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कोरबा: आंगनबाड़ियों में भ्रष्टाचार करने का आरोप, पार्षद ने गिनाए अधिकारियों के कारनामें !

कोरबा में वार्ड क्रमांक-11 के पार्षद दिनेश सोनी ने आंगनबाड़ियों के कामों में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं. पार्षद सोनी ने कलेक्टर को लिखित शिकायत कर कहा है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केंद्रों में राज्य सरकारा की तरफ से जारी नियमों की अनदेखी करते हुए विभागीय राशि में भ्रष्टाचार किया जा रहा है.

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आंगनबाड़ी में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप
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Published : Jul 9, 2020, 3:31 PM IST

कोरबा: महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों पर आंगनबाड़ी केंद्रों को रंग-रोगन कार्य के साथ ही पोषण आहार में घोटाला करने का आरोप है. शहर के वार्ड क्रमांक-11 के पार्षद दिनेश सोनी ने अफसरों पर कार्यों में अनियमितता करने और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, जिस पर विभाग के अफसर चुप्पी साधे हुए हैं. पार्षद ने कलेक्टर सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव तक मामले की शिकायत की है.

पार्षद ने अधिकारियों पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

पार्षद सोनी ने कलेक्टर को लिखित शिकायत कर कहा है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केंद्रों में राज्य सरकारा की तरफ से जारी नियमों की अनदेखी करते हुए विभागीय राशि में भ्रष्टाचार किया जा रहा है.

'राशन बांटने में किया गया घोटाला'

पार्षद का आरोप है कि मार्च 2020 के आखिरी सप्ताह में जब कोविड-19 के प्रकोप के कारण लॉकडाउन में आंगनबाड़ी केंद्रों में शून्य से 3 वर्ष के बच्चों, गर्भवती और शिशुवती माताओं को सूखा राशन वितरण की व्यवस्था की गई. तब दूसरे हफ्ते में गेहूं, चावल सरकार ने दिया. जबकि दाल और चना, सोयाबीन बड़ी, तेल भी विभाग की तरफ से सुपरवाइजर को वितरण के लिए प्रदान किया गया. हितग्राहियों के लिए 26 दिन के हिसाब से निर्धारित पोषण आहार सामग्री पूरी मात्रा में मिलाकर दिया जाना था, लेकिन इससे आधी मात्रा ही बांटी गई.

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आंगनबाड़ी में खेलते बच्चे

'आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के काम आपत्तिजनक'

पार्षद के मुताबिक तेल के नाम पर संजीवनी कंपनी का तेल दिया गया, जो कि सरसों तेल की तरह दिखता है. जिसका प्रिंट रेट 120 रुपए है. शहरी क्षेत्र में सभी राशन सामग्री की आपूर्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने एक ही फॉर्म से की है, जो की आपत्तिजनक है. इस पूरे मामले में 10 प्रतिशत कमीशन का खेल किया गया है.

'आंगनबाड़ी केंद्रों में रंग-रोगन करने को लेकर भी किया गया घोटाला'

शिकायती पत्र में दिनेश सोनी ने पोताई घोटाले का भी जिक्र किया है. लिखित शिकायत में पार्षद ने उल्लेख किया है कि बारिश का मौसम शुरू होते ही आंगनबाड़ी केंद्रों में पोताई और मरम्मत के नाम पर घोटाला हो रहा है. प्रति केंद्र के हिसाब से 3-3 हजार रुपए कार्यकर्ताओं के खाते में डाला गया है. जिसके बाद इस पूरी राशि को वापस निकालकर सुपरवाइजर के माध्यम से परियोजना अधिकारी के हवाले करने के लिए कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाया जा रहा है. इसकी शिकायतें मिल रही हैं. कई आंगनबाड़ी केंद्रों में आकर्षक रंग रोगन के स्वरूप को बदलकर भद्दी पोताई की जा रही है.

पढ़ें- सूरजपुर: प्ले स्कूल जैसा पहला मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र, बच्चों का इंतजार

बिजली के नाम पर भी घोटाला

पार्षद सोनी ने पत्र में लिखा है कि 3-4 साल पहले शहरी क्षेत्र के 640 आंगनबाड़ी केंद्रों में विद्युतीकरण का कार्य कराया गया था. प्रत्येक केंद्र में 20 हजार रुपए की लागत से ट्यूबलाइट, सीएफएल, सीलिंग पंखा आदि लगाने का के काम के बारे में जानकारी मिली थी. लेकिन किसी भी केंद्र में आज तक विद्युत उपकरण नहीं लगे हैं.

अफसरों ने झाड़ा पल्ला

इस संबंध में जब महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी आनंद प्रकाश किस्पोट्ट से जानकारी ली गई, तो उन्होंने शहरी परियोजना अधिकारी मनोज अग्रवाल से जानकारी प्राप्त कर लेने की बात कही. जब मनोज अग्रवाल से संपर्क किया गया, तो उन्होंने आरोपों को नकारते हुए कहा कि सभी काम नियमानुसार चल रहे हैं. इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं बता पाऊंगा.

कोरबा: महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों पर आंगनबाड़ी केंद्रों को रंग-रोगन कार्य के साथ ही पोषण आहार में घोटाला करने का आरोप है. शहर के वार्ड क्रमांक-11 के पार्षद दिनेश सोनी ने अफसरों पर कार्यों में अनियमितता करने और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, जिस पर विभाग के अफसर चुप्पी साधे हुए हैं. पार्षद ने कलेक्टर सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव तक मामले की शिकायत की है.

पार्षद ने अधिकारियों पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

पार्षद सोनी ने कलेक्टर को लिखित शिकायत कर कहा है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केंद्रों में राज्य सरकारा की तरफ से जारी नियमों की अनदेखी करते हुए विभागीय राशि में भ्रष्टाचार किया जा रहा है.

'राशन बांटने में किया गया घोटाला'

पार्षद का आरोप है कि मार्च 2020 के आखिरी सप्ताह में जब कोविड-19 के प्रकोप के कारण लॉकडाउन में आंगनबाड़ी केंद्रों में शून्य से 3 वर्ष के बच्चों, गर्भवती और शिशुवती माताओं को सूखा राशन वितरण की व्यवस्था की गई. तब दूसरे हफ्ते में गेहूं, चावल सरकार ने दिया. जबकि दाल और चना, सोयाबीन बड़ी, तेल भी विभाग की तरफ से सुपरवाइजर को वितरण के लिए प्रदान किया गया. हितग्राहियों के लिए 26 दिन के हिसाब से निर्धारित पोषण आहार सामग्री पूरी मात्रा में मिलाकर दिया जाना था, लेकिन इससे आधी मात्रा ही बांटी गई.

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आंगनबाड़ी में खेलते बच्चे

'आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के काम आपत्तिजनक'

पार्षद के मुताबिक तेल के नाम पर संजीवनी कंपनी का तेल दिया गया, जो कि सरसों तेल की तरह दिखता है. जिसका प्रिंट रेट 120 रुपए है. शहरी क्षेत्र में सभी राशन सामग्री की आपूर्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने एक ही फॉर्म से की है, जो की आपत्तिजनक है. इस पूरे मामले में 10 प्रतिशत कमीशन का खेल किया गया है.

'आंगनबाड़ी केंद्रों में रंग-रोगन करने को लेकर भी किया गया घोटाला'

शिकायती पत्र में दिनेश सोनी ने पोताई घोटाले का भी जिक्र किया है. लिखित शिकायत में पार्षद ने उल्लेख किया है कि बारिश का मौसम शुरू होते ही आंगनबाड़ी केंद्रों में पोताई और मरम्मत के नाम पर घोटाला हो रहा है. प्रति केंद्र के हिसाब से 3-3 हजार रुपए कार्यकर्ताओं के खाते में डाला गया है. जिसके बाद इस पूरी राशि को वापस निकालकर सुपरवाइजर के माध्यम से परियोजना अधिकारी के हवाले करने के लिए कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाया जा रहा है. इसकी शिकायतें मिल रही हैं. कई आंगनबाड़ी केंद्रों में आकर्षक रंग रोगन के स्वरूप को बदलकर भद्दी पोताई की जा रही है.

पढ़ें- सूरजपुर: प्ले स्कूल जैसा पहला मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र, बच्चों का इंतजार

बिजली के नाम पर भी घोटाला

पार्षद सोनी ने पत्र में लिखा है कि 3-4 साल पहले शहरी क्षेत्र के 640 आंगनबाड़ी केंद्रों में विद्युतीकरण का कार्य कराया गया था. प्रत्येक केंद्र में 20 हजार रुपए की लागत से ट्यूबलाइट, सीएफएल, सीलिंग पंखा आदि लगाने का के काम के बारे में जानकारी मिली थी. लेकिन किसी भी केंद्र में आज तक विद्युत उपकरण नहीं लगे हैं.

अफसरों ने झाड़ा पल्ला

इस संबंध में जब महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी आनंद प्रकाश किस्पोट्ट से जानकारी ली गई, तो उन्होंने शहरी परियोजना अधिकारी मनोज अग्रवाल से जानकारी प्राप्त कर लेने की बात कही. जब मनोज अग्रवाल से संपर्क किया गया, तो उन्होंने आरोपों को नकारते हुए कहा कि सभी काम नियमानुसार चल रहे हैं. इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं बता पाऊंगा.

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