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'गरीबों के डॉक्टर' थे बंशीलाल महतो, कल होगा अंतिम संस्कार

भाजपा के वरिष्ठ नेता और कोरबा से बीजेपी के पूर्व सांसद बंशीलाल महतो नहीं रहे. उनका शनिवार को निधन हो गया. वे 79 वर्ष के थे. महतो के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए सीतामढ़ी स्थित उनके निवास पर रखा गया है.

गरीबों के डॉक्टर थे बंशीलाल महतो
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Published : Nov 23, 2019, 10:33 PM IST

Updated : Nov 23, 2019, 11:01 PM IST

कोरबा: गरीबों के डॉक्टर के रूप में प्रख्यात कोरबा लोकसभा से बीजेपी के पूर्व सांसद डॉक्टर बंशीलाल महतो का शनिवार का निधन हो गया. उनका इलाज बीते कुछ दिनों से हैदराबाद स्थित एक निजी अस्पताल में चल रहा था. तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर ने महतो को वापस घर ले जाने की सलाह दी. इसके बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से बिलासपुर लाया जा रहा था, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

'गरीबों के डॉक्टर' थे बंशीलाल महतो, कल होगा अंतिम संस्कार

बीजेपी के पदाधिकारियों ने बताया कि बिलासपुर पहुंचते-पहुंचते महतो की सांस रुक चुकी थी. इसके बाद उन्हें सड़क मार्ग से बिलासपुर से कोरबा लाया गया. फिलहाल उनका शव सीतामढ़ी स्थित उनके निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है. रविवार की सुबह 11:30 मोतीसागर पारा स्थित मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

लोग कहते थे गरीबों का डॉक्टर
बता दें कि महतो का 79 वर्ष की उम्र में निधन हुआ. बताया जा रहा है कि वह लीवर के कैंसर से जूझ रहे थे. महतो जनप्रतिनिधि होने के साथ ही बीएएमएस डिग्रीधारी आयुर्वेद चिकित्सक थे. जो लंबे समय से वह सीतामढ़ी स्थित अपने निवास में प्रैक्टिस किया करते थे, जिन्हें इलाके लोग गरीबों का डॉक्टर कहते थे, जिन्हें लोग आज भी नम आंखों से याद कर रहे हैं.

बिना पैसे के करते थे इलाज
इलाके के लोगों का कहना है कि यदि कोई गरीब बिना पैसे के भी उनके पास इलाज कराने चला आता, तो वह मजाकिया लहजे में कह देते थे कि जब अगली बार आओगे तो पैसे ले आना. अपनी इसी खासियत की वजह से वह लोगों में खासे लोकप्रिय थे. शायद यही वजह थी कि वह राजनीति के क्षेत्र में इतने सफल रहे.

बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक
डॉ. महतो का राजनीतिक सफर काफी लंबा है. वह बाल स्वयंसेवक थे. कोरबा-कटघोरा विधानसभा में जनसंघ के उपाध्यक्ष भी थे, जो कि सन 1971 से 77 के मध्य की बात है. 1977 से 1980 के बीच वह कोरबा कटघोरा विधानसभा में जनता पार्टी के प्रथम अध्यक्ष भी रहे. जब बीजेपी पार्टी का गठन हुआ, तब वह संस्थापक सदस्यों में शुमार थे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरलीमनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज से भी उनकी करीबी थी.

राजनीतिक जीवन में अलग-अलग कई पद संभाले
1990 में बीजेपी ने उन्हें जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से अपना सांसद प्रत्याशी बनाया, लेकिन तब वह डॉ. चरणदास महंत से चुनाव हार गये थे, लेकिन इसके बाद वर्ष 2014 में बीजेपी ने उन्हें फिर से सांसद का टिकट दिया. इस बार उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. चरणदास महंत को परास्त कर सांसद बने.

5 साल तक कोरबा क्षेत्र से सांसद रहे
मोदी सरकार की पहली पारी में वह 5 साल तक कोरबा क्षेत्र से सांसद रहे. राजनीति और डॉक्टरी के पेशे के साथ डॉ. महतो सरस्वती शिक्षा समिति कोरबा के अध्यक्ष भी रहे, जिनके अंतर्गत कई सरस्वती शिशु मंदिर जैसे संस्कारी विद्यालय आज भी संचालित हैं. वह जिले के सबसे पुराने कॉलेज केएन कॉलेज के प्रशासन समिति के अध्यक्ष भी थे. वर्तमान में भी वह इस पद पर बने हुए थे.

इसलिए किए जाएंगे याद
डॉ. महतो ने सांसद रहते कोरबा रायपुर हसदेव एक्सप्रेस की मांग उठाई थी. इस ट्रेन को चलाने में उनकी अहम भूमिका रही. दर्री स्थित खाद कारखाना को शुरू कराने का मुद्दा उन्होने लोकसभा में उठाया था. उनके प्रयासों का ही परिणाम था, जिसके कारण दो बार केंद्रीय टीम बंद पड़े खाद कारखाने का निरीक्षण करने पहुंची. कोरबा में शासन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एजुकेशन हब की स्थापना हो. सड़कों का नेटवर्क, ऐसे कई विकास कार्य रहे जो डॉ. महतो की अगुवाई में हुए.

कोरबा: गरीबों के डॉक्टर के रूप में प्रख्यात कोरबा लोकसभा से बीजेपी के पूर्व सांसद डॉक्टर बंशीलाल महतो का शनिवार का निधन हो गया. उनका इलाज बीते कुछ दिनों से हैदराबाद स्थित एक निजी अस्पताल में चल रहा था. तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर ने महतो को वापस घर ले जाने की सलाह दी. इसके बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से बिलासपुर लाया जा रहा था, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

'गरीबों के डॉक्टर' थे बंशीलाल महतो, कल होगा अंतिम संस्कार

बीजेपी के पदाधिकारियों ने बताया कि बिलासपुर पहुंचते-पहुंचते महतो की सांस रुक चुकी थी. इसके बाद उन्हें सड़क मार्ग से बिलासपुर से कोरबा लाया गया. फिलहाल उनका शव सीतामढ़ी स्थित उनके निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है. रविवार की सुबह 11:30 मोतीसागर पारा स्थित मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

लोग कहते थे गरीबों का डॉक्टर
बता दें कि महतो का 79 वर्ष की उम्र में निधन हुआ. बताया जा रहा है कि वह लीवर के कैंसर से जूझ रहे थे. महतो जनप्रतिनिधि होने के साथ ही बीएएमएस डिग्रीधारी आयुर्वेद चिकित्सक थे. जो लंबे समय से वह सीतामढ़ी स्थित अपने निवास में प्रैक्टिस किया करते थे, जिन्हें इलाके लोग गरीबों का डॉक्टर कहते थे, जिन्हें लोग आज भी नम आंखों से याद कर रहे हैं.

बिना पैसे के करते थे इलाज
इलाके के लोगों का कहना है कि यदि कोई गरीब बिना पैसे के भी उनके पास इलाज कराने चला आता, तो वह मजाकिया लहजे में कह देते थे कि जब अगली बार आओगे तो पैसे ले आना. अपनी इसी खासियत की वजह से वह लोगों में खासे लोकप्रिय थे. शायद यही वजह थी कि वह राजनीति के क्षेत्र में इतने सफल रहे.

बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक
डॉ. महतो का राजनीतिक सफर काफी लंबा है. वह बाल स्वयंसेवक थे. कोरबा-कटघोरा विधानसभा में जनसंघ के उपाध्यक्ष भी थे, जो कि सन 1971 से 77 के मध्य की बात है. 1977 से 1980 के बीच वह कोरबा कटघोरा विधानसभा में जनता पार्टी के प्रथम अध्यक्ष भी रहे. जब बीजेपी पार्टी का गठन हुआ, तब वह संस्थापक सदस्यों में शुमार थे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरलीमनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज से भी उनकी करीबी थी.

राजनीतिक जीवन में अलग-अलग कई पद संभाले
1990 में बीजेपी ने उन्हें जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से अपना सांसद प्रत्याशी बनाया, लेकिन तब वह डॉ. चरणदास महंत से चुनाव हार गये थे, लेकिन इसके बाद वर्ष 2014 में बीजेपी ने उन्हें फिर से सांसद का टिकट दिया. इस बार उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. चरणदास महंत को परास्त कर सांसद बने.

5 साल तक कोरबा क्षेत्र से सांसद रहे
मोदी सरकार की पहली पारी में वह 5 साल तक कोरबा क्षेत्र से सांसद रहे. राजनीति और डॉक्टरी के पेशे के साथ डॉ. महतो सरस्वती शिक्षा समिति कोरबा के अध्यक्ष भी रहे, जिनके अंतर्गत कई सरस्वती शिशु मंदिर जैसे संस्कारी विद्यालय आज भी संचालित हैं. वह जिले के सबसे पुराने कॉलेज केएन कॉलेज के प्रशासन समिति के अध्यक्ष भी थे. वर्तमान में भी वह इस पद पर बने हुए थे.

इसलिए किए जाएंगे याद
डॉ. महतो ने सांसद रहते कोरबा रायपुर हसदेव एक्सप्रेस की मांग उठाई थी. इस ट्रेन को चलाने में उनकी अहम भूमिका रही. दर्री स्थित खाद कारखाना को शुरू कराने का मुद्दा उन्होने लोकसभा में उठाया था. उनके प्रयासों का ही परिणाम था, जिसके कारण दो बार केंद्रीय टीम बंद पड़े खाद कारखाने का निरीक्षण करने पहुंची. कोरबा में शासन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एजुकेशन हब की स्थापना हो. सड़कों का नेटवर्क, ऐसे कई विकास कार्य रहे जो डॉ. महतो की अगुवाई में हुए.

Intro:कोरबा। गरीबों के डॉक्टर के रूप में प्रख्यात कोरबा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के पूर्व सांसद डॉक्टर बंशीलाल महतो का शनिवार को दुखद निधन हो गया जिनका इलाज बीते कुछ दिनों से हैदराबाद स्थित अस्पताल में चल रहा था। तबीयत बिगड़ने पर चिकित्सकों डॉ महतो को वापस घर ले जाने की सलाह दी। इसके बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से बिलासपुर तक लाया गया।
बीजेपी के पदाधिकारियों ने ऐसा बताया कि बिलासपुर पहुंचते-पहुंचते डॉ महतो की सांसे टूट चुकी थीं। इसके बाद उन्हें सड़क मार्ग से बिलासपुर से कोरबा लाया गया। फिलहाल उनका शव सीतामढ़ी स्थित उनके निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। रविवार की सुबह 11:30 मोती सागर पारा स्थित मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।


Body:79 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ। बताया जा रहा है कि वह लीवर के कैंसर से जूझ रहे थे।
डॉ महतो जनप्रतिनिधि होने के साथ ही बीएएमएस डिग्रीधारी आयुर्वेद चिकित्सक भी थे। लंबे समय से वह सीतामढ़ी स्थित अपने निवास में प्रैक्टिस किया करते थे। लोगों उन्हें गरीबों का डॉक्टर कहते थे। उन्हें याद करते हुए लोग आज भी है बातें कर रहे थे कि यदि कोई गरीब बिना पैसे के भी उनके पास इलाज कराने चला आता, तो वह मजाकिया लहजे में कह देते थे कि जब अगली बार आओगे तो पैसे ले आना।
अपनी इसी खासियत की वजह से वह लोगों में खासे लोकप्रिय थे शायद यही वजह थी कि वह राजनीति के क्षेत्र में इतने सफल रहे हैं।

बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक
डॉ महतो का राजनीतिक सफर काफी लंबा है। वह बाल स्वयंसेवक थे। कोरबा-कटघोरा विधानसभा में जनसंघ के उपाध्यक्ष भी थे जोकि सन 1971 से 77 के मध्य की बात है। 1977 से 1980 के बीच वह कोरबा कटघोरा विधानसभा में जनता पार्टी के प्रथम अध्यक्ष भी रहे।
जब बीजेपी पार्टी के गठन हुआ तब वह संस्थापक सदस्यों में शुमार थे। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं मुरलीमनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज से भी उनकी करीबी रही है।
राजनैतिक जीवन मे उन्हीने अलग-अलग कई पद संभाले निर्वाचित जिला अध्यक्ष भी रहे हैं।
1999 में बीजेपी ने उन्हें जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से अपना सांसद प्रत्याशी बनाया लेकिन तब वह डॉ चरणदास महंत से चुनाव हार गये थे। लेकिन इसके बाद वर्ष 2014 में बीजेपी ने उन्हें फिर से सांसद का टिकट दिया। इस बार उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ चरणदास महंत को परास्त कर सांसद बने।
मोदी सरकार की पहली पारी में वह 5 साल तक कोरबा क्षेत्र से सांसद रहे। राजनीति और डॉक्टरी के पेशे के साथ डॉ महतो सरस्वती शिक्षा समिति कोरबा के अध्यक्ष भी रहे हैं। जिनके अंतर्गत कई सरस्वती शिशु मंदिर जैसे संस्कारी विद्यालय आज भी संचालित हैं। वह जिले के सबसे पुराने कॉलेज केएन कॉलेज के प्रशासन समिति के अध्यक्ष भी हैं। वर्तमान में भी वह इस पद पर बने हुए थे।


Conclusion:इसलिए किए जाएंगे याद
डॉ महतो ने सांसद रहते कोरबा रायपुर हसदेव एक्सप्रेस की मांग उठाई थी। इस ट्रेन को चलाने में उनकी अहम भूमिका रही। दर्री स्थित खाद कारखाने को शुरू कराने का मुद्दा उन्होने लोकसभा में उठाया था। उनके प्रयासों का ही परिणाम था, जिसके कारण दो बार केंद्रीय टीम बंद पड़े खाद कारखाने का निरीक्षण करने पहुंची। कोरबा में शासन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एजुकेशन हब की स्थापना हो यासड़कों का नेटवर्क, ऐसे कई विकास कार्य रहे जो डॉ महतो की अगुवाई में हुए।

विजुअल
बाइट।
1. गोपाल मोदी, वरिष्ठ भाजपा नेता सफेद शर्ट में काले बाल वाले
2. बनवारी लाल अग्रवाल पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हाफ काली जैकेट पहने
3. अशोक चावलानी, जिलाध्यक्ष बीजेपी, सफेद शर्ट में चश्मा पहने हुए बिना बाल वाले

नोट : व्रेप से कुछ पुराने फोटो भेज रहा हूं। जिसमें डॉक्टर महतो सुषमा स्वराज व मोदी जी के साथ है यदि काम की हो तो उन्हें भी इस्तेमाल में लें।
Last Updated : Nov 23, 2019, 11:01 PM IST
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