कोरबा: साल 2020 के अक्टूबर में करतला विकासखंड के गांव बरीडीह में रेत के नीचे दबकर एक साथ 3 बच्चियों की मौत हुई थी. परिजनों को तहसीलदार के माध्यम से 10-10 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई थी. इस सहायता राशि में से 2500-2500 रुपये रिश्वत लेने वाले जिला पटवारी संघ कोरबा के जिलाध्यक्ष दामोदर प्रसाद तिवारी को एसडीएम सुनील नायक ने सस्पेंड कर दिया है.
यह घटना जिले के उरगा थाने की है. जहां गांव बारीडीह में मनरेगा के तहत खोदे गए पुराने तालाब के नीचे खेल रहीं बच्चियों की रेत के नीचे दबने से मौत हुई थी. 9 अक्टूबर 2020 की शाम तक जब बच्चियां घर नहीं लौटी, तब इनके परिजनों ने तलाश शुरू की. खोजबीन के दौरान ग्रामीणों ने पाया कि तालाब की मिट्टी धंसी हुई है. जब मिट्टी को हटाया गया, तो तीनों बच्चियों के शव को देखकर ग्रामीणों के होश उड़ गए. तीनों बच्चियों के शव मिट्टी में दबे हुए थे.
मुआवजे में से पटवारी ने ली रिश्वत
इस घटना ने प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक सहित बड़े नेताओं ने भी ट्वीट कर शोक व्यक्त किया था. बच्चियों की मौत के बाद अगले दिन प्रशासन की टीम मौके पहुंची थी. मौके का मुआयना कर जांच पड़ताल की औपचारिकता के बाद परिजनों को बतौर मुआवजा 10-10 हजार रुपये तहसीलदार के माध्यम से दिया गया था. बारीडीह में पदस्थ पटवारी संघ के जिला अध्यक्ष पटवारी दामोदर प्रसाद तिवारी ने इसी मुआवजे की रकम से रिश्वत ली थी. दामोदर ने यह रिश्वत कोटवार के माध्यम से ली थी.
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ननकीराम की शिकायत पर हुई कार्रवाई
शोक में डूबे परिवार से रिश्वत लेने के बाद जब रामपुर विधायक और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर तक यह बात पहुंची. तब उन्होंने एसडीएम सुनील नायक को इसकी जानकारी दी. जांच शुरू हुई, जिसके बाद कोटवार ने पहले पटवारी के कहने पर पैसे लेने और फिर शिकायत और दबाव बनने के बाद पैसे वापस लौटा देने की बात अपने बयान में स्वीकार की है. तहसीलदार द्वारा सौंपा गए प्रतिवेदन के आधार पर कोरबा एसडीएम सुनील नायक ने पटवारी को निलंबित कर दिया है.फिलहाल, उन्हें करतला तहसील में अटैच कर दिया है. इस मामले के विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं.