कोरबा: हाईकोर्ट के निर्देश पर कोरबा में शिक्षकों के प्रमोशन के लिए शिक्षा विभाग ने काउंसलिंग की. मंगलवार को शहर के विद्युत स्कूल में शिक्षकों की काउंसलिंग की गई. ये काउंसलिंग 3 दिनों तक चलने की बात कही गई है. हालांकि शिक्षक और शिक्षा विभाग के बीच हो रहे विवाद को लेकर काउंसलिंग के समय को और बढ़ाने की बात कही गई है.
इसलिए हो रही काउंसलिंग: दरअसल, पहले जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में बिना काउंसलिंग के शिक्षकों को स्कूलों में पदस्थ कर दिया गया था. जिसपर काफी विवाद भी हुआ. विवाद के बाद इस सूचि को कलेक्टर ने निरस्त कर दिया था. नाराज शिक्षक हाईकोर्ट चले गए. हाईकोर्ट ने काउंसलिंग करने के बाद ही शिक्षकों को प्रमोशन देकर स्कूलों में पदस्थापित करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट के निर्देश पर मंगलवार से काउंसलिंग शुरू हुई है.
पहले दिन ही शुरू हुआ विवाद: काउंसलिंग के पहले दिन ही विवाद हो गया. शिक्षक संघ के साथ शिक्षकों ने विभाग पर नियम विरुद्ध काम करने का आरोप लगाया है. जबकि शिक्षा विभाग ने नियमानुसार काम करने की बात कही है. विवाद होने के कारण शिक्षा विभाग ने काउंसलिंग के डेट आगे बढ़ाए जाने की बात भी कही है.
काउंसलिंग में 135 को नहीं बुलाया गया: जिले में शिक्षकों को प्रमोशन देने के लिए 1145 प्रधान पाठकों के पद खाली हैं. पहले इन सभी पदों पर शिक्षकों को सीधे पदस्थापित कर दिया गया था. कलेक्टर से सूची निरस्त होने के बाद लगभग सभी शिक्षक हाईकोर्ट की शरण में चले गए थे. इसमें से 135 शिक्षक ऐसे भी हैं, जिनकी याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने अंतिम फैसला नहीं दिया है. इसलिए इन 135 शिक्षकों को छोड़कर शेष सभी शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने मंगलवार से काउंसलिंग में बुलाया है. मंगलवार को पहले दिन 354 पदों के लिए काउंसलिंग का आयोजन किया गया था. विवाद और तर्क वितर्क के कारण देर शाम तक केवल 150 अभ्यर्थियों की ही काउंसलिंग हो पायी.
शिक्षकों का आरोप : काउंसलिंग को पहुंचे दिव्यांग शिक्षक रमेश कुमार भार्गव ने बताया "मैं 50 फीसद दिव्यांग हूं. बावजूद इसके दिव्यांग की कैटेगरी में शामिल कर मुझे काउंसलिंग में भाग लेने नहीं दिया गया है. मुझे सामान्य केटेगरी से काउंसलिंग के लिए बुलाया गया है. जबकि पहले मुझे जिस स्कूल में प्रधान पाठक के पद पर रखा गया था, वहां पद खाली थी. इससे मुझे दिक्कत होगी. कहा जा रहा है कि मेरा दिव्यांगता प्रमाण पत्र जनवरी 2023 में ही बना है. इसलिए फिलहाल मैं दिव्यांग कोटा से काउंसलिंग में हिस्सा नहीं ले सकता."
एक अन्य शिक्षिका स्वाति तिवारी का कहना है "मैं प्राथमिक शाला में पदस्थ हूं. नियम यह है कि यदि कार्यरत स्कूल में जगह खाली है तो प्रमोशन यथासंभव उसी स्कूल में दे देना चाहिए. पहले मुझे यहां पोस्ट भी कर दिया गया था. लेकिन अब यहां किसी और को रख दिया गया है, जो कि नियम के खिलाफ है. हम मानसिक प्रताड़ना झेल रहे हैं."
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शिक्षक संघ का आरोप: काउंसलिंग को लेकर शिक्षक संघ ने भी शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव विपिन यादव का कहना है कि "काउंसलिंग में अब भी नियम विरुद्ध काम किया जा रहा है. अधिकारियों ने कुछ शिक्षकों से मनचाहा पोस्टिंग दिलवाने के लिए सांठगांठ कर रखी है. काउंसलिंग समिति में शामिल केआर डहरिया पर हमने आपत्ति जताई थी. उन्हें इस प्रक्रिया से दूर रखने का अनुरोध किया था. लेकिन बावजूद इसके डहरिया काउंसलिंग में शामिल हैं. शिक्षक संघ के भी किसी पदाधिकारी को पारदर्शी काउंसलिंग के लिए प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है."
अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप: शिक्षक संघ के प्रांत अध्यक्ष गिरीश केशकर का कहना है "कोरबा जिले में शिक्षकों की काउंसलिंग के चर्चे हैं. भ्रष्टाचार के कारण ही पहले सूची निरस्त हुई. अब हाईकोर्ट के निर्देश पर काउंसलिंग की जा रही है. अधिकारी गलती पर गलती कर रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती. जबकि शिक्षक से छोटी सी गलती होने पर उस पर ठोस कार्रवाई कर दी जाती है."
नियम के अनुसार हो रही काउंसलिंग : जिला शिक्षा अधिकारी जीपी भारद्वाज ने कहा, "पहले दिन 354 दिव्यांग और महिला अभ्यर्थियों को बुलाया गया था. समय कम होने के कारण पहले दिन सभी की काउंसलिंग नहीं हो पाई. जिन्हें दूसरे दिन भी बुलाया गया है. काउंसलिंग की प्रक्रिया सरकार और हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत पूरी पारदर्शी तरीके से की जा रही है."
बता दें कि कोरबा में शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर काउंसलिंग पूरे शहर में सुर्खियां बटोर रहा है. 3 दिनों तक चलने वाली काउंसलिंग को बढ़ाने की बात कही जा रही है. इस बीच हो शिक्षक और शिक्षा विभाग के कार्यकर्ताओं में हो रहा विवाद काउंसलिंग में काफी दिक्कतें ला रहा है.