कोरबाः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) किसान (farmer) और धान खरीदी (Paddy procurement process) को लेकर आमने-सामने हैं. दरअसल, भाजपा ने छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) पर हमला बोलते हुए बड़ा आरोप लगाया है. बुधवार को टीपी नगर (TP Nagar) स्थित बीजेपी कार्यालय (BJP Office) में भाजपा (BJP) पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता की. इस दौरान पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर (Former Home Minister Nankiram Kanwar) भी मौजूद रहे. प्रेसवार्ता के दौरान बीजेपी के पदाधिकारियों ने कहा है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार किसान विरोधी है. इस वर्ष फिर से धान खरीदी की प्रक्रिया में विलंब होगा.
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सरकार के पास फिलहाल इसकी कोई तैयारी नहीं है. जिससे 1 नवंबर से धान खरीदी की प्रक्रिया को शुरू किया जाए. जबकि किसान को इसी वक्त आर्थिक संबल की सर्वाधिक जरूरत होती है.बावजूद इसके सरकार राज्योत्सव के साथ ही आदिवासी नृत्य में व्यस्त है. भाजपा की मांग है कि, सरकार हर हाल में यह सुनिश्चित करें कि 1 नवंबर से धान खरीदी प्रदेश में शुरू कर दी जाए.
मांग पूरी हो गई इसलिए नहीं किया आंदोलन
बता दें कि, प्रेस वार्ता में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम के साथ ही भाजपा जिला अध्यक्ष राजीव सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष लखन लाल देवांगन, पूर्व मेयर जोगेश लांबा सहित जिला कोषाध्यक्ष विकास महतो व अन्य भाजपाई मौजूद रहे. इस दौरान ननकीराम ने कहा कि उहोंने किसानों के मुद्दों के साथ ही अन्य मांगों को लेकर भूख हड़ताल की चेतावनी सरकार को दी थी.
महामाया और सरना दो किस्म की धान की खेती करते हैं किसान
भाजपा का कहना है कि, प्रदेश में मुख्य रूप से महामाया और सरना दो किस्म की धान की खेती किसान करते हैं. इसमें महामाया 115 से 125 तो शरना 130 से 145 दिन में तैयार हो जाती है. प्रदेश में 15 जून से 30 जून तक फसल की बुवाई पूरी कर ली जाती है.ऐसे में महामाया धान की फसल की कटाई का काम नवंबर के पहले सप्ताह में ही पूरा हो जाता है.
किसानों को दीपावली पर पैसों की जरूरत
वहीं, सरना की कटाई भी पहले सप्ताह में शुरू कर दी जाती है. बता दें कि दीपावली के आसपास किसानों को पैसों की जरूरत होती है. सरकार को चाहिए कि हर हाल में धान की खरीदी 1 नवंबर से शुरू कर दी जाए. हालांकि अब तक राज्य सरकार द्वारा धान खरीदी का कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है. भाजपा के शासनकाल में लगातार 1 नवंबर से धान खरीदी का शोर मचाने वाले कांग्रेसी अब इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. ऐसे में किसानों के धैर्य का बांध टूट रहा है.
किसानों के साथ धोखे का आरोप
साथ ही भाजपा का आरोप है कि, सरकार धान के रकबे को कम करने की साजिश रच रही है. अफसरों पर दबाव डाला जा रहा है कि धान का रकबा कम किया जाये. कांग्रेस द्वारा अपने घोषणापत्र के उलट केवल 15 क्विंटल धान खरीद कर किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है. जबकि उनके नेता राहुल गांधी ने भी घोषणा की थी. किसानों से एक-एक दाना धान खरीदेंगे. केंद्र सरकार ने भी 61 लाख मैट्रिक टन से अधिक चावल खरीदने का निर्णय लिया है, लेकिन अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रही है. जो कि उसके किसान विरोधी नीतियों को बताता है.
ये है भाजपा की प्रमुख मांगें
- धान खरीदी हर साल में 1 नवंबर से प्रारंभ की जाए.
- धान की पूरी कीमत का भुगतान एकमुश्त में हो.
- पिछले बकाए का भुगतान भी तत्काल किया जाए.
- केंद्र द्वारा एमएसपी में लगातार किए गए वृद्धि का लाभ किसानों को देना सुनिश्चित करें.
- गिरदावरी के बहाने रकबा कटौती पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए.
- कांग्रेस की घोषणा के अनुरूप किसानों का दाना दाना धान खरीदा जाए.
- घोषणा पत्र में किए गए वादे अनुसार किसानों को 2 वर्ष का बकाया बोनस दिया जाए.