कोरबा: लेमरू हाथी रिजर्व को स्वीकृति मिलते ही धरातल पर इसका कुछ असर दिखने लगा (Lemru Elephant Reserve in Korba ) है. कैंपा मद से लेमरू हाथी रिजर्व क्षेत्रों में हाथियों के रहवास के क्षेत्र विकसित करने के साथ ही हाथी-मानव द्वंद को कम करने के लिए 94 करोड़ रुपये के रिजर्व को सरकार ने स्वीकृत दी. इसका 50 फीसद काम पूरा हो चुका है, जिसके बाद अकेले कोरबा वन मंडल में बीते वर्ष की तुलना में जनहानि और मकान क्षति की संख्या आधी हो गई है. जानकारों की मानें तो आने वाले समय में इसमें और भी गिरावट आ सकती है. अगर कार्यों को निर्धारित मापदंडों के तहत पूरा किया गया तो हाथियों के लिए और भी बेहतर रहवास विकसित होगा.
वर्तमान में इस तरह के काम हुए : लेमरू हाथी रिजर्व के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद कैंपा मद से राज्य सरकार ने 94 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी थी. मुख्य तौर पर दो भागों में काम किया जाना था. पहला हाथियों के लिए उचित रहवास विकसित करना. दूसरा हाथी-मानव द्वंद को कम करना. हाथियों के लिए रहवास विकसित करने के लिए कई तरह के कार्य किए गए हैं, जिसमें फलदार वृक्षों का रोपण, चारागाह विकास, नरवा विकास पर काम किया गया है. इसके साथ ही वन विभाग द्वारा बड़े वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर भी खड़े किए जा रहे हैं, जिससे कि हाथियों के अलावा अन्य जानवरों को भी प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके. पानी के लिए जानवरों को भटकना न पड़े.
वर्तमान में कम हुए हाथी मानव द्वंद: कैंपा मद से ही लेमरू हाथी रिजर्व में दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण भाग है, हाथी मानव-द्वंद को कम करना. इसके लिए जरूरत के अनुसार वन मंडलों में सोलर फेंसिंग भी की गई है. जिससे हाथियों को हल्का करंट का झटका लगता है और वह जंगल में वापस लौट जाते हैं. कुछ विशेष वाहनों का आवंटन शासन की ओर से किया गया है. साथ ही सहायता केंद्र स्थापित किए जाने की भी योजना है. कोरबा वन मंडल में ऐसे 5 अति संवेदनशील स्थानों को चिन्हित किया गया है. जहां सहायता केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इसमें से फिलहाल सिर्फ एक स्थान गिरारी में सहायता केंद्र स्थापित किया गया है. इसके अलावा हाथियों के विषय में ग्रामीणों का प्रशिक्षण सबसे महत्वपूर्ण है जो कि नियमित अंतराल पर किया जाना प्रस्तावित है.
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1995 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र और 350 हाथियों का रहवास: लेमरू हाथी रिजर्व में कोरबा वन मंडल के साथ ही 5 वन मंडल के क्षेत्र शामिल हैं. जिसका कुल क्षेत्रफल 1995 स्क्वायर किलोमीटर तय किया गया है. राज्य शासन से अधिसूचना जारी होने के बाद राशि भी स्वीकृत की गई है, जिसके बाद लगातार काम जारी है. हाथी रिजर्व की परिधि में लगभग 200 गांव बैन है. जानकारों की मानें तो बीते दो दशक में पूरे छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या बढ़कर 350 हो चुकी है. हालांकि कुछ क्षेत्रों के प्रभावित होने के बाद भी इन्हें शामिल न करने की बात उठती रही है. कोरबा, सरगुजा की सीमा से लगे हसदेव अरण्य क्षेत्र जंगल को कोल ब्लॉक के कारण जानबूझकर हाथी रिजर्व से बाहर रखने की बात एक्टिविस्ट उठाते रहे हैं.
2020-21 में हाथियों से जुड़े प्रकरण
प्रकार | संख्या | राशि(रुपये में) |
जनहानि | 2 | 12,000,00 |
जन घायल | 9 | 23,7,902 |
पशु हानि | 29 | 21,9,200 |
फसल हानि | 601 | 36,80,602 |
मकान क्षति | 8 | 3,500 |
अन्य क्षति | 23 | 91,197 |
2021-22 में हाथियों से जुड़े प्रकरण
प्रकार | संख्या | राशि(रुपये में) |
जनहानि | 1 | 60,00,00 |
जन घायल | 5 | 11,0067 |
पशु हानि | 18 | 13,3500 |
फसल हानि | 466 | 24,31,254 |
मकान क्षति | 2 | 14,630 |
अन्य क्षति | 13 | 72,536 |