कोरबा : कोरबा जिले के लाल दीपक पटेल ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का झंडा ऊंचा किया है. पावर लिफ्टर दीपक पटेल ने अंतराष्ट्रीय एथलीट कॉम्पीटीशन में गोल्ड मेडल लाकर अपने हुनर का लोहा मनवाया है.दीपक पटेल ने इसके लिए जी तोड़ मेहनत की है.दीपक पेशे से कुली का काम करते हैं.लेकिन उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था.इसलिए उन्होंने कुली के काम के साथ-साथ पावर लिफ्टिंग में हाथ आजमाया.पहले तो दीपक ने शौकिया तौर पर इस खेल में हिस्सा लिया.लेकिन बाद में गुरुओं के आदेश पर इस खेल को ही लक्ष्य बना डाला.इसके लिए दीपक दिन में रेलवे स्टेशन पर काम करते.इसके बाद शाम को एक घंटे का रेस्ट लेने के बाद जिम में पसीना बहाते.
3 साल से एक ही रूटीन : दीपक ने खुद को तराशने के लिए तीन साल से एक ही रूटीन फॉलो किया है. जिसका परिणाम उन्हें हाल ही में नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉम्पिटीशन में मिला.जिसमें उन्होंने पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में दुनिया भर के खिलाड़ियों को पछाड़कर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया.
दीपक के मुताबिक 3 साल पहले उनके गुरु रिकार्डो ने उन्हें पावर लिफ्टिंग का खेल खेलने की सलाह दी. तब उन्हें खुद पर विश्वास नहीं था. खेल के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी. इसलिए दीपक ने मना कर दिया था.लेकिन गुरु ने दीपक को उसकी प्रतिभा के बारे में बताया और फिर पावर लिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरु हुई.दीपक ने इसके लिए रेलवे स्टेशन में दिन भर मेहनत करने के बाद शाम को जिम में पसीना बहाने लगे.
दूसरे खेलों से अलग है पावर लिफ्टिंग : दीपक पटेल के मुताबिक पावर लिफ्टिंग का खेल सामान्य वेट लिफ्टिंग से थोड़ा अलग है. इसमें स्क्योट, बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट तीनों को मिलाकर अंक दिए जाते हैं. दीपक ने बीते 3 साल में 12 नेशनल मेडल जीते हैं. कुछ दिन पहले ही वह नेपाल से वापस लौटे हैं. जिन्होंने वहां भूटान, हांगकांग और श्रीलंका जैसे देशों से आए खिलाड़ियों को पछाड़कर इंटरनेशनल गोल्ड मेडल हासिल किया. दीपक ने यहां भारत का प्रतिनिधित्व किया.
काम से मिली पावरलिफ्टिंग में ताकत : दीपक मानते हैं कि कुली का काम मेहनत और थकाने वाला है.लेकिन इसी काम की वजह से उन्हें वजन उठाने में काफी आसानी होती है.कुली के काम के कारण ही वजन ढोने की क्षमता में इजाफा हुआ.इसके बाद दीपक ने कुली के काम को पावर लिफ्टिंग के खेल में ट्रांसफर किया.
''इंटरनेशनल प्रतियोगिता में मैंने अच्छा प्रदर्शन किया. मुझे इंटरनेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल मिला. आगे भी मेरा प्रयास रहेगा कि मैं और बेहतर प्रदर्शन करूं. नेपाल की प्रतियोगिता में मेरे हाथ का ग्रिप छूट गया था. इसलिए मैं अपना रिकॉर्ड ब्रेक नहीं कर सका. वहां मैने 170 का वेट उठाया था. आमतौर पर मैं 200 किलो तक का वजन उठा सकता हूं. प्रयास रहेगा कि आगे की प्रतियोगिता में मैं अपनी पूरी क्षमता से वजन उठाउं.''दीपक पटेल, पावर लिफ्टर
दीपक सिर्फ कुली और पावरलिफ्टर ही नहीं है. उनके कंधों पर परिवार चलाने की जिम्मेदारी भी है. घर पर बूढी मां, पत्नी और तीन बच्चे हैं. उनकी सबसे बड़ी बेटी 16 साल की है. दीपक के लिए हर दिन किसी संघर्ष से कम नहीं होता. क्योंकि घर खर्च के साथ खुद की डाइट पर भी ध्यान देना जरुरी है.इसलिए वो जितनी भी रकम एक दिन में कमाते हैं.उसी में से घर खर्च और डाइट के लिए निकालते हैं. दीपक हर सुबह 6 अंडे और पांच तरह के चने खाता हैं. पावरलिफ्टिंग का खेल खेलने के लिए अच्छी डाइट बहुत जरूरी है. कुछ शुभचिंतक भी सहायता कर देते हैं. लेकिन खिलाड़ियों को सरकार से भी मदद मिलनी चाहिए, ताकि वह अपने सपने को पूरा कर सकें. दीपक का सपना आगे चलकर ओलंपिक में गोल्ड लाने का है.जिस तरह से वो मेहनत कर रहे हैं.उसे देखकर ऐसा लगता है दीपक एक दिन इसमें भी कामयाब होंगे.