कोरबा: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जो वोटिंग के आंकड़े सामने आये हैं. वो थोड़ा सा चौंकाने वाला है. आंकड़ों के मुताबिक शहर के नागरिक मतदान करने में पीछे रहे.ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं ने बंपर वोटिंग की. चुनाव आयोग के मुताबिक रायपुर बिलासपुर जैसे जिले सबसे फिसड्डी रहे. कुरूद और सिहावा में बंपर वोटिंग हुई.
वोटिंग का प्रतिशत क्या रहा: इस बार का ओवरऑल वोटर टर्न आउट 76.31 फीसदी रहा. छत्तीसगढ़ का कुरूद विधानसभा मतदान प्रतिशत के मामले में सबसे आगे है. यहां बंपर वोटिंग हुई और 90.57 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया. जबकि धुर नक्सली क्षेत्र बीजापुर सबसे पीछे है. यहां सिर्फ 48.37 फीसदी लोगों ने ही मतदान किया. बीजापुर के बाद सबसे फिसड्डी रायपुर और बिलासपुर सीटें रहीं.
धमतरी ने बचाई लाज: हर जिले में स्वीप की एक टीम होती है. जो मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर फोकस करती है. प्रशासन शत प्रतिशत मतदान की बात कहता है, लेकिन इन आंकड़ों को इक्ट्ठा करना बेहद मुश्किल हो जाता है. यह लगभग असंभव है. छत्तीसगढ़ में भी इस साल कहीं भी 100% मतदान नहीं हुआ. हालांकि धमतरी जिले के विधानसभा ने वोटर टर्न आउट में मतदाताओं की लाज बचाई है. कुरूद में 90.17 प्रतिशत, सिहावा में 87.64, बिंद्रावनगढ़ में 86.02 प्रतिशत मतदान हुआ. रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ और खरसिया में 86 फ़ीसदी मतदान हुआ.जो कि प्रदेश में टॉप है.
रायपुर और बिलासपुर के मतदाता फिसड्डी:छत्तीसगढ़ में एक अच्छा जनप्रतिनिधि चुनने के मामले में शहरी मतदाता सबसे पीछे हैं. शहर के मुकाबले में ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं ने जमकर वोटिंग की है. उन्होंने शहर के पढ़े-लिखे मतदाताओं को पीछे छोड़ दिया है. हालांकि सबसे कम मतदान फीसदी नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर में दर्ज हुआ है. जहां सिर्फ 48.37 फिससी मतदान हुआ, लेकिन यह नक्सलियों के खौफ के कारण हुआ है. जबकि मतदान करने के मामले में सबसे नीचे रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग भिलाई जिले के विधानसभा हैं. रायपुर उत्तर में 55.59 %, रायपुर पश्चिम में 55.94 %, बिलासपुर में 56.39% तो रायपुर ग्रामीण और दक्षिण में भी 58 और 60 फ़ीसदी ही मतदान हुआ.
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण मतदाताओं ने लोकतंत्र को दी मजबूती : ग्रामीण इलाकों के मतदाता के बारे में कोरबा के पॉलिटिकल एक्सपर्ट कमलेश यादव कहते हैं कि, मतदाताओं की नीयत ग्रामीण इलाकों में साफ होती है. वे कहते हैं कि, "ग्रामीण क्षेत्र में बंपर वोटिंग हुई है. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में 5 साल किसानों को प्राथमिकता है. किसान और बीपीएल वर्ग के लिए जिस तरह की योजनाएं सरकार ने चलाई. उसके कारण लोगों ने बढ़ चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया है. ग्रामीण में ज्यादातर लोग बीपीएल वर्ग से आते हैं. अंत में की गई घोषणाओं का भी कुछ असर रहा. इस बार एक ट्रेंड यह भी रहा कि ग्रामीण क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों ने भी खूब प्रचार प्रसार किया. गांव के लोगों का चरित्र अभी भी साफ रहता है. कोई उनके घर आया और उन्होंने एक बार किसी को जुबान दे दी तो वह जाकर मतदान करते हैं. एक गांव में तो रात के 11:00 बजे तक मतदान हुआ. ग्रामीण, शारीरिक तौर पर भी थोड़ा मजबूत रहते हैं. देर तक अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं. जबकि इसकी तुलना शहरी मतदाता से की जाए, तो वह भीड़ देखकर वापस लौट जाता है. सोचता है कि थोड़ी देर बाद आकर मतदान करेंगे. तब तक समय बीत जाता है. यह दो-तीन फैक्टर हैं, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार अधिक मतदान हुआ है".
छत्तीसगढ़ में 76.31% मतदान: पहले और दूसरा चरण के मतदान के बाद छत्तीसगढ़ के सभी 90 सीटों मतदान के प्रतिशत का आंकड़ा आ चुका है.2023 विधानसभा चुनाव में ओवरऑल 76.31 % मतदान हुआ. कई जिले ऐसे हैं, जहां मतदान प्रतिशत का आंकड़ा 60 से 70 % फीसदी के बीच है. ज्यादातर विधानसभाओं में 70 फीसदी के आसपास ही मतदान हुआ है.