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शहीद पिता की प्रतिमा देख छलका मासूम बेटी का प्यार

शहीद पिता की प्रतिमा देखकर उनकी एक साल की बेटी पिता को दुलार करने से रोक नहीं पाई. इस दृश्य को देखकर हर इंसान की आंखें नम हो गई.

daughter hugged statue of martyr father in korba
बेटी का प्यार
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Published : Dec 14, 2019, 6:43 PM IST

Updated : Dec 14, 2019, 11:27 PM IST

कोरबा : शहीद पिता की प्रतिमा देख सालभर की बेटी उससे लिपट गई. शहीद के जयंती पर पूरा परिवार प्रतिमा पर फूल चढ़ाने गया हुआ था. वहीं मासूम को बताया गया कि ये उसके पिता है, ये सुनते ही बच्ची अपने पिता की प्रतिमा से जा लिपटी और पापा कहकर पुकारने लगी, इसे देख वहा खड़े हर इंसान की आंखें नम हो गईं.

बेटी का प्यार

24 जनवरी 2018 को सघन नक्सल प्रभावित इलाके में वीरता दिखाते हुए नक्सलियों से लोहा लेते हुए सब इंस्पेक्टर मूलचंद्र कंवर शहीद हो गए थे. शहीद ने ओरछा के अबूझमाड इलाके में नक्सलवादियों ने घात लगाकर जवान पर हमला किया, जिसका मूलचंद्र ने साहस के साथ जवाबी फायरिंग किया था, जिसके बाद नक्सलियों को पीछे हटना पड़ा, लेकिन मुठभेड़ में मूलचंद्र को गोली लगी, जिसकी वजह से शहीद ने दम तोड़ दिया.

daughter hugged statue of martyr father in korba
बेटी का प्यार

जिस समय मूलचंद्र शहीद हुए थे, उस समय उनकी बिटियां गर्भ में थी. जब एक साल बाद बिटिया ने अपने पिता की प्रतिमा देखी, तो लगातार उन्हें चुमने लगी, शहीद पिता के लिए बेटी का ऐसा प्यार देख वहा खड़े हर इंसान की आंखें भर गईं.

कोरबा : शहीद पिता की प्रतिमा देख सालभर की बेटी उससे लिपट गई. शहीद के जयंती पर पूरा परिवार प्रतिमा पर फूल चढ़ाने गया हुआ था. वहीं मासूम को बताया गया कि ये उसके पिता है, ये सुनते ही बच्ची अपने पिता की प्रतिमा से जा लिपटी और पापा कहकर पुकारने लगी, इसे देख वहा खड़े हर इंसान की आंखें नम हो गईं.

बेटी का प्यार

24 जनवरी 2018 को सघन नक्सल प्रभावित इलाके में वीरता दिखाते हुए नक्सलियों से लोहा लेते हुए सब इंस्पेक्टर मूलचंद्र कंवर शहीद हो गए थे. शहीद ने ओरछा के अबूझमाड इलाके में नक्सलवादियों ने घात लगाकर जवान पर हमला किया, जिसका मूलचंद्र ने साहस के साथ जवाबी फायरिंग किया था, जिसके बाद नक्सलियों को पीछे हटना पड़ा, लेकिन मुठभेड़ में मूलचंद्र को गोली लगी, जिसकी वजह से शहीद ने दम तोड़ दिया.

daughter hugged statue of martyr father in korba
बेटी का प्यार

जिस समय मूलचंद्र शहीद हुए थे, उस समय उनकी बिटियां गर्भ में थी. जब एक साल बाद बिटिया ने अपने पिता की प्रतिमा देखी, तो लगातार उन्हें चुमने लगी, शहीद पिता के लिए बेटी का ऐसा प्यार देख वहा खड़े हर इंसान की आंखें भर गईं.

Intro:कोरबा। नक्सल हमले में शहीद सब इंस्पेक्टर मूलचंद्र कंवर का जन्मदिन 13 दिसंबर को था। पूरा परिवार शहीद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने पहुंचा था। शहीद की बेटी को बताया गया कि यह उसके पिता की प्रतिमा है। इतने में शहीद की बेटी अपने पोता की प्रतिमा से लिपट गयी। मृत पिता की मूर्ति की चूमते हुए वह पापा....पापा, पुकारने लगी। इस वाकये को जिसने भी देखा उनकी आंखें नाम हो गयी।


Body:शहीद की प्रतिमा उनके गृहग्राम घनाडबरी में स्थापित है। जोकि जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शहीद मूलचंद्र कंवर 12 अगस्त 2013 को पुलिस विभाग में शामिल हुए थे। मूलचंद्र की पहली पोस्टिंग ज़िला नारायणपुर थी। शहीद मूलचंद्र ने सघन नक्सल प्रभावित इलाक़े में अदम्य वीरता और साहस के साथ नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। कई सफल मुठभेड़ों और हथियारों की बरामदगी का ब्यौरा मूलचंद्र के खाते दर्ज है।Conclusion:24 जनवरी 2018 को थाना ओरछा के अबूझमाड ईलाके में नक्सलियों की माँद में घूसकर चुनौती देते हुए नक्सलवादीयों ने घात लगाकर हमला किया, लेकिन मूलचंद्र ने इस कदर जवाबी फ़ायरिंग खोली कि, नक्सलियों को उनके गढ़ में ही पीछे हटना पड़ गया, नक्सलियो को भागना तो पड़ा लेकिन इस दौरान लगी गोली ने मूलचंद्र को शहीद कर दिया।

जनवरी में जबकि मूलचंद्र शहीद हुए तो उन्हे प्रतिमा में तलाशती और दुलारती यह बिटिया गर्भ में थी। मूलचंद्र की शहादत के ठीक नौ महिने बाद तीन सितंबर 2018 को बिटिया ने धरती पर आँखें खोलीं। नाम दिया गया “वनिया कँवर”।
Last Updated : Dec 14, 2019, 11:27 PM IST
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