कोरबा: इन दिनों प्रदेश के बिलासपुर, भिलाई और रायपुर जैसे महानगरों में डायरिया का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जिसकी वजह से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसे देखते हुए कोरबा जिला स्वास्थ्य विभाग अब डायरिया के प्रकोप से बचने के इंतजाम में जुट (Alert issued to avoid diarrhea outbreak in Korba) गया है. लेकिन दूसरी तरफ सड़कों पर गंदे पानी के जमाव होने और निगम क्षेत्र में कई स्थानों पर अघोषित डंपिंग यार्ड खतरे को बढ़ावा दे रहे हैं. हालांकि अधिकारियों का दावा है कि डायरिया से बचने के लिये स्वास्थ्य विभाग ने सभी तरह के इंतजाम सुनिश्चित कर लिए गए हैं.
बिलासपुर और भिलाई में एक साथ मिले मरीज: हाल ही में बिलासपुर में डायरिया का प्रकोप देखने को मिला, जहां मस्तूरी ब्लाक के सरसैनी गांव में एक साथ 15 मरीज डायरिया से ग्रसित मिले. इनमें से कुछ लोगों को मुख्यालय के अस्पताल में रेफर करना पड़ा था. स्वास्थ्य विभाग ने सर्वे किया, तब पता चला कि गंदा पानी पीने की वजह से लोग डायरिया की चपेट में आए थे. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने गांव में डायरिया से बचने के लिये सभी तरह के इंतजाम किये.
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पेयजल के मामले में कोरबा की स्थिति खराब : डायरिया होने का सबसे बड़ा कारण खाने पीने की चीजों में प्रदूषण (district health department of korba) है. बासी या खराब खाना, प्रदूषित पानी पीने से डायरिया की स्थिति पैदा हो सकती है. कोरबा जिले में जल जीवन मिशन के तहत 723 गांवों में पेयजल की व्यवस्था करनी है. लेकिन अब तक केवल 11 गांव में स्वच्छ पेयजल घरों तक पहुंचाया जा रहा है. ऐसा भी नहीं है कि शेष सभी ग्रामीण बाहर का पानी पी रहे हैं. लेकिन कई इलाके ऐसे हैं, जहां के ग्रामीणों को पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिलता. वे सभी नदी, तालाब या झिरिया का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं. ऐसे में डायरिया के लिहाज से कोरबा जिले की स्थिति संवेदनशील है.
5 से अधिक बार दस्त आए, तो डायरिया का खतरा : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को 5 या इससे अधिक बार दस्त आए, तो इस स्थिति को डायरिया कहा जाता है. डायरिया दो प्रकार के होते हैं. पहला एक्यूट डायरिया होता है, जो जीवाणु, विषाणु या पैरासाइट के कारण होता है. यह सामान्य तौर पर हफ्ते भर में ठीक हो जाता है. लेकिन जब बीमारी हफ्ते भर से ज्यादा रह जाए, तो इसे क्रॉनिक कहा जाता है. क्रॉनिक डायरिया आंत की विभिन्न बीमारियों के कारण हो सकता है. यह पाचन तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित करता है.
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डायरिया से बचने के लिए क्या करें : चिकित्सकों के अनुसार, डायरिया होने का सबसे बड़ा कारण है खराब या बासी चीजें खाना पीना. खासतौर पर बरसात में प्रदूषित पानी का उपयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए और खराब या बासी खाना खाने से बचना चाहिए. साफ पानी का उपयोग काफी हद तक डायरिया के खतरे को कम करता है. डायरिया से आतों में बैक्टीरिया का संक्रमण, पाचन शक्ति कमजोर होना, शरीर में पानी की कमी हो जाती है.
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, तीन तरह के वायरस खासतौर से डायरिया के लिए उत्तरदायी होते हैं. नोरो वायरस और रोटा वायरस 5 साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा संक्रमित करते हैं. डायरिया बहुत तेजी से फैलता भी है.
बचाव के लिए पर्याप्त इंतजाम : इस विषय में कोरबा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर दीपक राज का कहना है कि "हमारे पास डायरिया से बचने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं. मितानिन कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है. छोटे-छोटे इलाकों को सेक्टर में विभाजित करके कॉम्बैक्ट टीम भी बनाई गई है. घर-घर सर्वे का काम भी चल रहा है. हाल ही में हमने डायरिया पखवाड़ा मनाया था. इस दौरान हमने घर-घर सर्वे भी किया है और लोगों को बदलते मौसम के साथ खान पान में सावधानी बरतने की हिदायत (Alert issued for diarrhea) दी है. कहीं भी कोई मरीज देखने पर तत्काल इसकी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं. कोरबा के ज्यादातर इलाकों में पेयजल की स्थिति भी ठीक-ठाक है. हमारे पास एंबुलेंस की व्यवस्था भी पर्याप्त है. डायरिया से निपटने के लिए हमारे पास सभी तरह के इंतजाम मौजूद हैं."