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लक्ष्य से पिछड़ा SECL : CIL की 8 कंपनियों में सबसे खराब रेटिंग, अब 2 महीने में करना होगा 66 MT कोयला उत्पादन

कोल इंडिया लिमिटेड की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण कंपनी एसईसीएल (SECL) सालाना कोयला उत्पादन के लक्ष्य से बुरी तरह से पिछड़ गई है. एसईसीएल के लक्ष्य से पिछड़ने का असर देश भर के कोयला (crisis in front of SECL to achieve the annual coal production target) पावर और खासतौर पर नॉन पवार सेक्टर को झेलना पड़ रहा है.

crisis in front of SECL
कुसमुंडा कोयला खदान का प्रदर्शन निराशाजनक
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Published : Feb 5, 2022, 6:33 PM IST

Updated : Feb 9, 2022, 10:09 AM IST

कोरबा: कुछ समय पहले देश में कोयला क्राइसिस की परिस्थितियां बनी थी. कोयला संकट का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले के दाम में बेतहाशा वृद्धि के साथ ही एसईसीएल(crisis in front of SECL to achieve the annual coal production target) द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप कोयले का उत्पादन नहीं हो पाना भी है. दरअसल अकेले कोरबा जिले की कोयला खदानों से देश भर के 20% कोयले का उत्पादन होता है. यहां एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट स्थापित हैं, जिसमें कुसमुंडा कोयला खदान का निराशाजनक प्रदर्शन एसईसीएल के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ है.

फिलहाल 5 लाख टन रोजाना उत्पादन
वर्तमान वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अब केवल 2 माह का समय शेष है. जिसमें एसईसीएल को 172 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करना है. 31 जनवरी 2022 तक की स्थिति में एसईसीएल को 136 मिलन टन कोयले का उत्पादन कर लेना था, लेकिन मात्र 106 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हो सका है. अब शेष 2 महीने में 66 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करना है. यह टारेगट हासिल करना असंभव लगता है.

कुसमुंडा कोयला खदान का प्रदर्शन निराशाजनक

एसईसीएल के सभी 13 एरिया में सिर्फ कोरबा और जोहिला कोयला क्षेत्र में लक्ष्य से ज्यादा उत्पादन हुआ है. अन्य 9 एरिया लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं. दरअसल बीते वर्ष नियमित अंतराल पर बारिश होती रही. इससे खदानों में कोयला उत्खनन का काम जोर नहीं पकड़ पाया. एक समय तो ऐसा भी था जब एसईसीएल के सभी के सभी 13 कोयला क्षेत्रों को मिलाकर महज दो या तीन मिलियन टन कोयला उत्पादन रोजाना हो रहा था. वर्तमान में उन परिस्थितियों में काफी सुधार हुआ है. एसईसीएल का दावा है कि फिलहाल रोजाना 5 लाख टन का उत्पादन हो रहा है. जिससे सालाना लक्ष्य के आसपास पहुंचना संभव हो सकता है.

देश की जरूरत का 20% कोयला उत्पादन करता है छत्तीसगढ़, यहां कमी हुई तो कई राज्य झेलेंगे परेशानी

कुसमुंडा कोयला खदान का प्रदर्शन निराशाजनक
कोरबा में संचालित कुसमुंडा कोयला खदान एसईसीएल की 3 मेगा परियोजनाओं में शामिल है. कुसमुंडा को मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 45 मिलियन टन सालाना उत्पादन का लक्ष्य मिला था. जिसे 31 जनवरी तक 35 मिलियन टन का उत्पादन करना था. लेकिन निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे वर्तमान में कुसमुंडा में केवल 28.84 मिलियन टन कोयले का उत्पादन ही हो सका है. निर्धारित लक्ष्य का लगभग आधा कोयला उत्पादन हुआ है. जिसके कारण एसईसीएल अपने टारगेट से पिछड़ गया है. कोल इंडिया लिमिटेड के लिए भी यह बड़ा सिरदर्द है. हाल फिलहाल में एसईसीएल के नए सीएमडी पीएस मिश्रा ने खुद कुसमुंडा खदान का दौरा किया था. इसके पहले कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी भी कुसमुंडा खदान आए थे.

पुअर रेटिंग से पीआरपी पर भी पड़ेगा असर
एसईसीएल के कर्मचारियों और अधिकारियों को परफॉर्मेंस के आधार पर सुविधाएं मिलती हैं. कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर पीआरपी इंसेंटिव और अन्य सुविधाएं कर्मचारियों को दी जाती है. वर्तमान में भुगतान के लिए भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज(DPI) ने एसईसीएल को खराब रेटिंग दी है. जिसके आधार पर कोल इंडिया लिमिटेड ने भी अपने सभी 8 कंपनियों के लिए स्कोर और रेटिंग जारी कर दी है. 8 कंपनियों में से सिर्फ एसईसीएल को ही पुअर रेटिंग मिली है. एसईसीएल का स्कोर 28.6 है. कोल इंडिया से खराब रेटिंग मिलने के कारण अब कर्मचारियों की सुविधाओं पर भी इसका असर पड़ेगा.

कोरबा में भू-विस्थापित कर रहे आंदोलन, विस्तार में अड़चन
कुसमुंडा खदान के महाप्रबंधक कार्यालय के सामने पिछले 3 महीने से भू-विस्थापित आंदोलन कर रहे हैं. भू-विस्थापितों का आरोप है कि एसईसीएल ने उनकी जमीन को लेकर कोयला खदान तो खोल दिया लेकिन रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा संबंधी समस्याएं अब भी बरकरार हैं. भू-विस्थापित पंडाल लगाकर 3 महीने से किला लड़ाये हुए हैं. आक्रोशित होने पर खदान के भीतर घुस जाते हैं और उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जाता है. यह भी उत्पादन गिरने का एक बड़ा कारण है. एसईसीएल अपनी कोयला खदानों की समस्याओं को दूर नहीं कर सका है जबकि नए खदानों के विस्तार में भी कई तरह की अड़चन हैं.

एसईसीएल ने कोयला मंत्रालय को गेवरा खदान की क्षमता सालाना 40 MTPA से 70 MTPA करने का प्रस्ताव भेजा है. इसके लिए प्रक्रियाओं का पालन करना होता है. भारत सरकार की एनवायरमेंट एसेसमेंट कमेटी ने कई तरह के पर्यावरणीय स्वीकृति देने से मना करते हुए नए सिरे से रिपोर्ट पेश करने को कहा है. यह भी कहा है कि कमेटी के सदस्य खदान का दौरा करेंगे और यह देखेंगे की एक खदान के विस्तार से पर्यावरण को तो कोई नुकसान नहीं पहुंच रहा है.

एसईसीएल का दावा : नॉन पावर सेक्टर को भी मिलेगा कोयला, पावर सेक्टर को प्राथमिकता

कोरबा में कोयले का अकूत भंडार, हसदेव अरण्य में एक दशक से विरोध
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स की छत्तीसगढ़ में 50 कोयला खदान हैं, जहां कोयले का अकूत भंडार है. जीएसआई सर्वे के मुताबिक अभी यहां 11 हजार 755 मीट्रिक टन कोयले का भंडार है. वर्तमान में कोरबा की खदानों से 3 लाख टन कोयले का उत्पादन प्रतिदिन किया जाता है. कोल इंडिया लिमिटेड को अपने कुल कोयले में से करीब 20 फीसदी कोयला अकेले कोरबा से ही मिलता है. यहां से निकला कोयला छत्तीसगढ़ के 16 पावर प्लांट समेत गुजरात और मध्यप्रदेश के पावर प्लांट को भी सप्लाई होता है. एसईसीएल के क्षेत्र में हसदेव अरण्य क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कोयला खदानें भी आती हैं. वहां खनन परियोजनाएं शुरू होने से पहले ही ग्रामीण इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं. लगभग एक दशक से कोरबा जिले के मोरगा और सरगुजा के सीमावर्ती इलाकों की प्रस्तावित कोयला खदानों का आदिवासी ग्रामीण विरोध करते आ रहे हैं.

नॉन पावर सेक्टर की मुश्किल बढ़ी
एसईसीएल के उत्पादन से पिछड़ने का मतलब यह होगा कि देश भर में कोयले की कमी निर्मित होगी. हाल ही में नॉन पावर सेक्टर के उद्योगों के सामने जिसमें स्पंज आयरन, लोहा, अल्युमिनियम और अन्य तरह के उद्योग आते हैं, वहां कोयले की सप्लाई बेहद सीमित पैमाने पर की गई थी. नॉन पावर सेक्टर के उद्योगपतियों का कहना है कि मांग के अनुरूप उन्हें कोयला नहीं दिया जा रहा है. जिससे उनके लघु उद्योग बंद होने के कगार पर हैं. जबकि एसईसीएल ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा है कि पावर सेक्टर हमेशा ही प्राथमिकता में रहेंगे, लेकिन नॉन पावर सेक्टर को कोयला नहीं दिया जाएगा, ऐसी कोई बात नहीं है. उन्हें भी प्राथमिकता के आधार पर कोयला देंगे.

क्षेत्र का नामकुल टारगेट 31 जनवरी तक का टारगेटवर्तमान स्थिति (मिलियन टन में)
बैकुंठपुर2.441.951.70
भटगांव 2.612.132.09
विश्रामपुर1.5 0.96 0.23
चिरमिरी3.26 2.602.05
हसदेव2.83 2.101.92
जमुना कोतमा(j&k)2.822.251.72
जोहिला1.671.331.35
कोरबा7.575.976.37
रायगढ़14.5811.659.42
सोहागपुर 5.133.91 3.38
कुसमुंडा4535.1728.84
दीपका3527.93 24.90
गेवरा 47.638.0838.53
कुल172 136.05106.67

कोल इंडिया की कंपनियों में सबसे पुअर रेटिंग

कंपनी का नामस्कोररेटिंग
SECL28.47Poor
CMPDCL93.89Excellent
ECL58.29Good
BCCL67.06Good
CCL44.58Fare
NCL87.53Very good
WCL55.53Good
MCL55.78Good

कोरबा: कुछ समय पहले देश में कोयला क्राइसिस की परिस्थितियां बनी थी. कोयला संकट का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले के दाम में बेतहाशा वृद्धि के साथ ही एसईसीएल(crisis in front of SECL to achieve the annual coal production target) द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप कोयले का उत्पादन नहीं हो पाना भी है. दरअसल अकेले कोरबा जिले की कोयला खदानों से देश भर के 20% कोयले का उत्पादन होता है. यहां एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट स्थापित हैं, जिसमें कुसमुंडा कोयला खदान का निराशाजनक प्रदर्शन एसईसीएल के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ है.

फिलहाल 5 लाख टन रोजाना उत्पादन
वर्तमान वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अब केवल 2 माह का समय शेष है. जिसमें एसईसीएल को 172 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करना है. 31 जनवरी 2022 तक की स्थिति में एसईसीएल को 136 मिलन टन कोयले का उत्पादन कर लेना था, लेकिन मात्र 106 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हो सका है. अब शेष 2 महीने में 66 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करना है. यह टारेगट हासिल करना असंभव लगता है.

कुसमुंडा कोयला खदान का प्रदर्शन निराशाजनक

एसईसीएल के सभी 13 एरिया में सिर्फ कोरबा और जोहिला कोयला क्षेत्र में लक्ष्य से ज्यादा उत्पादन हुआ है. अन्य 9 एरिया लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं. दरअसल बीते वर्ष नियमित अंतराल पर बारिश होती रही. इससे खदानों में कोयला उत्खनन का काम जोर नहीं पकड़ पाया. एक समय तो ऐसा भी था जब एसईसीएल के सभी के सभी 13 कोयला क्षेत्रों को मिलाकर महज दो या तीन मिलियन टन कोयला उत्पादन रोजाना हो रहा था. वर्तमान में उन परिस्थितियों में काफी सुधार हुआ है. एसईसीएल का दावा है कि फिलहाल रोजाना 5 लाख टन का उत्पादन हो रहा है. जिससे सालाना लक्ष्य के आसपास पहुंचना संभव हो सकता है.

देश की जरूरत का 20% कोयला उत्पादन करता है छत्तीसगढ़, यहां कमी हुई तो कई राज्य झेलेंगे परेशानी

कुसमुंडा कोयला खदान का प्रदर्शन निराशाजनक
कोरबा में संचालित कुसमुंडा कोयला खदान एसईसीएल की 3 मेगा परियोजनाओं में शामिल है. कुसमुंडा को मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 45 मिलियन टन सालाना उत्पादन का लक्ष्य मिला था. जिसे 31 जनवरी तक 35 मिलियन टन का उत्पादन करना था. लेकिन निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे वर्तमान में कुसमुंडा में केवल 28.84 मिलियन टन कोयले का उत्पादन ही हो सका है. निर्धारित लक्ष्य का लगभग आधा कोयला उत्पादन हुआ है. जिसके कारण एसईसीएल अपने टारगेट से पिछड़ गया है. कोल इंडिया लिमिटेड के लिए भी यह बड़ा सिरदर्द है. हाल फिलहाल में एसईसीएल के नए सीएमडी पीएस मिश्रा ने खुद कुसमुंडा खदान का दौरा किया था. इसके पहले कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी भी कुसमुंडा खदान आए थे.

पुअर रेटिंग से पीआरपी पर भी पड़ेगा असर
एसईसीएल के कर्मचारियों और अधिकारियों को परफॉर्मेंस के आधार पर सुविधाएं मिलती हैं. कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर पीआरपी इंसेंटिव और अन्य सुविधाएं कर्मचारियों को दी जाती है. वर्तमान में भुगतान के लिए भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज(DPI) ने एसईसीएल को खराब रेटिंग दी है. जिसके आधार पर कोल इंडिया लिमिटेड ने भी अपने सभी 8 कंपनियों के लिए स्कोर और रेटिंग जारी कर दी है. 8 कंपनियों में से सिर्फ एसईसीएल को ही पुअर रेटिंग मिली है. एसईसीएल का स्कोर 28.6 है. कोल इंडिया से खराब रेटिंग मिलने के कारण अब कर्मचारियों की सुविधाओं पर भी इसका असर पड़ेगा.

कोरबा में भू-विस्थापित कर रहे आंदोलन, विस्तार में अड़चन
कुसमुंडा खदान के महाप्रबंधक कार्यालय के सामने पिछले 3 महीने से भू-विस्थापित आंदोलन कर रहे हैं. भू-विस्थापितों का आरोप है कि एसईसीएल ने उनकी जमीन को लेकर कोयला खदान तो खोल दिया लेकिन रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा संबंधी समस्याएं अब भी बरकरार हैं. भू-विस्थापित पंडाल लगाकर 3 महीने से किला लड़ाये हुए हैं. आक्रोशित होने पर खदान के भीतर घुस जाते हैं और उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जाता है. यह भी उत्पादन गिरने का एक बड़ा कारण है. एसईसीएल अपनी कोयला खदानों की समस्याओं को दूर नहीं कर सका है जबकि नए खदानों के विस्तार में भी कई तरह की अड़चन हैं.

एसईसीएल ने कोयला मंत्रालय को गेवरा खदान की क्षमता सालाना 40 MTPA से 70 MTPA करने का प्रस्ताव भेजा है. इसके लिए प्रक्रियाओं का पालन करना होता है. भारत सरकार की एनवायरमेंट एसेसमेंट कमेटी ने कई तरह के पर्यावरणीय स्वीकृति देने से मना करते हुए नए सिरे से रिपोर्ट पेश करने को कहा है. यह भी कहा है कि कमेटी के सदस्य खदान का दौरा करेंगे और यह देखेंगे की एक खदान के विस्तार से पर्यावरण को तो कोई नुकसान नहीं पहुंच रहा है.

एसईसीएल का दावा : नॉन पावर सेक्टर को भी मिलेगा कोयला, पावर सेक्टर को प्राथमिकता

कोरबा में कोयले का अकूत भंडार, हसदेव अरण्य में एक दशक से विरोध
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स की छत्तीसगढ़ में 50 कोयला खदान हैं, जहां कोयले का अकूत भंडार है. जीएसआई सर्वे के मुताबिक अभी यहां 11 हजार 755 मीट्रिक टन कोयले का भंडार है. वर्तमान में कोरबा की खदानों से 3 लाख टन कोयले का उत्पादन प्रतिदिन किया जाता है. कोल इंडिया लिमिटेड को अपने कुल कोयले में से करीब 20 फीसदी कोयला अकेले कोरबा से ही मिलता है. यहां से निकला कोयला छत्तीसगढ़ के 16 पावर प्लांट समेत गुजरात और मध्यप्रदेश के पावर प्लांट को भी सप्लाई होता है. एसईसीएल के क्षेत्र में हसदेव अरण्य क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कोयला खदानें भी आती हैं. वहां खनन परियोजनाएं शुरू होने से पहले ही ग्रामीण इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं. लगभग एक दशक से कोरबा जिले के मोरगा और सरगुजा के सीमावर्ती इलाकों की प्रस्तावित कोयला खदानों का आदिवासी ग्रामीण विरोध करते आ रहे हैं.

नॉन पावर सेक्टर की मुश्किल बढ़ी
एसईसीएल के उत्पादन से पिछड़ने का मतलब यह होगा कि देश भर में कोयले की कमी निर्मित होगी. हाल ही में नॉन पावर सेक्टर के उद्योगों के सामने जिसमें स्पंज आयरन, लोहा, अल्युमिनियम और अन्य तरह के उद्योग आते हैं, वहां कोयले की सप्लाई बेहद सीमित पैमाने पर की गई थी. नॉन पावर सेक्टर के उद्योगपतियों का कहना है कि मांग के अनुरूप उन्हें कोयला नहीं दिया जा रहा है. जिससे उनके लघु उद्योग बंद होने के कगार पर हैं. जबकि एसईसीएल ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा है कि पावर सेक्टर हमेशा ही प्राथमिकता में रहेंगे, लेकिन नॉन पावर सेक्टर को कोयला नहीं दिया जाएगा, ऐसी कोई बात नहीं है. उन्हें भी प्राथमिकता के आधार पर कोयला देंगे.

क्षेत्र का नामकुल टारगेट 31 जनवरी तक का टारगेटवर्तमान स्थिति (मिलियन टन में)
बैकुंठपुर2.441.951.70
भटगांव 2.612.132.09
विश्रामपुर1.5 0.96 0.23
चिरमिरी3.26 2.602.05
हसदेव2.83 2.101.92
जमुना कोतमा(j&k)2.822.251.72
जोहिला1.671.331.35
कोरबा7.575.976.37
रायगढ़14.5811.659.42
सोहागपुर 5.133.91 3.38
कुसमुंडा4535.1728.84
दीपका3527.93 24.90
गेवरा 47.638.0838.53
कुल172 136.05106.67

कोल इंडिया की कंपनियों में सबसे पुअर रेटिंग

कंपनी का नामस्कोररेटिंग
SECL28.47Poor
CMPDCL93.89Excellent
ECL58.29Good
BCCL67.06Good
CCL44.58Fare
NCL87.53Very good
WCL55.53Good
MCL55.78Good
Last Updated : Feb 9, 2022, 10:09 AM IST
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