कोरबा: गेवरा रोड स्टेशन से बंद पड़ी सभी ट्रेनों को चालू करने के लिए आज माक्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी गेवरा-कुसमुंडा रेल मार्ग पर चक्काजाम आंदोलन करेगी. सीटू, छत्तीसगढ़ किसान सभा, जनवादी महिला समिति और रेल संघर्ष समिति के साथ ही व्यापारियों और ऑटो चालकों के संगठनों ने भी आंदोलन में भाग लेने की घोषणा की है.
आंदोलन को टालने के लिए माकपा नेताओं के साथ रेल प्रशासन ने बैठक कर उनसे आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया है. इस बैठक में शामिल कोरबा के क्षेत्रीय रेल प्रबंधक मनीष अग्रवाल का कहना था कि गेवरा से ट्रेन इसलिए नहीं चलाई जा सकती, क्योंकि राज्य शासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा है. उनका कहना था कि राज्य सरकार की अनुमति मिलते ही गेवरा से ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा. इसलिए आंदोलनकारियों को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए.
दस्तावेजों की मांग
माकपा नेताओं ने रेल प्रशासन के इस तर्क को ठुकरा दिया. उनका कहना था कि रेल विभाग केंद्र सरकार के अधीन काम करता है. इसलिए रेल परिचालन संबंधी समस्याओं के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराना शरारतपूर्ण है. माकपा नेताओं ने इस संबंध में दस्तावेज दिखाने की मांग भी की. जिसपर रेल प्रशासन निरूत्तर रहा.
राज्य सरकार भी स्पष्ट करे अपना रुख: प्रशांत
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि रेल प्रशासन आम जनता को भ्रमित करने का काम कर रहा है. इस मुद्दे पर राज्य सरकार को बेवजह बदनाम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और यहां के राजस्व मंत्री को भी जनता की इस मांग और रेल प्रबंधक के कथन पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
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सुविधा देने में फिसड्डी हुआ रेल प्रबंधन: मनोहर
माकपा नेता वीएम मनोहर का कहना है कि गेवरा से सबसे ज्यादा कमाई करने के बावजूद इस क्षेत्र की आम जनता को रेल सुविधाएं देने के नाम पर प्रबंधन फिसड्डी साबित हुआ है. आम जनता ने संघर्षकर जिन ट्रेनों को यहां से शुरू भी करवाया था, कोरोना संकट की आड़ में ये सब ट्रेनें मात्र इसलिए बंद कर दी गई, कि कोल परिवहन के लिए रास्ता साफ रहे.
यात्री ट्रेन के संचालन की हो रही मांग
गेवरा स्टेशन से यात्री ट्रेनों के संचालन की मांग को लेकर माकपा चरणबद्ध आंदोलन कर रही है. गेवरा रोड स्टेशन से रेलवे सबसे ज्यादा राजस्व वसूल करता है. यहां एसईसीएल कोयला खदान है, जो एशिया की सबसे बड़ी खदान है. हर साल 42 मिलियन टन कोयले की ढुलाई रेल से ही होती है. कोल परिवहन के इस व्यस्ततम मार्ग पर यदि 2 घंटे भी चक्काजाम हुआ, तो रेलवे को राजस्व की क्षति के साथ ही एसईसीएल के 5 हजार टन कोयले की ढुलाई भी बाधित होगी. जिससे 3 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अंदेशा है.