कोरबा: कुछ दिन पहले पसान के जंगलों में मवेशी का शव क्षत विक्षत अवस्था में मिला था. वन्य प्राणी द्वारा इसके शिकार किए जाने की सूचना थी. वन विभाग ने जब तकनीकी पद्धति से जांच की तब पाया कि शिकार करने वाला यह वन्य प्राणी तेंदुआ है.
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पहले बाघ की थी चर्चा, अब तेंदुआ की पुष्टि: कटघोरा वनमण्डल का वन परिक्षेत्र पसान है. यहां पालतू मवेशी का शिकारी बाघ नहीं बल्कि तेंदुआ था. पसान रेंजर धर्मेंद्र चौहान ने इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि "पोंड़ीकला के खजरीपारा में मवेशी के शिकार के बाद यहां बाघ के मौजूदगी की बात ग्रामीण कह रहे थे. जिसके बाद वहां से लिये गए पैर के निशान को जांच के लिए भेजा गया था. यह निशान तेंदुए के निकले हैं.''
इलाके में बाघ की मौजूदगी पर वनमण्डल के इनकार करने के बाद अब ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है. रेंजर धर्मेन्द्र चौहान ने बताया कि ''इलाके में बाघ की मौजूदगी के कोई प्रमाण अबतक नही मिले हैं. ना ही किसी ने स्पष्ट रूप से अबतक जंगलों में बाघ को देखा है. जहां तक तेंदुए का सवाल है तो वह कटघोरा और मरवाही रेंज के भीतर अक्सर मवेशी या दूसरे पालतू पशुओं को अपना शिकार बनाता रहा है.''
ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील : कटघोरा वन मंडल के पास और आसपास के क्षेत्रों में हाथियों के दल विचरण कर रहे हैं. अब तेंदुए ने भी एक मवेशी का शिकार किया है, इसकी पुष्टि हो गई है. जिसके बाद ग्रामीणों को अधिक सतर्क रहने की हिदायत दी जा रही है. विभाग ने ग्रामीणों से डरने के बजाय सतर्क रहने की अपील की है. यह भी अपील की है कि वे कोई ऐसा कदम न उठाएं, जिससे वन्यप्राणी को किसी तरह का नुकसान पहुंचे.
बाघ की थी चर्चा तेंदुआ मिला तो ग्रामीणों ने ली राहत की सांस : खजरी पारा में मवेशी पर हुए हमले के बाद ग्रामीणों ने जंगलों में बाघ के आमद की बात कही थी. उन्होंने शिकार वाली जगह पर मिले निशान को भी बाघ का बताया था. जिससे गांव में भय का माहौल बन गया था. लेकिन वनमण्डल ने इससे इनकार कर दिया है. विभाग ने वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन के बाद पैरों के निशान तेंदुआ के होने की पुष्टि की है.