कोरबा: कोरोना संक्रमण (corona virus) की चेन तोड़ने की मंशा से कोरबा जिले में लगाया गया लॉकडाउन (lockdown) फिलहाल सफल होता नहीं दिख रहा है. लॉकडाउन के बावजूद कोरोना संक्रमितों (Corona infected) की तादाद घटने के बजाय लगातार बढ़ रही है. स्थानीय प्रशासन के साथ ही साथ सरकार के लिए चिंता बढ़ गई है.
लॉकडाउन संक्रमण को रोकने में कितना कारगर है ? अब इस पर भी बहस होने लगी है.कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत में रायपुर और दुर्ग संभाग कोरोना वायरस से ज्यादा प्रभावित थे. जबकि इसके 20- 21 दिन बाद अब संक्रमण बिलासपुर संभाग की ओर शिफ्ट हुआ है. कोरबा, रायगढ़ जैसे औद्योगिक जिलों के साथ ही जांजगीर जैसे ग्रामीण बाहुल्य वाले जिलों में भी अब ज्यादा मरीज मिल रहे हैं.
पिछले 1 वर्ष का रिकॉर्ड केवल अप्रैल ने तोड़ दिया
जिले में कोरोना की शुरुआत में संक्रमितों की संख्या वर्तमान की तुलना में काफी कम थी. वर्ष 2020 में कोरोना की शुरुआत से लेकर 30 मार्च 2021 तक के समय को संक्रमण की पहली लहर कहा जा सकता है. तब जिले में कुल संक्रमितों की संख्या 17 हजार 720 थी. जिसमें से 17 हजार 40 लोग स्वस्थ होकर लौटे थे. जबकि एक्टिव केस सिर्फ 476 थे. जोकि धीरे-धीरे कम होते चले गए. एक साल में 204 लोगों की मौत हुई थी.
1 अप्रैल 2021 से लेकर अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 20 हजार 238 है. जिसमें से 10 हजार 11 लोग स्वस्थ हुए हैं. जबकि एक्टिव संक्रमित केस की संख्या फिलहाल 10 हजार 227 है. केवल 1 महीने में ही 291 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि मौत के आंकड़े सरकारी हैं, जिसे लेकर काफी विवाद है. सरकार पर मौत के आंकड़े छिपाने का भी आरोप है. अकेले कोरबा जिले में ही इससे कहीं अधिक मौत होने का अनुमान है.
गली-मोहल्लों से निकलने लगे संक्रमित
संक्रमण रोकने के लिए एसपी, कलेक्टर खुद दौरा कर रहे हैं. उप नगरीय क्षेत्रों का भी दौरा किया जा रहा है. मेडिकल स्टोर से लेकर पेट्रोल पंप को भी सील किया गया. लेकिन यह मुस्तैदी केवल शहर के मुख्य चौक-चौराहों तक ही सीमित है. जबकि अब गली-मोहल्ले और ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी तादाद में मरीज मिल रहे हैं. लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने में प्रशासन नाकाम हो रहा है. तो वही लोग भी लॉकडाउन की पाबंदियों को तोड़कर बेवजह सड़कों पर घूमने से बाज नहीं आ रहे हैं.
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थोक मंडी में उमड़ती है अनियंत्रित भीड़
शहर के हृदय स्थल बुधवारी में शहर की थोक सब्जी मंडी है. लॉकडाउन में सभी सब्जी की दुकानें राशन दुकानें बंद हैं. हालांकि डोर-टू-डोर सब्जी पहुंचाने की अनुमति जरूर मिली है. अब शहर के हृदय स्थल बुधवारी बाजार में रोज सुबह अनियंत्रित भीड़ एकत्र हो रही है जो कि खुले तौर पर संक्रमण को आमंत्रण दे रहे हैं.
अधिकारी भी सुविधानुसार कर रहे दौरा
अफसर भी अपनी सुविधा अनुसार ऑफिस समय में फील्ड पर निकलते हैं. जबकि संक्रमण की चेन सुबह 5 बजे ही सक्रिय हो जाती है. पुलिस और प्रशासन के जागने से पहले ही समाप्त भी हो जाती है. यहां से सब्जी लेकर फेरी वाले लोगों के घरों तक पहुंच रहे हैं जोकि संक्रमण फैलने का एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है. प्रशासन इस तरह के भीड़ पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा है. जोकि लगातार संक्रमण बढ़ने का एक कारण भी हो सकता है. पिछले कुछ दिनों से बुधवारी बाजार की थोक मंडी में तड़के 5 बजे के आस पास लगातार अनियंत्रित भीड़ का नजारा देखा जा सकता है. इस दौरान यहां न तो सोशल डिस्टेंस का ही पालन होता है. ना ही कोई सैनिटाइजर का उपयोग करता है.
लॉकडाउन से कम मिलते थे केस
कोरबा जिले में 12 अप्रैल को दोपहर 3 बजे के बाद से लॉकडाउन प्रभावशील है. इसके ठीक पहले तक जिले में 1 दिन में अधिकतम पाए जाने वाले संक्रमितों की संख्या 200 से 300 के बीच हुआ करती थी, लेकिन लॉकडाउन के लगते ही यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. वर्तमान में 1 दिन में अधिकतम 12 सौ मरीज मिल चुके हैं. जबकि 26 लोगों की मौत 24 घंटे के भीतर हो जाने के रिकॉर्ड भी दर्ज हुए हैं.
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लॉकडाउन बढ़ाए जाने पर टिकी निगाहें
लॉकडाउन के लिए वर्तमान आदेश के अनुसार 5 मई तक पाबंदियां प्रभावशील रहेंगी. लॉकडाउन में लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यह सवाल उठना लाजमी है कि लॉकडाउन संक्रमण रोकने के लिए कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहा है. ऐसे में लॉकडाउन बढ़ाए जाने को लेकर प्रशासन और सरकार किस तरह का निर्णय ले सकता है. इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.
औद्योगिक उपक्रम लगातार करा रहे काम
कोरबा के साथ ही रायगढ़ भी प्रदेश के औद्योगिक जिलों में शुमार है. जहां राज्यभर को रोशन करने के लिए बिजली का उत्पादन होता है. अन्य राज्यों को भी यहां से बिजली सप्लाई की जाती है. बिजली के अलावा देश के सबसे बड़े कोयला खदान कोरबा में मौजूद हैं. रायगढ़ में स्टील प्लांट तो कोरबा में अल्मुनियम उत्पादन का कार्य सतत चलता रहता है, जो कि अनिवार्य सेवाओं शामिल है. स्थानीय प्रशासन के निर्देश हैं कि इन कारखानों में न्यूनतम आवश्यकता के आधार पर मजदूरों और कामगारों को बुलाया जाए. लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. कोयला खदान हों या फिर अन्य औद्योगिक उपक्रम सभी स्थानों पर लगातार जरूरत अधिक मजदूरआवागमन कर रहे हैं. यह भी बढ़ते संक्रमण के लिए एक कारण हो सकता है.
पिछले 10 दिनों में संक्रमण के आंकड़े-
तारीख | कुल संक्रमित | मौत |
23 अप्रैल | 842 | 15 |
24 अप्रैल | 973 | 16 |
25 अप्रैल | 787 | 26 |
26 अप्रैल | 1033 | 26 |
27 अप्रैल | 1020 | 10 |
28 अप्रैल | 1102 | 23 |
29 अप्रैल | 1042 | 15 |
30 अप्रैल | 1236 | 21 |
1 मई | 1228 | 15 |
2 मई | 900 | 13 |