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अच्छी पहल: जंगल बचाने के लिए आदिवासियों ने शुरू की काली मिर्च की खेती

कोंडागांव में जंगल बचाने के लिए ग्रामीणों ने जंगल में ही काली मिर्च की खेती करना शुरु कर दिया. जिससे राज्यपाल ने सल्फीपदर गांव को गोद लेने का फैसला किया और सभी ग्रामीणों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया.

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जंगल बचाने के लिए आदिवासियों शुरू की काली मिर्च की खेती
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Published : Mar 18, 2020, 11:42 PM IST

Updated : Mar 19, 2020, 1:43 AM IST

कोंंडागांव: जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर एक गांव है सल्फीपदर, जहां के लोगों ने जंगल को तस्करों से बचाने के लिए विशेष मुहिम शुरू की है. यहां के लोग शिफ्ट में जंगल बचाने के लिए रक्षा दल के रूप में तैनात रहते हैं.

जंगल बचाने के लिए लोगों ने एक समिति भी बनाई है. जिसमें हर व्यक्ति को एक दायित्व सौंपा गया है. इसके तहत लोगों को क्षेत्र और समय बांटा गया है. जंगल बचाने के लिए कई समाजसेवी भी सामने आये हैं. समाजसेवी हरि सिंह सिदार जिनकी आयु 70 वर्ष है, उनकी अगुवाई में आज पूरा गांव जंगल बचाने में लगा है.

जंगल बचाने के लिए आदिवासियों ने शुरू की काली मिर्च की खेती

इसमें कई विभाग जैसे उद्यानिकी, कृषि विभाग, जल संवर्धन विभाग से सहायता भी इन ग्रामीणों को मिली है, लेकिन पहले वन विभाग ने इसके उलट ग्रामीणों के लगाये पानी सप्लाई के लिए टैंकर, मोटर और नल को जब्त कर लिया था. जिसपर ग्रामीणों ने जिले के कलेक्टर से मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने इसे वन विभाग का मामला बता पल्ला झाड़ लिया था. ग्रामीण बताते हैं, वन विभाग ने इलाके में काली मिर्च की खेती के लिए तमाम नियम कायदे बताते हुए उन्हें खेती न करने की हिदायत दी, लेकिन ग्रामीणों ने भी इलाके में जंगल को बचाने के लिए अपनी जिद पर अड़े रहे.

आखिरकार, 12 मार्च को यहां के लोगों ने राज्यपाल अनुसूइया उइके से रायपुर में मुलाकात की, इसके बाद राज्यपाल ने सल्फीपदर गांव को गोद लेने का फैसला किया और सभी ग्रामीणों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया. राज्यपाल से मिलने के बाद कांकेर से वन विभाग के आला अधिकारी सल्फीपदर के लोगों से मिलने पहुंचे और उनकी समस्याओं को जानने के बाद मदद का आश्वासन दिया है.

कोंंडागांव: जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर एक गांव है सल्फीपदर, जहां के लोगों ने जंगल को तस्करों से बचाने के लिए विशेष मुहिम शुरू की है. यहां के लोग शिफ्ट में जंगल बचाने के लिए रक्षा दल के रूप में तैनात रहते हैं.

जंगल बचाने के लिए लोगों ने एक समिति भी बनाई है. जिसमें हर व्यक्ति को एक दायित्व सौंपा गया है. इसके तहत लोगों को क्षेत्र और समय बांटा गया है. जंगल बचाने के लिए कई समाजसेवी भी सामने आये हैं. समाजसेवी हरि सिंह सिदार जिनकी आयु 70 वर्ष है, उनकी अगुवाई में आज पूरा गांव जंगल बचाने में लगा है.

जंगल बचाने के लिए आदिवासियों ने शुरू की काली मिर्च की खेती

इसमें कई विभाग जैसे उद्यानिकी, कृषि विभाग, जल संवर्धन विभाग से सहायता भी इन ग्रामीणों को मिली है, लेकिन पहले वन विभाग ने इसके उलट ग्रामीणों के लगाये पानी सप्लाई के लिए टैंकर, मोटर और नल को जब्त कर लिया था. जिसपर ग्रामीणों ने जिले के कलेक्टर से मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने इसे वन विभाग का मामला बता पल्ला झाड़ लिया था. ग्रामीण बताते हैं, वन विभाग ने इलाके में काली मिर्च की खेती के लिए तमाम नियम कायदे बताते हुए उन्हें खेती न करने की हिदायत दी, लेकिन ग्रामीणों ने भी इलाके में जंगल को बचाने के लिए अपनी जिद पर अड़े रहे.

आखिरकार, 12 मार्च को यहां के लोगों ने राज्यपाल अनुसूइया उइके से रायपुर में मुलाकात की, इसके बाद राज्यपाल ने सल्फीपदर गांव को गोद लेने का फैसला किया और सभी ग्रामीणों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया. राज्यपाल से मिलने के बाद कांकेर से वन विभाग के आला अधिकारी सल्फीपदर के लोगों से मिलने पहुंचे और उनकी समस्याओं को जानने के बाद मदद का आश्वासन दिया है.

Last Updated : Mar 19, 2020, 1:43 AM IST
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