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क्रिटिकल जोन में सरप्लस राज्य के पावर प्लांट, क्या मुख्यमंत्री और सीएमडी की बैठक से बनेगी बात?

देश के अन्य राज्यों को बिजली प्रदाय कर रौशन करने वाले सरप्लस राज्य छत्तीसगढ़ के पावर प्लांट कोयले की कमी (Power Plants of Chhattisgarh Coal Shortage) से जूझ रहे हैं. इस कारण यह क्रिटिकल जोन (Critical Zone) में आ गया है. इससे बिजली संकट (Power Crisis) जैसे हालात उत्पन्न होने की बात जानकार कह रहे हैं. दो दिन पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ( Delhi CM Arvind Kejriwal ) ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) को पत्र लिखकर कोयला संकट से उत्पन्न बिजली संकट के हालात उत्पन्न होने की बात कही थी. इसके बाद आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel) ने इसी मामले में कोयला अफसरों के साथ बैठक की है.

power crisis
पावर प्लांट
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Published : Oct 11, 2021, 8:52 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 9:39 AM IST

कोरबा/रायपुर: देश के अन्य राज्यों को रोशन करने वाला छत्तीसगढ़ राज्य कोयला संकट (chhattisgarh coal crisis) से जूझ रहा है. प्रदेश के लगभग सभी पावर प्लांट कोयले की कमी के कारण क्रिटिकल जोन (Critical Zone) में आ गए हैं. मानदंडों के अनुरूप कोयले का स्टॉक नहीं होने की वजह से बिजली संकट ( Power crisis ) जैसे हालात छत्तीसगढ़ में भी पैदा होने की संभावना है. सोमवार को सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel ) ने एसईसीएल के सीएमडी एके पांडा ( SECL CMD AK Panda) के साथ प्रदेश के सर्वोच्च अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की है. इसमें प्रदेश के ताप विद्युत संयंत्रों के लिए प्रतिदिन 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति पर सहमति बनी है. अब तक एसईसीएल ( SECL ) छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्रों को 23 हजार 290 मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति कर रहा था.

मुख्यमंत्री और सीएमडी की बैठक से बनेगी बात?

देशभर में जाता है एसईसीएल का कोयला

एसईसीएल देशभर के पावर प्लांट को कोयला सप्लाई करती है. कोरबा में संचालित दीपका, कुसमुंडा और गेवरा एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट हैं. इन तीन खदानों का देश भर में कोयले की मांग की आपूर्ति कराने में अहम योगदान है. अब यह तीनों ही खदानें अपने निर्धारित कोयला उत्पादन के लक्ष्य से पिछड़ गई हैं. इस कारण पूरे देश में कोयला संकट गहराया हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कोयले की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के कारण कोयले का आयात बंद है. इस कारण एसईसीएल पर पावर सेक्टर को कोयला आपूर्ति का दबाव है. ऐसी परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ को कम कोयले की आपूर्ति की जा रही थी, जिससे प्रदेश के ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी बरकरार है.

कोयले का स्टॉक 5 दिन से कम का तो पावर प्लांट क्रिटिकल जोन में

यदि कोयले का स्टॉक 5 दिन से कम हुआ तो संबंधित पावर प्लांट को क्रिटिकल जोन में माना जाता है. वर्तमान में प्रदेश के लगभग सभी पावर प्लांटों के पास 5 से 10 दिन का ही कोयले का स्टॉक शेष है. बैठक में मांग के अनुरूप कोयला आपूर्ति पर सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ एसईसीएल के सीएमडी एके पांडा से छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्रों को प्राथमिकता के आधार पर कोयले आपूर्ति की बात कही गई है. आवश्यकता के अनुसार ही अच्छी गुणवत्ता के कोयले की सप्लाई की जानी चाहिए, यह बात छत्तीसगढ़ सरकार ने जोर देकर कही है. एसईसीएल के सीएमडी पांडा ने रेलवे अफसरों की मौजूदगी में 29 हजार 500 मेट्रिक टन कोयला प्रतिदिन छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्र को सप्लाई करने की बात कही है, लेकिन यह बात धरातल पर कैसे उतरेगी इस पर अब भी संशय बरकरार है.

छत्तीसगढ़ के विद्युत पावर प्लांट और कोयले की स्थिति


संयंत्र क्षमता (मेगावाट में)वर्तमान स्टॉकइतने दिन का स्टॉक
बाल्को 600 61.606
एनटीपीसी कोरबा 2600 110.303
एनटीपीसी सीपत 2980 30408
डीएसपीएम 500 15.002
एचटीपीपी 1340 69.804
मडवा 1000 66.506
अकलतरा टीपीएस 1800 43.7 03
लारा टीपीएस 1600 110.6 06
लैंको पताड़ी 600 38.9 06 ( स्टॉक हजार टन में)

वर्तमान में महज 3810 मेगावाट बिजली उपलब्ध

बिजली के मांग में भी बढ़ोतरी छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के अध्यक्ष एवं विशेष सचिव ने इसी बैठक में बताया है कि छत्तीसगढ़ में बिजली की औसत डिमांड 3800 मेगा वाट रहती है. जिसके विरुद्ध 3810 मेगावाट बिजली उपलब्ध है. जबकि पीक समय में छत्तीसगढ़ में 4123 मेगावाट बिजली की उपलब्धता बनाई जा रही है. अतिरिक्त बिजली की मांग होने के कारण सेंट्रल सेक्टर से बिजली खरीदने की नौबत भी पैदा हो रही है. फिलहाल एनटीपीसी की लारा और सीपत के साथ ही एनएसपीएल संयंत्र के कुल मिलाकर 529 मेगावाट की यूनिट वार्षिक रखरखाव के कारण बंद है. इसके कारण मांग के अनुरूप बिजली प्राप्त नहीं हो रही है.

केंद्र से सीएम ने पूछा सवाल-कोयले की कमी नहीं है तो बिजली प्लांट क्यों हो रहे हैं बंद ?

इन दिनों देश में कोयला संकट गहराया हुआ है. छत्तीसगढ़ में भी कोयला संकट की बात सामने आ रही. हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इससे इनकार किया है. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोयले की आपूर्ति निर्बाध गति से चलती रहेगी. हालांकि उन्होंने देश में कोयले के संकट को लेकर केंद्र कि मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार एक तरफ दावा करती है कि कोयले का संकट नहीं है, दूसरी तरफ पावर प्लांट बंद हो रहे हैं केंद्र सरकार के दावों में कोई सच्चाई नहीं है. अगर सच होता तो पावर प्लांट बंद क्यों हो रहे हैं?

जनता के साथ-साथ किसान भी होंगे प्रभावित

बघेल ने कहा कि एक तरफ पूरे देश में खाद की कमी हुई, किसानों को खाद नहीं मिली. आपूर्ति में केंद्र ने कमी की. अब कोयले की आपूर्ति नहीं कर पा रही है, आखिर केंद्र सरकार कर क्या रही है? जो विदेश से कोयला आ रहा था वह भी बंद हो गया है. रासायनिक खाद में भी कटौती हो गई है केंद्र सरकार कर क्या रही है ? बघेल ने कहा कि पहले किसानों के साथ अब देश की जनता के साथ, कोयले की कमी से बिजली का उत्पादन प्रभावित होगा, परिवहन प्रभावित होगा. किसान प्रभावित होगा, क्योंकि रवि फसल लेना है तो इसकी तैयारी कर रहे हैं, उसको बिजली नहीं मिलेगी.

कोरबा/रायपुर: देश के अन्य राज्यों को रोशन करने वाला छत्तीसगढ़ राज्य कोयला संकट (chhattisgarh coal crisis) से जूझ रहा है. प्रदेश के लगभग सभी पावर प्लांट कोयले की कमी के कारण क्रिटिकल जोन (Critical Zone) में आ गए हैं. मानदंडों के अनुरूप कोयले का स्टॉक नहीं होने की वजह से बिजली संकट ( Power crisis ) जैसे हालात छत्तीसगढ़ में भी पैदा होने की संभावना है. सोमवार को सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel ) ने एसईसीएल के सीएमडी एके पांडा ( SECL CMD AK Panda) के साथ प्रदेश के सर्वोच्च अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की है. इसमें प्रदेश के ताप विद्युत संयंत्रों के लिए प्रतिदिन 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति पर सहमति बनी है. अब तक एसईसीएल ( SECL ) छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्रों को 23 हजार 290 मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति कर रहा था.

मुख्यमंत्री और सीएमडी की बैठक से बनेगी बात?

देशभर में जाता है एसईसीएल का कोयला

एसईसीएल देशभर के पावर प्लांट को कोयला सप्लाई करती है. कोरबा में संचालित दीपका, कुसमुंडा और गेवरा एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट हैं. इन तीन खदानों का देश भर में कोयले की मांग की आपूर्ति कराने में अहम योगदान है. अब यह तीनों ही खदानें अपने निर्धारित कोयला उत्पादन के लक्ष्य से पिछड़ गई हैं. इस कारण पूरे देश में कोयला संकट गहराया हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कोयले की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के कारण कोयले का आयात बंद है. इस कारण एसईसीएल पर पावर सेक्टर को कोयला आपूर्ति का दबाव है. ऐसी परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ को कम कोयले की आपूर्ति की जा रही थी, जिससे प्रदेश के ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी बरकरार है.

कोयले का स्टॉक 5 दिन से कम का तो पावर प्लांट क्रिटिकल जोन में

यदि कोयले का स्टॉक 5 दिन से कम हुआ तो संबंधित पावर प्लांट को क्रिटिकल जोन में माना जाता है. वर्तमान में प्रदेश के लगभग सभी पावर प्लांटों के पास 5 से 10 दिन का ही कोयले का स्टॉक शेष है. बैठक में मांग के अनुरूप कोयला आपूर्ति पर सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ एसईसीएल के सीएमडी एके पांडा से छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्रों को प्राथमिकता के आधार पर कोयले आपूर्ति की बात कही गई है. आवश्यकता के अनुसार ही अच्छी गुणवत्ता के कोयले की सप्लाई की जानी चाहिए, यह बात छत्तीसगढ़ सरकार ने जोर देकर कही है. एसईसीएल के सीएमडी पांडा ने रेलवे अफसरों की मौजूदगी में 29 हजार 500 मेट्रिक टन कोयला प्रतिदिन छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्र को सप्लाई करने की बात कही है, लेकिन यह बात धरातल पर कैसे उतरेगी इस पर अब भी संशय बरकरार है.

छत्तीसगढ़ के विद्युत पावर प्लांट और कोयले की स्थिति


संयंत्र क्षमता (मेगावाट में)वर्तमान स्टॉकइतने दिन का स्टॉक
बाल्को 600 61.606
एनटीपीसी कोरबा 2600 110.303
एनटीपीसी सीपत 2980 30408
डीएसपीएम 500 15.002
एचटीपीपी 1340 69.804
मडवा 1000 66.506
अकलतरा टीपीएस 1800 43.7 03
लारा टीपीएस 1600 110.6 06
लैंको पताड़ी 600 38.9 06 ( स्टॉक हजार टन में)

वर्तमान में महज 3810 मेगावाट बिजली उपलब्ध

बिजली के मांग में भी बढ़ोतरी छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के अध्यक्ष एवं विशेष सचिव ने इसी बैठक में बताया है कि छत्तीसगढ़ में बिजली की औसत डिमांड 3800 मेगा वाट रहती है. जिसके विरुद्ध 3810 मेगावाट बिजली उपलब्ध है. जबकि पीक समय में छत्तीसगढ़ में 4123 मेगावाट बिजली की उपलब्धता बनाई जा रही है. अतिरिक्त बिजली की मांग होने के कारण सेंट्रल सेक्टर से बिजली खरीदने की नौबत भी पैदा हो रही है. फिलहाल एनटीपीसी की लारा और सीपत के साथ ही एनएसपीएल संयंत्र के कुल मिलाकर 529 मेगावाट की यूनिट वार्षिक रखरखाव के कारण बंद है. इसके कारण मांग के अनुरूप बिजली प्राप्त नहीं हो रही है.

केंद्र से सीएम ने पूछा सवाल-कोयले की कमी नहीं है तो बिजली प्लांट क्यों हो रहे हैं बंद ?

इन दिनों देश में कोयला संकट गहराया हुआ है. छत्तीसगढ़ में भी कोयला संकट की बात सामने आ रही. हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इससे इनकार किया है. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोयले की आपूर्ति निर्बाध गति से चलती रहेगी. हालांकि उन्होंने देश में कोयले के संकट को लेकर केंद्र कि मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार एक तरफ दावा करती है कि कोयले का संकट नहीं है, दूसरी तरफ पावर प्लांट बंद हो रहे हैं केंद्र सरकार के दावों में कोई सच्चाई नहीं है. अगर सच होता तो पावर प्लांट बंद क्यों हो रहे हैं?

जनता के साथ-साथ किसान भी होंगे प्रभावित

बघेल ने कहा कि एक तरफ पूरे देश में खाद की कमी हुई, किसानों को खाद नहीं मिली. आपूर्ति में केंद्र ने कमी की. अब कोयले की आपूर्ति नहीं कर पा रही है, आखिर केंद्र सरकार कर क्या रही है? जो विदेश से कोयला आ रहा था वह भी बंद हो गया है. रासायनिक खाद में भी कटौती हो गई है केंद्र सरकार कर क्या रही है ? बघेल ने कहा कि पहले किसानों के साथ अब देश की जनता के साथ, कोयले की कमी से बिजली का उत्पादन प्रभावित होगा, परिवहन प्रभावित होगा. किसान प्रभावित होगा, क्योंकि रवि फसल लेना है तो इसकी तैयारी कर रहे हैं, उसको बिजली नहीं मिलेगी.

Last Updated : Oct 12, 2021, 9:39 AM IST
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