और मिडिल स्कूल में अध्ययनरत छात्रों का स्तर जांचने के लिए राज्य के महत्वाकांक्षी योजना SLA परीक्षा में भी इन्होंने गड़बड़ी की थी. कलेक्टर ने इस मामले की जांच कराई थी. मामले में DEO को दोषी पाया गया था. लेकिन तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी.