कोरबा: जिस 12 साल के बच्चे की दोनों किडनी फेल हो जाये उसके परिवार पर क्या बित रहा होगा, सोच कर ही दिल सिहर जाता है. कोरबा के बुधवारी बाजार के गांधी चौक में एक मां अपने बेटे को अपनी किडनी ट्रांसप्लांट करना चाह रही है, लेकिन वो सिर्फ इसलिए नहीं कर पा रही क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट में सात लाख रुपये का खर्च आना है. सात लाख रुपये की जुगाड़ करना गरीब मां के बस के बाहर की बात है, जिसके लिए उसने प्रदेषवासियों से यथाशक्ति आर्थिक मदद की गुजारिश की है.
समाज से मदद की आस
बुधवारी बाजार के गांधी चौक में रहने वाले अनीता और धनेंद्र का दिन अपने मासूम बेटे की बीमार सूरत देकखर शुरू होता है और रात इस इंतजार में सुबकती है कि शायद भगवान कहीं से उनकी झोली में थोड़ी सी खुशियां डाल दें. इस दंपति का इकलौता और होनहार बेटा मनीष इन दिनों जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है. मां मनीष को जिंदा रखने के लिए अपनी किडनी भी देने को तैयार है, लेकिन कमबख्त दुनिया में किसी को जिंदगी देने के लिए भी पैसा चाहिए होता है. लिहाजा अनीता अपने जिगर के टुकड़े को सही सलामत देखने के लिए सिस्टम, सरकार और समाज से आस लगाए बैठी है. अनिता को उम्मीद है कि सिस्टम नहीं सुनेगा, सरकार नहीं सुनेगी तो समाज उसकी लाचारी जरूर सुनेगा और मदद भी करेगा.
होनहार है मनीष
बताते हैं छठी क्लास में पढ़ने वाला मनीष बचपन से ही होनहार है. क्लास में हमेशा अव्वल रहने वाला मनीष की बीते दिनों अचानक तबीयत बिगड़ने लगी. कभी बुखार..कभी शरीर में दर्द होने लगा. परिजनों ने आस-पास के डॉक्टरों से दिखाया...कुछ दिनों बाद मनीष के शरीर में सूजन होने लगी...जिसपर उसके परिजनों ने मोटापा समझ पहले नजरअंदाज किया...लेकिन जब उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी तो मनीष के माता-पिता ने उसे पास के ही एक निजी क्लिनिक में दिखाया...जहां शुरुआती जांच में पता चला कि मनीष को किडनी संबंधित बीमारी है...मनीष बड़ा होकर इंजीनियर बनना चाहता है, लेकिन बीमारी ने उसकी पढ़ाई पर ब्रेक लगा दिया है.
मुख्यमंत्री, मंत्री और एसपी ने दी है मदद
मनीष की किडनी फेल होने की जानकारी के बाद कोरबा विधायक और प्रदेश के राजस्व एवं आपदा मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने 50 हजार की मदद देने पहुंचे थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी 2 लाख रुपये की मदद की है. हालांकि इतने से इस परिवार का कुछ नहीं हो रहा है. मनीष के पिता ने बताया कि जिले से एसपी ने भी उन्हें 50 हजार की मदद दी है. लेकिन परिवार को अभी भी चार से पांच लाख रुपये की मदद की दरकार है. मनीष के पिता संजीवनी सहायता कोष योजना से तीन लाख की सहायता राशि के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. मनीष के माता-पिता समाज के लोगों से भी मदद की उम्मीद लगा रहे हैं.