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कोरबा में खरना के साथ शुरू हुआ छठ व्रतियों का निर्जला व्रत, भगवान भास्कर की आराधना शुरू

Korba Chath puja कोरबा में खरना के साथ व्रतियों ने निर्जला व्रत शुरू कर दिया है. अब ये व्रती रविवार शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी. इसके बाद सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा.

after Kharna Chath fast begins in Korba
कोरबा में खरना
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 18, 2023, 10:33 PM IST

Updated : Nov 19, 2023, 8:10 AM IST

कोरबा में खरना के साथ शुरू हुआ व्रतियों ने निर्जल व्रत

कोरबा: पूरे देश में इस समय छठ के गीतों से हर गली मुहल्ला गूंज रहा है. इस बीच कोरबा में शनिवार रात को सभी छठ व्रतियों ने खरना के साथ ही निर्जल व्रत की शुरूआत कर दी है. शुक्रवार को व्रतियों ने लौकी भात खाकर छठ व्रत शुरू किया था. शनिवार को मिट्टी के चूल्हे पर पके गुड़ के खीर और रोटी का प्रसाद छठ मैया को भोग लगाकर व्रतियों ने खरना किया है. इसके बाद 36 घंटे तक व्रती निर्जल रहकर छठ मैया की आराधना करेंगी.

कोरबा में महिलाओं ने किया खरना: कोरबा के रविशंकर शुक्ला नगर में महिलाओं ने साथ मिलकर छठ का खरना किया. एक दूसरे को प्रसाद बांटा. इसके साथ ही व्रतियों का निर्जल उपवास शुरू हो गया है. रवि शंकर शुक्ला नगर में रहने वाली व्रती नीरू यादव ने बताया कि, "चौथ के दिन से छठ का महापर्व शुरू होता है. लौकी की सब्जी और चावल खाकर इस व्रत को हमने शुरू किया. दूसरे दिन खरना का होता है. जोकि आज है, खरना में पूरे दिन निर्जल उपवास रहने के बाद शाम को गुड़ की खीर बनाते हैं. इसे व्रत रखने वाली महिलाएं ग्रहण कर व्रत शुरू करती हैं. खरना में खीर खाने के बाद निर्जल व्रत की शुरुआत हो जाती है. रविवार की शाम को डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. फिर सोमवार को उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद हम पारण करेंगे."

वैसे तो हम छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले हैं. पूर्वांचल का यह पर्व है, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में भी छठ का पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है. हमारे आसपास के लोग इस व्रत को करते हैं. हमें भी अच्छा लगता है. हम भी इसमें शामिल हुए हैं.-अंजना सिंह, श्रद्धालु

छठी मैया की उपासना से मिलता है मनचाहा फल : वैसे तो छठ में 3 दिन का निर्जल व्रत रखा जाता है. मुख्य तौर पर यह सूर्य उपासना का पर्व है. लेकिन इसे छठी मैया की संज्ञा भी दी जाती है. षष्टी के दिन व्रत होने के कारण छठ व्रत कहा जाता है. कहते हैं कि छठ व्रत रखने वाले की सभी मनोकामना पूरी होती है.

कोरबा में खरना के साथ शुरू हुआ व्रतियों ने निर्जल व्रत

कोरबा: पूरे देश में इस समय छठ के गीतों से हर गली मुहल्ला गूंज रहा है. इस बीच कोरबा में शनिवार रात को सभी छठ व्रतियों ने खरना के साथ ही निर्जल व्रत की शुरूआत कर दी है. शुक्रवार को व्रतियों ने लौकी भात खाकर छठ व्रत शुरू किया था. शनिवार को मिट्टी के चूल्हे पर पके गुड़ के खीर और रोटी का प्रसाद छठ मैया को भोग लगाकर व्रतियों ने खरना किया है. इसके बाद 36 घंटे तक व्रती निर्जल रहकर छठ मैया की आराधना करेंगी.

कोरबा में महिलाओं ने किया खरना: कोरबा के रविशंकर शुक्ला नगर में महिलाओं ने साथ मिलकर छठ का खरना किया. एक दूसरे को प्रसाद बांटा. इसके साथ ही व्रतियों का निर्जल उपवास शुरू हो गया है. रवि शंकर शुक्ला नगर में रहने वाली व्रती नीरू यादव ने बताया कि, "चौथ के दिन से छठ का महापर्व शुरू होता है. लौकी की सब्जी और चावल खाकर इस व्रत को हमने शुरू किया. दूसरे दिन खरना का होता है. जोकि आज है, खरना में पूरे दिन निर्जल उपवास रहने के बाद शाम को गुड़ की खीर बनाते हैं. इसे व्रत रखने वाली महिलाएं ग्रहण कर व्रत शुरू करती हैं. खरना में खीर खाने के बाद निर्जल व्रत की शुरुआत हो जाती है. रविवार की शाम को डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. फिर सोमवार को उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद हम पारण करेंगे."

वैसे तो हम छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले हैं. पूर्वांचल का यह पर्व है, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में भी छठ का पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है. हमारे आसपास के लोग इस व्रत को करते हैं. हमें भी अच्छा लगता है. हम भी इसमें शामिल हुए हैं.-अंजना सिंह, श्रद्धालु

छठी मैया की उपासना से मिलता है मनचाहा फल : वैसे तो छठ में 3 दिन का निर्जल व्रत रखा जाता है. मुख्य तौर पर यह सूर्य उपासना का पर्व है. लेकिन इसे छठी मैया की संज्ञा भी दी जाती है. षष्टी के दिन व्रत होने के कारण छठ व्रत कहा जाता है. कहते हैं कि छठ व्रत रखने वाले की सभी मनोकामना पूरी होती है.

Last Updated : Nov 19, 2023, 8:10 AM IST
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