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अब आपके भरोसे है मनीष की जिंदगी, उसकी मां को है आपसे ही मदद की आस - मुख्यमंत्री ने की मदद

कोरबा के बुधवारी बाजार के गांधी चौक में एक मां अपने बेटे को अपनी किडनी ट्रांसप्लांट करना चाह रही है, लेकिन वो सिर्फ इसलिए नहीं कर पा रही क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट में सात लाख रुपये का खर्च आना है.

अस्पताल में भर्ती मनीष
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Published : Jun 15, 2019, 9:51 PM IST

कोरबा: जिस 12 साल के बच्चे की दोनों किडनी फेल हो जाये उसके परिवार पर क्या बित रहा होगा, सोच कर ही दिल सिहर जाता है. कोरबा के बुधवारी बाजार के गांधी चौक में एक मां अपने बेटे को अपनी किडनी ट्रांसप्लांट करना चाह रही है, लेकिन वो सिर्फ इसलिए नहीं कर पा रही क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट में सात लाख रुपये का खर्च आना है. सात लाख रुपये की जुगाड़ करना गरीब मां के बस के बाहर की बात है, जिसके लिए उसने प्रदेषवासियों से यथाशक्ति आर्थिक मदद की गुजारिश की है.

अब आपके भरोसे है मानीष की जिंदगी, उसकी मां को है आपसे ही मदद की आस

समाज से मदद की आस
बुधवारी बाजार के गांधी चौक में रहने वाले अनीता और धनेंद्र का दिन अपने मासूम बेटे की बीमार सूरत देकखर शुरू होता है और रात इस इंतजार में सुबकती है कि शायद भगवान कहीं से उनकी झोली में थोड़ी सी खुशियां डाल दें. इस दंपति का इकलौता और होनहार बेटा मनीष इन दिनों जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है. मां मनीष को जिंदा रखने के लिए अपनी किडनी भी देने को तैयार है, लेकिन कमबख्त दुनिया में किसी को जिंदगी देने के लिए भी पैसा चाहिए होता है. लिहाजा अनीता अपने जिगर के टुकड़े को सही सलामत देखने के लिए सिस्टम, सरकार और समाज से आस लगाए बैठी है. अनिता को उम्मीद है कि सिस्टम नहीं सुनेगा, सरकार नहीं सुनेगी तो समाज उसकी लाचारी जरूर सुनेगा और मदद भी करेगा.

होनहार है मनीष
बताते हैं छठी क्लास में पढ़ने वाला मनीष बचपन से ही होनहार है. क्लास में हमेशा अव्वल रहने वाला मनीष की बीते दिनों अचानक तबीयत बिगड़ने लगी. कभी बुखार..कभी शरीर में दर्द होने लगा. परिजनों ने आस-पास के डॉक्टरों से दिखाया...कुछ दिनों बाद मनीष के शरीर में सूजन होने लगी...जिसपर उसके परिजनों ने मोटापा समझ पहले नजरअंदाज किया...लेकिन जब उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी तो मनीष के माता-पिता ने उसे पास के ही एक निजी क्लिनिक में दिखाया...जहां शुरुआती जांच में पता चला कि मनीष को किडनी संबंधित बीमारी है...मनीष बड़ा होकर इंजीनियर बनना चाहता है, लेकिन बीमारी ने उसकी पढ़ाई पर ब्रेक लगा दिया है.

मुख्यमंत्री, मंत्री और एसपी ने दी है मदद
मनीष की किडनी फेल होने की जानकारी के बाद कोरबा विधायक और प्रदेश के राजस्व एवं आपदा मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने 50 हजार की मदद देने पहुंचे थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी 2 लाख रुपये की मदद की है. हालांकि इतने से इस परिवार का कुछ नहीं हो रहा है. मनीष के पिता ने बताया कि जिले से एसपी ने भी उन्हें 50 हजार की मदद दी है. लेकिन परिवार को अभी भी चार से पांच लाख रुपये की मदद की दरकार है. मनीष के पिता संजीवनी सहायता कोष योजना से तीन लाख की सहायता राशि के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. मनीष के माता-पिता समाज के लोगों से भी मदद की उम्मीद लगा रहे हैं.

कोरबा: जिस 12 साल के बच्चे की दोनों किडनी फेल हो जाये उसके परिवार पर क्या बित रहा होगा, सोच कर ही दिल सिहर जाता है. कोरबा के बुधवारी बाजार के गांधी चौक में एक मां अपने बेटे को अपनी किडनी ट्रांसप्लांट करना चाह रही है, लेकिन वो सिर्फ इसलिए नहीं कर पा रही क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट में सात लाख रुपये का खर्च आना है. सात लाख रुपये की जुगाड़ करना गरीब मां के बस के बाहर की बात है, जिसके लिए उसने प्रदेषवासियों से यथाशक्ति आर्थिक मदद की गुजारिश की है.

अब आपके भरोसे है मानीष की जिंदगी, उसकी मां को है आपसे ही मदद की आस

समाज से मदद की आस
बुधवारी बाजार के गांधी चौक में रहने वाले अनीता और धनेंद्र का दिन अपने मासूम बेटे की बीमार सूरत देकखर शुरू होता है और रात इस इंतजार में सुबकती है कि शायद भगवान कहीं से उनकी झोली में थोड़ी सी खुशियां डाल दें. इस दंपति का इकलौता और होनहार बेटा मनीष इन दिनों जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है. मां मनीष को जिंदा रखने के लिए अपनी किडनी भी देने को तैयार है, लेकिन कमबख्त दुनिया में किसी को जिंदगी देने के लिए भी पैसा चाहिए होता है. लिहाजा अनीता अपने जिगर के टुकड़े को सही सलामत देखने के लिए सिस्टम, सरकार और समाज से आस लगाए बैठी है. अनिता को उम्मीद है कि सिस्टम नहीं सुनेगा, सरकार नहीं सुनेगी तो समाज उसकी लाचारी जरूर सुनेगा और मदद भी करेगा.

होनहार है मनीष
बताते हैं छठी क्लास में पढ़ने वाला मनीष बचपन से ही होनहार है. क्लास में हमेशा अव्वल रहने वाला मनीष की बीते दिनों अचानक तबीयत बिगड़ने लगी. कभी बुखार..कभी शरीर में दर्द होने लगा. परिजनों ने आस-पास के डॉक्टरों से दिखाया...कुछ दिनों बाद मनीष के शरीर में सूजन होने लगी...जिसपर उसके परिजनों ने मोटापा समझ पहले नजरअंदाज किया...लेकिन जब उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी तो मनीष के माता-पिता ने उसे पास के ही एक निजी क्लिनिक में दिखाया...जहां शुरुआती जांच में पता चला कि मनीष को किडनी संबंधित बीमारी है...मनीष बड़ा होकर इंजीनियर बनना चाहता है, लेकिन बीमारी ने उसकी पढ़ाई पर ब्रेक लगा दिया है.

मुख्यमंत्री, मंत्री और एसपी ने दी है मदद
मनीष की किडनी फेल होने की जानकारी के बाद कोरबा विधायक और प्रदेश के राजस्व एवं आपदा मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने 50 हजार की मदद देने पहुंचे थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी 2 लाख रुपये की मदद की है. हालांकि इतने से इस परिवार का कुछ नहीं हो रहा है. मनीष के पिता ने बताया कि जिले से एसपी ने भी उन्हें 50 हजार की मदद दी है. लेकिन परिवार को अभी भी चार से पांच लाख रुपये की मदद की दरकार है. मनीष के पिता संजीवनी सहायता कोष योजना से तीन लाख की सहायता राशि के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. मनीष के माता-पिता समाज के लोगों से भी मदद की उम्मीद लगा रहे हैं.

Intro:एंकर :- एक बच्चा जिसकी उम्र सिर्फ तेरह वर्ष हो और उसकी दोनो किडनीयां फेल हो जाये ऐसे में उस परिवार पर क्या बितेगी सोच कर ही दिल सिहर जाता है। यह वाक्या है छत्तीसगढ़ के कोरबा का, जहां एक मां अपने बेटे को अपनी किडनी ट्रांसप्लांट करना चाह रही है लेकिन वो सिर्फ इसलिए नहीं कर पा रही क्योंकि ट्रांसप्लांट में सात लाख का खर्च आना है। सात लाख रुपयों की जुगत इस गरीब मां के बूते से बाहर है, जिसके लिए उसने प्रदेषवासियों से यथाशक्ति आर्थिक मदद कर बेटे को बचाने की गुजारिश की है।
Body:इस मासूम के चेहरे पर नज़र डालिए, मन में इंजीनियर बनने की चाह रखे इस तेरह साल के बच्चे की दोनो किडनियां ख़राब हो चली है। मां अपने बेटे के लिए अपनी किडनी दान करना चाहती है लेकिन मुफलिस परिवार के पास इतने पैसे नहीं कि किडनी ट्रांसप्लाट में आने वाले खर्च को वहन कर सके। लिहाजा परिवार सरकारी मदद पाने दफ्तरों के चक्कर काटने मजबूर है। मामला कोरबा का है, यहां बुधवारी बाजार गांधी चौक में रहने वाले अनिता गभेल व धनेंद्र मजदूरी कर परिवार का गुजारा चलाते है। उनका एकलौता पुत्र मनीष कक्षा छठवीं में पढ़ रहा था। इसी दौरान उसकी तबियत बिगड़ने लगी और कभी बुखार तो कभी शरीर मे दर्द होने लगा। बालक के शरीर में धीरे- धीरे सूजन होने लगा। परिवार के लोगों ने मोटापा समझकर नजरअंदाज कर दिया। सूजन बढ़ने पर उसे स्थानीय निजी क्लिनिक में जांच के लिए ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने किडनी संबंधित रोग होने की बात कही। सोनोग्राफी कराने के बाद बच्चे की दोनों किडनी खराब होने की जानकारी हुई। 13 वर्षीय बालक की किडनी खराब होने की खबर से परिवार में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन मां ने हिम्मत नही हारी और अपने लाल का इलाज के लिए रायपुर चली आई। यहां रामकृष्ण अस्पताल में प्रारंभिक परीक्षण एवं उपचार के बाद डॉक्टरों ने जल्द से जल्द किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी। मां अनिता अपना गुर्दा देने को तैयार है, पर तब तक बालक की उखड़ती सांसों की लौ को डाइलिसिस के सहारे जलाए रखने की बात कही गई। माता-पिता ने अपने जीवन की जमा पूंजी को पुत्र के डायलिसिस में खर्च कर दिया है। गुर्दा ट्रांसप्लांट के लिए चिकित्सकों ने सात लाख रुपये खर्च होने की बात कही है, जिसकी व्यवस्था इस गरीब माता-पिता के लिए संभव नहीं। अपने दिल के टुकड़े को बचाने उन्होंने जिलेवासियों से यथाशक्ति आर्थिक मदद की गुजारिश की है।



मनीष की किडनी फेल होने की जानकारी होने के बाद शुरूआती दिनों में मां-बाप ने प्रदेश के राजस्व एवं आपदा व जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल से मदद की गुहार लगाई थी। उन्होंने संवेदना दिखाते हुए तत्काल बालक के इलाज के लिए 50 हजार रुपए की मदद की थी। मनीष के पिता धनेंद्र ठेकेदारी में सुरक्षा गार्ड का काम करते थे। बेटे की बीमारी पता चलने पर इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता था। इस काम में ज्यादा दिन की छुट्टी नहीं मिल सकती थी, जिसकी वजह से गार्ड का काम भी छूट गया। अब बेरोजगारी स्थिति में बेटे का किडनी बदलना बूते से बाहर है। धनेंद्र ने बताया कि परिवार की स्थिति को देखते हुए बच्चे के इलाज में सहयोग करते हुए राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने पचास हजार की आर्थिक मदद की थी। अब तक जमा पूंजी चार से पांच लाख खर्च हो चुके है लेकिन परिवार को मदद की दरकार है।




मनीष बचपन से ही मेघावी छात्र रहा है, कक्षा पांचवी में फर्स्ट डिविजन से पास होने के बाद कक्षा छठवी में भी मनीष ने 92 फिसदी अंक अर्जित किए है। लेकिन बीमारी की वजह से वो अभी स्कूल नहीं जा पा रहा है। किडनी ख़राब होने की वजह से उसे सोने, खाने सहित कई परेषानियां होती है। छोटी उम्र में ही मनीष को परिवार की हालत का अंदाजा है लेकिन उसे विष्वास है कि उसका ऑपरेषन जरूर होगा। बाईट :- मनीष गभेल, पीड़ित


. परिवार को प्रदेश सरकार की संजीवनी सहायता कोष योजना से तीन लाख रुपए तक सहायता राशि का लाभ मिल सके, इस आस में अनिता दफ्तरों के चक्कर काटने मजबूर है। परिवार को संजीवनी से तीन लाख तक की सहायता मिल सकती है। ईलाज में सात लाख खर्च आना है माता-पिता शेष राशि जुटाने के लिए लोगों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। यह दुखियारी मां अपने घर का चिराग सलामत रखने आंचल फैलाए दान दाताओं व सामाजिक संगठनों की राह तक रही है।


DHANENDRA GAVEL & ANITA GAVEL A/c - 20127451292 IFSC - SBIN0005333 Mo. 9644162685
         Conclusion:बाईट :- अनिता गभेल, मनीष की मां
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