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हाथियों ने तोड़ दी थी आंगनबाड़ी की दीवार, एक साल बाद भी नहीं हुई मरम्मत - NEWS

भवन के अभाव में आंगनबाड़ी सहायिका अब अपने घर में आंगनबाड़ी चला रही है. घर में उसने टेबल-कुर्सी लगाकर बच्चों को पढ़ाना जारी रखा है. सहायिका ज्योति बताती हैं कि उसने कई बार इसको लेकर सरपंच से कलेक्टर तक शिकायत की है. लेकिन, अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

आंगनबाड़ी की टूटी दीवार.
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Published : Jul 16, 2019, 10:42 AM IST

Updated : Jul 16, 2019, 12:56 PM IST

कोरबा: जिले में हाथियों की ओर से तोड़े गए आंगनबाड़ी भवन की 1 साल बाद भी मरम्मत नहीं कराई जा सकी. पास में ही मौजूद प्राथमिक शाला के बच्चे आज भी उस ओर जाने से कतराते हैं. हाथियों ने उस दौरान इस आंगनबाड़ी से निकाल कर दो ग्रामीणों को मौत की नींद सुला दिया था. टूटी हुई दीवारें आज भी ग्रामीणों को उस काली रात याद दिला जाती हैं.

न्यूज स्टोरी.

मामला जिले के फुटहामुड़ा का है. यहां 5 अगस्त 2018 को हाथियों का झुंड कटहल की गंध से गांव की ओर खींचा चला आया था. हाथियों ने गांव को खूब नुकसान पहुंचाया और ग्रामीणों के कई क्विंटल धान और कटहल चट कर गए. हाथियों के भय से गांव से बाहर आंगनबाड़ी भवन में सभी ग्रामीण छुपे हुए थे. मदमस्त हाथियों इस दौरान ग्रामीणों पर हमला कर दिया.

गुस्साए हाथियों ने आंगनबाड़ी भवन की दीवार तोड़कर दो ग्रामीण को बाहर खींच कर निकाल लिया और उनकी जान ले ली थी.

सहायिता के घर लगती है कक्षा
भवन के अभाव में आंगनबाड़ी सहायिका अब अपने घर में आंगनबाड़ी चला रही है. घर में उसने टेबल-कुर्सी लगाकर बच्चों को पढ़ाना जारी रखा है. सहायिका ज्योति बताती हैं कि उसने कई बार इसको लेकर सरपंच से कलेक्टर तक शिकायत की है. लेकिन, अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

कोरबा: जिले में हाथियों की ओर से तोड़े गए आंगनबाड़ी भवन की 1 साल बाद भी मरम्मत नहीं कराई जा सकी. पास में ही मौजूद प्राथमिक शाला के बच्चे आज भी उस ओर जाने से कतराते हैं. हाथियों ने उस दौरान इस आंगनबाड़ी से निकाल कर दो ग्रामीणों को मौत की नींद सुला दिया था. टूटी हुई दीवारें आज भी ग्रामीणों को उस काली रात याद दिला जाती हैं.

न्यूज स्टोरी.

मामला जिले के फुटहामुड़ा का है. यहां 5 अगस्त 2018 को हाथियों का झुंड कटहल की गंध से गांव की ओर खींचा चला आया था. हाथियों ने गांव को खूब नुकसान पहुंचाया और ग्रामीणों के कई क्विंटल धान और कटहल चट कर गए. हाथियों के भय से गांव से बाहर आंगनबाड़ी भवन में सभी ग्रामीण छुपे हुए थे. मदमस्त हाथियों इस दौरान ग्रामीणों पर हमला कर दिया.

गुस्साए हाथियों ने आंगनबाड़ी भवन की दीवार तोड़कर दो ग्रामीण को बाहर खींच कर निकाल लिया और उनकी जान ले ली थी.

सहायिता के घर लगती है कक्षा
भवन के अभाव में आंगनबाड़ी सहायिका अब अपने घर में आंगनबाड़ी चला रही है. घर में उसने टेबल-कुर्सी लगाकर बच्चों को पढ़ाना जारी रखा है. सहायिका ज्योति बताती हैं कि उसने कई बार इसको लेकर सरपंच से कलेक्टर तक शिकायत की है. लेकिन, अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

Intro:बीते वर्ष जिले के ग्राम फुटहामुड़ा में हाथियों ने हमला कर दिया था। इस हमले में 2 ग्रामीणों की जान चली गई थी लेकिन साल भर बाद भी ग्रामीण उस दिन को याद कर सिहर उठते हैं। उस गांव में हाथियों द्वारा क्षतिग्रस्त किए गए आंगनबाड़ी की अब तक मरम्मत नहीं की गई है।


Body:पिछले साल 5 अगस्त को हाथियों का झुंड धान और कटहल की भूख में ग्राम फुटहामुड़ा जा पहुंचे था। लेकिन धान और कटहल के अलावा हाथियों ने गांव में जमकर उत्पात मचाया। ऐसा तांडव किया कि आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूल को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके अलावा पूरा गांव जो आंगनबाड़ी केंद्र में छिपकर बैठा था, उस आंगनबाड़ी की दीवार तोड़कर उसमें से दो ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया। धान और कटहल खाने के बाद हाथी का गुस्सा इतना था कि उसने बंद और शांत आंगनबाड़ी में छिपे बैठे ग्रामीणों को ढूंढ कर उन पर हमला कर दिया। इसी डर और खौफ को आज भी याद करके ग्रामीण सिहर उठते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र से लगे हुए प्राथमिक शाला के बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र की तरफ जाने से कतराते हैं। मन में डर इतना बैठ गया है कि बच्चे और शिक्षक हाथी का नाम सुनकर सचेत हो जाते हैं।
इस डर को और गांव की समस्या को नजरअंदाज कर प्रशासन और ग्राम पंचायत चैन की नींद सो रहा है। साल भर में भी क्षतिग्रस्त आंगनबाड़ी की मरम्मत नहीं की गई है। आलम यह है आंगनबाड़ी सहायिका के घर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को पढ़ा रहे हैं। दिक्कत इस बात की है कि बच्चों को उनके घर से लेकर आना पड़ता है उस घटना के बाद से बच्चों को अकेले कहीं जाने नहीं दिया जाता है।


Conclusion:आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज्योति बताती हैं कि इस संबंध में उन्होंने सरपंच और कलेक्ट्रेट में कई बार शिकायत की लेकिन किसी ने भी इस मामले में कोई भी उचित कदम अब तक नहीं उठाया है।

बाइट- शंकर लाल, ग्रामीण
बाइट- ज्योति किंडो, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
Last Updated : Jul 16, 2019, 12:56 PM IST
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