कोरबा: जुनून और शौक की कोई कीमत नहीं होती. जब शौक जुनून बन जाए तो इंसान उसमें रम जाता है. ऐसे ही शौक के शौकीन राम सिंह अग्रवाल हैं, जिन्होंने हर काल खंड के सिक्कों को संजो कर रखा है. इनके पास सिक्कों का अनूठा संग्रह है. अपने इस शौक को पूरा करने के लिए राम सिंह ने लाखों रुपये खर्च किए हैं. वह इसे लगातार आगे बढ़ाते जा रहे हैं.
पढ़ें: SPECIAL : मुंगेली के स्वप्निल का अब पूरे देश में चलेगा 'सिक्का' !
रामसिंह अग्रवाल जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष हैं. व्यापार के सिलसिले में वह बैंक आना-जाना किया करते थे. राम सिंह बताते हैं कि 70 के दशक में यूको बैंक में एक बैंक मैनेजर आए थे, जिन्होंने उन्हें सिक्कों के कारखाने मिन्ट के बारे में जानकारी दी. यह भी बताया कि भारत सरकार समय-समय पर धरोहर के रूप में कुछ सिक्के जारी करती है, जिसे वह ऑर्डर देकर मंगवाते रहते हैं. बैंक मैनेजर के सिक्कों का संग्रह देखकर रामसिंह काफी प्रभावित हुए. तभी से उन्होंने सिक्कों का संग्रह शुरू कर दिया.
पढ़ें: कोरबा : दो बोरी सिक्के लेकर बिल जमा करने पहुंचा कर्मचारी, यह देख बिजली विभाग के उड़ गए होश
1974 में पहली बार ऑर्डर देकर मंगवाया था सिक्का
राम सिंह अग्रवाल के पास मुगल और ब्रिटिश काल के सिक्कों से लेकर भारत सरकार द्वारा जारी किए गए 1000 रुपये तक का सिक्का भी मौजूद है. राम सिंह शौक पूरा करने के लिए धरोहर स्वरूप सिक्कों को बाकायदा डीडी के जरिए ऑर्डर देकर मंगवाते हैं. राम सिंह ने 1974 में पहली बार ऑर्डर देकर सिक्का मंगवाया था. उस समय से शुरू हुआ यह सिलसिला अब तक जारी है.
राम सिंह के पास सिक्कों का संग्रह
- 1500 ई. के मुगलकाल वाले उर्दू लिखावट के सिक्के
- इनके पास राम सीता और हनुमान की छवि वाले सिक्के भी हैं
- 1700 ई. के जार्ज किंग की छवि वाले सिक्के
- ईस्ट इंडिया कंपनी के सिक्के
- बृहदीश्वर मंदिर के हजार साल पूरे होने पर 1000 रुपये का सिक्का
- स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर जारी 150 रुपए का सिक्का
- महात्मा गांधी की 150वीं जन्मतिथि पर जारी 150 रुपये का सिक्का
- गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर जारी 550 रुपये का सिक्का
30 देशों की यात्रा कर चुके हैं राम सिहं अग्रवाल
सिक्कों के संग्रह को और समृद्ध बनाने के लिए रामसिंह अग्रवाल अब तक लगभग 30 देशों की यात्रा कर चुके हैं. राम सिंह कहते हैं कि वह जहां भी जाते हैं, उस देश से मुद्रा ले आते हैं. इस तरह वह जब देश में भी अलग-अलग स्थानों पर गए, तब वहां के मंदिरों से पुराने और नायाब सिक्के ले आए. यह सिलसिला अब भी बरकरार है. सिक्का जुटाने के जुनून ने राम सिंह अग्रवाल को एक अलग पहचान दी है.