कोरबाः कोयला मजदूर यूनियन ने 22 मई को कामर्शियल माइनिंग के फैसले के विरोध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम कार्मिक प्रबंधक को ज्ञापन सौंपा है. यह ज्ञापन गेरवा क्षेत्र के एसईसीएल कार्मिक महाप्रबंधक को सौंपा गया है. जिसे कोरबा,कुसमुंडा, दीपका और अन्य क्षेत्रिय कार्यालय के केन्द्रीय ट्रेड यूनियन एटक, एचएमएस, इन्टक, सीटू सहित चारों यूनियन ने मजदूरों ने संयुक्त रूप से सौंपा है.
मजदूर यूनियन ने ज्ञापन में सरकार के कोल माइंनिग के फैसले को लेकर विरोध जताया है और उन सभी आदेशों को निरस्त करने की मांग की है, जिसमें मजदूर विरोधी, जन विरोधी, सार्वजानिक उपक्रम विरोधी नीतियों, कामर्शियल माइनिंग, खदानों की लीज स्थानांतरण, 50 कोल ब्लॉक के आवंटन, कॉरपोरेट हाउसेस को लाभ पहुंचाने का षड्यंत्र, श्रम कानून को बदल कर 12 घंटे तक काम कराने वाले अध्यादेश और संस्थानों में 16 घंटे तक काम करने की बाध्यता से संबंधित आदेश है.
मजदूर विरोधी कानून का होगा विरोध
इस विषय पर एचएमएस के केंद्रीय अध्यक्ष रेशम लाल यादव ने कहा कि वर्तमान में अभी पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है. लेकिन इस दौरान भी केंद्र सरकार मजदूर विरोधी और माइनिंग संबंधी नियमों में बदलाव कर रही है. जिसका वे विरोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले सरकार ने मजदूर विरोधी कोई काम नहीं करने का आदेश लिखित में दिया था, बावजूद इसके मजदूर विरोधी काम किया जा रहा है.
पढ़ेंः-कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ कोरबा मजदूर यूनियन ने किया विरोध प्रदर्शन
वहीं एटक के केंदीय उपाध्यक्ष दीपक ने कहा कि कोरोना काल में भी कोल माइनिंग के मजदूर काम कर रहे हैं और देश में ऊर्जा की आपूर्ति कर रहा है. इसलिए कामर्शियल माइनिंग, मजदूर विरोधी कानून में बदलाव को कोई भी मजदूर स्वीकार नहीं करेगा और बदलाव होने पर उसका विरोध किया जाएगा.