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कोरबा में धूमधाम से मना रहे छेरछेरा का पर्व - छत्तीसगढ़ का पारंपरिक अन्नदान का पर्व

छत्तीसगढ़ में छेरछेरा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस पर्व में बचे लोगों के घर-घर जाकर 'छेरछेरा कोठी के धान ल हेर हेरा' कहते हुए धान का दान मांगते हैं.

Chher chera festival
छेरछेरा पर्व
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Published : Jan 10, 2020, 2:15 PM IST

Updated : Jan 10, 2020, 3:16 PM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ का पारंपरिक अन्नदान का पर्व छेरछेरा शुक्रवार को मनाया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में अवकाश नहीं होने के बाद भी बच्चे स्कूल ही नहीं गए, बच्चे 'छेरछेरा कोठी के धान ल हेर हेरा' पुकारते हुए घर-घर दस्तक देते रहें. लोगों ने धान के साथ ही टॉफी का दान कर बच्चों का उत्साह बढ़ाया. इस बार गांव के साथ ही शहर में भी पर्व को लेकर उत्साह नजर आ रहा है.

छेरछेरा पर्व

छेरछेरा छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला पहला पर्व है. किसान धान की मिसाई कर कोठी में रखते हैं. इस दिन बच्चे बूढ़े सभी लोग छेरछेरा का दान मांगते हैं. कोठी में धान रखने की वजह से ही 'छेरछेरा कोठी के धान ला हेर हेरा' कहते हैं. ग्रामीण उत्साह के साथ छेरछेरा मांगने वालों को कटोरा भर धान देते हैं. गांव में पर्व का उत्साह अधिक रहता है.

पढ़े:मुंगेली: छेरछेरा पर्व को लेकर जिले में उत्साह का माहौल

धान का कटोरा
छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पर्व के पीछे मान्यता है कि यहां साल में एक बार धान की खेती होती है. धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ का हर किसान बेहतर पैदावार को लेकर उत्साहित रहता है. इसलिए इस पर्व के दिन हर कोई उत्साह के साथ दान की परंपरा का निर्वाहन करते हैं.

कोरबा: छत्तीसगढ़ का पारंपरिक अन्नदान का पर्व छेरछेरा शुक्रवार को मनाया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में अवकाश नहीं होने के बाद भी बच्चे स्कूल ही नहीं गए, बच्चे 'छेरछेरा कोठी के धान ल हेर हेरा' पुकारते हुए घर-घर दस्तक देते रहें. लोगों ने धान के साथ ही टॉफी का दान कर बच्चों का उत्साह बढ़ाया. इस बार गांव के साथ ही शहर में भी पर्व को लेकर उत्साह नजर आ रहा है.

छेरछेरा पर्व

छेरछेरा छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला पहला पर्व है. किसान धान की मिसाई कर कोठी में रखते हैं. इस दिन बच्चे बूढ़े सभी लोग छेरछेरा का दान मांगते हैं. कोठी में धान रखने की वजह से ही 'छेरछेरा कोठी के धान ला हेर हेरा' कहते हैं. ग्रामीण उत्साह के साथ छेरछेरा मांगने वालों को कटोरा भर धान देते हैं. गांव में पर्व का उत्साह अधिक रहता है.

पढ़े:मुंगेली: छेरछेरा पर्व को लेकर जिले में उत्साह का माहौल

धान का कटोरा
छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पर्व के पीछे मान्यता है कि यहां साल में एक बार धान की खेती होती है. धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ का हर किसान बेहतर पैदावार को लेकर उत्साहित रहता है. इसलिए इस पर्व के दिन हर कोई उत्साह के साथ दान की परंपरा का निर्वाहन करते हैं.

Intro:छत्तीसगढ़ का पारंपरिक अन्नदान का पर्व छेरछेरा शुक्रवार को मनाया गया है ग्रामीण क्षेत्रों में अवकाश नहीं होने के बाद भी बच्चे स्कूल ही नहीं गए बच्चे छेरछेरा कोठी के धान ल हेरते हेरा पुकारते हुए घर घर दस्तक देते रहें लोगों ने धान के साथ ही टॉफी का दान कर बच्चों का उत्साह बढ़ाया इस बार गांव के साथ ही शहर में भी पर्व को लेकर उत्साह नजर आयाBody:छेरछेरा छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला पहला पर्व भी है किसान धान की मिसाई कर कोठी में रखते हैं इस दिन बच्चे बूढ़े सभी लोग छेरछेरा मांगते हैं कोठी में धान रखने की वजह से ही छेरछेरा कोठी के धान ला हेरते हेरा कहते हैं ग्रामीण उत्साह के साथ छेरछेरा मांगने वालों को कटोरा भर धान देते हैं गांव में पर्व का उत्साह अधिक रहता हैConclusion:छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पर्व के पीछे मान्यता है कि यह साल मैं एक बार धान की खेती होती है धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ का हर किसान बेहतर पैदावार को लेकर उत्साहित रहता है इसलिए इस पर्व के दिन हर कोई उत्साह के साथ दान की परंपरा का निर्वाहन करते हैं

बाइट - आशीष कुमार ( ग्रामीण )
Last Updated : Jan 10, 2020, 3:16 PM IST
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