कोरबा: Cell made for differently abled students कॉलेज प्रबंधन ने दिव्यांग प्रकोष्ठ का गठन कर प्रत्येक छात्रों के लिए 121 व्यवस्था लागू की है. जिसके तहत हर छात्र के लिए एक प्राध्यापक की उनके मेंटर के तौर पर नियुक्ति की गई है. जो कि दिव्यांग छात्रों के जीवन से जुड़ी हर समस्याओं के समाधान का प्रयास करते हैं. korba news update
कॉलेज में 15 दिव्यांग छात्र: पीजी कॉलेज जिले का अग्रणी महाविद्यालय है. उच्च शिक्षा विभाग के सभी योजनाएं, पीजी कॉलेज के माध्यम से ही सभी कॉलेजों तक पहुंचती हैं. दिव्यांग छात्रों के लिए कॉलेज के इस स्टैंड ने अन्य कॉलेजों को भी बेहतर प्रबंधन का संदेश दिया है. पीजी कॉलेज जिले का सबसे बड़ा महाविद्यालय है. जहां लगभग 4000 बच्चे अध्ययनरत हैं. इनमें से फिलहाल कॉलेज में 15 बच्चे हैं. जो किसी न किसी शारीरिक अक्षमताओं से जूझ रहे हैं. जो कि कॉलेज के अलग अलग संकायों में अध्ययनरत हैं. कॉलेज ने इन बच्चों को चिह्नित कर एक प्रकोष्ठ का गठन किया है.
प्रत्येक बच्चे की जिम्मेदारी एक प्राध्यापक को: कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अवंतिका कौशिल ने बताया कि "हमने दिव्यांग प्रकोष्ठ का गठन इसी उद्देश्य से किया है, ताकि दिव्यांग बच्चों को सहज महसूस कराएं. उन्हें प्रेरणा मिले और वास्तव में तो वही हमारे लिए प्रेरणा हैं. जिस तरह से वह मुसीबतों का सामना कर अपने जीवन में आगे बढ़ रहे हैं. वह हमारे लिए एक उदाहरण है. हर छात्र जो दिव्यांग है. उसे दिव्यांग प्रकोष्ठ में जोड़ा गया है और इनकी जवाबदेही एक प्राध्यापक को सौंपी गई है. जो कोशिश करते हैं कि उन्हें हर तरह का मार्गदर्शन प्रदान करें."
वर्ष 2016-17 में हुआ था गठन: हिंदी विषय की सहायक प्राध्यापक अमोला कोर्राम ने बताया कि "हमने कॉलेज में पहली बार 2016-17 में दिव्यांग प्रकोष्ठ का गठन किया था. तब से हम निरंतर यह प्रयास करते हैं कि जो दिव्यांग बच्चे हैं. उन्हें विशेष सुविधा मिले. प्रत्येक छात्र के लिए एक सहायक प्राध्यापक को मेंटर के तौर पर नियुक्त किया गया है. जो उन्हें हर तरह की जानकारी प्रदान करते हैं. जो भी उन्हें डाउट हो ता सामान्य जीवन में परेशानी हो, उन परेशानियों को हम दूर करने का प्रयास करते हैं."
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सोचना नहीं पड़ता कि किससे पूछें: कॉलेज के दिव्यांग प्रकोष्ठ में शामिल छात्र मनोज साहू एमए मनोविज्ञान के छात्र हैं. मनोज कहते हैं कि "हमें कई बार यह दुविधा होती है कि हम अपनी जिज्ञासा कैसे दूर करें, किससे सवाल पूछें? लेकिन कॉलेज में दिव्यांग प्रकोष्ठ के माध्यम से हमें जब मेंटर मिले तब हम उनसे किसी भी समय कुछ भी पूछ लेते हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ शासन के योजना के तहत दिव्यांगों का यूनिक कार्ड बनाया जाना था. इसकी जानकारी मुझे मेरे मेंटर प्रोफेसर ने ही दी. जिसके बाद हम सभी दिव्यांग भाई बहनों का यूनिक कार्ड बन गया. इससे हमें काफी सहायता मिलती है. करियर से जुड़ी कई जानकारियां आसानी से मिल जाती हैं.