कोरबा: प्रदेश में अधिकारी किस कदर बेलगाम हो गए हैं, इसकी बानगी कटघोरा जनपद पंचायत में देखने को मिली. गांव के 12 पंच और ग्रामीण सरपंच और सचिव के खिलाफ शिकायत लेकर जनपद पंचायत पहुंचे थे, जहां उनकी समस्या सुनने के बजाय कटघोरा के सीईओ ने सभी को अपने चेंबर से बाहर कर दिया. सीईओ के इस बदसलूकी के बाद सभी पंचों तहसील कार्यालय पहुंचकर सीधे एसडीएम अभिषेक शर्मा से सीईओ एचएन खूंटेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
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ग्रामीणों ने कार्रवाई नहीं होने पर मामले की शिकायत जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर से करने की चेतावनी दी है. ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने ग्राम सरपंच भैयाराम बियार और पंचायत सचिव के खिलाफ शिकायत करते हुए बताया कि दोनों ने ही ग्राम विकास के लिए शासन की ओर से आबंटित 17 लाख रुपये से ज्यादा की राशि का बंदरबांट कर लिया है. अपने इस करतूत को छिपाने के लिए पंचायत में फर्जी बिल भी पेश कर दिया गया है. जबकि किसी भी कार्य के लिए कोई प्रस्ताव पंचायत के पटल पर नहीं रखा गया था. पंचों और ग्रामीणों ने जब उक्त राशि के खर्च का ब्यौरा मांगा तो दोनों ही गोलमाल जवाब देने लगे.
समिति ने बिना जांच के दे दी क्लीनचिट
इस बारे में बताया गया कि लिखित शिकायत के बाद जनपद कटघोरा के सीईओ एचएन खूंटेल ने इस केस की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया और उन्हें जांच के लिए बिरदा भेजा. गांव पहुंचने पर उन्होंने सरपंच और सचिव से चर्चा की फिर लौट आये. शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज नहीं किये जाने पर जब ग्रामीणों ने जांच समिति से पूछताछ की तो उन्होंने सरपंच और सचिव के पास दस्तावेज मौजूद नहीं होने की बात कही और वे लौट आये. इसके बाद जब पंचों ने जांच के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास किया तो उन्हें सीईओ जनपद ने बताया कि उनकी समिति ने जांच पूरी कर ली है. राशि आहरण के भौतिक सत्यापन भी कराया जा चुका है. किसी तरह की कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है.
सीईओ ने पंचो को कहा..'चैंबर से निकलो बाहर'
पंचों, महिलाओं और ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत के ठीक पांच महीने बाद वे फिर से इसकी जानकारी लेने कटघोरा आये हुए थे. वे जांच समिति की रिपोर्ट के बारे में जानना चाहते थे. इस दौरान उनके साथ बड़ी संख्या में गांव से पहुंची महिलाएं भी थी. जब कुछेक लोग सीईओ के चैंबर पहुंचे तो उन्होंने जांच और कार्रवाई का मुद्दा उठाया, लेकिन इतना सुनते ही सीईओ खूंटेल गुस्सा हो गए और सभी को फौरन चैंबर के बाहर चले जाने को कहा. उन्होंने यह भी बताया कि जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट उन्हें सौंप दी है. राशि के आहरण की वजह और उनका भौतिक सत्यापन भी कराया जा चुका है. सरपंच और सचिव पर लगे आरोप सही नहीं है. हालांकि ग्रामीणों ने उन्हें यह बताया कि जांच टीम ने सिर्फ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी. उन्होंने न ही खातों की जांच की है, न ही भुगतान बिलों का मुआयना किया और ना ही किसी का बयान दर्ज किया है, लेकिन सीईओ एचएन खूंटेल ग्रामीणों की इस दलील को मानने को तैयार ही नहीं हुए.
लाएंगे अविश्वास प्रस्ताव
शिकायतों का पुलिंदा लेकर जनपद के दफ्तर पहुंचे पंचों से जब अविश्वास प्रस्ताव के सम्बंध में सवाल किया गया तो उन्होंने साफतौर पर कहा कि सरपंच की बेदखली उनके लिए मुद्दा नहीं है. उनका गांव लंबे वक्त से बुनियादी जरूरतों के अभाव से जूझ रहा है. वे उच्चाधिकारी और मंत्री, विधायकों से चर्चा कर गांव के विकास के लिए मद जुटाते हैं. यह न सिर्फ उनका कर्तव्य है बल्कि जिन ग्रामीणों ने उन्हें चुना है. उनकी उम्मीदों को पूरा करना भी बड़ा दायित्व है. ऐसे में कोई अगर ग्राम विकास के संसाधन या राशि में गड़बड़ी करता है तो ऐसे दोषी अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों पर आरोप तय कर उनपर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए. वे अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे, लेकिन पहले प्रशासनिक स्तर पर मामले की जांच कराकर दोषी सरपंच और सचिव को बेनकाब किया जाए.