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कोंडागांव : केशकाल में पारंपरिक मेले की धूम, 'देवी-देवताओं' के साथ पहुंचे ग्रामीण - आंगा

कोंडागांव जिले के केशकाल में पारंपरिक रूप से मेले का आयोजन किया गया. जहां आस-पास के गांव से ग्राम के 'देवी-देवताओं' को साथ लेकर ग्रामीण पहुंचे.

Traditional mela organized in Keshkal
केशकाल में पारंपरिक मेले का आयोजन
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Published : Feb 6, 2020, 2:33 PM IST

Updated : Feb 6, 2020, 3:35 PM IST

बस्तरः कोंडागांव जिले के केशकाल में पारंपरिक मेले का आयोजन किया गया. हर साल केशकाल में शीतला माता पहुंचानी के अगले दिन केशकाल के मूंगबाड़ी से लेकर मुक्तिधाम तक मेला लगता है, जहां आस-पास के गांव से ग्राम के 'देवी-देवताओं' को लेकर ग्रामीण पहुंचते हैं. मेले की शुरुआत केशकाल और आस-पास के आंगा, 'देवी-देवताओं' की परिक्रमा के बाद करते हैं.

केशकाल में पारंपरिक मेले का आयोजन

'देवी-देवताओं' को कराते हैं भ्रमण

ग्रामीणों की मान्यता के अनुसार 'देवी-देवताओं' को खुश करने के लिए मेले में आए पुजारी विधिवत तरीके से पूजा करते हैं. मेले में ग्राम के देवता कुंवरपाठ बाबा और ग्राम देवी शीतला माता के सामने 'देवी-देवताओं' की पूजा कर आंगा जात्रा निकाल कर नगर का भ्रमण कराते हैं. मेला खत्म होने के बाद 'देवी-देवताओं' को उनके गांव के लिए वापस लौटा दिया जाता है.

पढ़ेंः-बस्तर: पंचायत चुनाव में विधायक पर धांधली का आरोप

मेले का आयोजन पुलिस प्रशासन और ग्राम की स्थानीय देवी शीतला माता मंदिर समिति के सदस्यों की ओर से किया जाता है. रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाते हैं.

बस्तरः कोंडागांव जिले के केशकाल में पारंपरिक मेले का आयोजन किया गया. हर साल केशकाल में शीतला माता पहुंचानी के अगले दिन केशकाल के मूंगबाड़ी से लेकर मुक्तिधाम तक मेला लगता है, जहां आस-पास के गांव से ग्राम के 'देवी-देवताओं' को लेकर ग्रामीण पहुंचते हैं. मेले की शुरुआत केशकाल और आस-पास के आंगा, 'देवी-देवताओं' की परिक्रमा के बाद करते हैं.

केशकाल में पारंपरिक मेले का आयोजन

'देवी-देवताओं' को कराते हैं भ्रमण

ग्रामीणों की मान्यता के अनुसार 'देवी-देवताओं' को खुश करने के लिए मेले में आए पुजारी विधिवत तरीके से पूजा करते हैं. मेले में ग्राम के देवता कुंवरपाठ बाबा और ग्राम देवी शीतला माता के सामने 'देवी-देवताओं' की पूजा कर आंगा जात्रा निकाल कर नगर का भ्रमण कराते हैं. मेला खत्म होने के बाद 'देवी-देवताओं' को उनके गांव के लिए वापस लौटा दिया जाता है.

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मेले का आयोजन पुलिस प्रशासन और ग्राम की स्थानीय देवी शीतला माता मंदिर समिति के सदस्यों की ओर से किया जाता है. रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाते हैं.

Intro:बस्तर के प्रवेश द्वार माने जाने वाले कोंडागाँव जिले के विकासखंड केशकाल में मेले का आयोजन हुआ, जिसमे केशकाल व आस-पास के आंगा, देवी-देवताओं के परिक्रमा के साथ मेले का शुभारंभ हुआ...Body:प्रतिवर्ष केशकाल में शीतला माता पहुँचानी के अगले दिन केशकाल के मूँगबाड़ी से लेकर मुक्तिधाम तक मेला लगता है, जिसमे आस-पास के ग्रामीण एवं ग्रामों के देवी-देवताओं के आंगा मेला स्थल पर पहुंचते है ।
मेला स्थल पर ही सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना,परिक्रमा के पश्चात मेले का शुभारंभ होता है ।

ग्रामीणों की मान्यता अनुसार देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक ग्राम के गांयता व पुजारियों के द्वारा पशुओं की बली भी दी जाती है।
मेले का आयोजन स्थनीय पुलिस प्रशासन की देखरेख में व ग्राम की स्थानीय देवी शीतला माता मंदिर के समिति के सदस्यों के द्वारा किया जाता है ।
Conclusion:मेले में ग्राम के देवता कुँवरपाठ बाबा व ग्रामदेवी शीतला माता के समक्ष सभी देवी देवताओं की पूजा के पश्चात सभी देवी देवताओं के आंगा जात्रा निकाल कर पूरे नगर का भ्रमण करते है, मेला खत्म होने के बाद सभी देवी-देवता अपने अपने ग्राम के लिए वापस लौट जाते है ।

मेले के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम ।

मेले में कुँवरपाठ बाबा मंदिर प्रांगण में रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।जिसमें बढ़कर-चढ़कर ग्रामीणों ने हिस्सा लेते हुए आयोजन का लुत्फ उठाया।
Last Updated : Feb 6, 2020, 3:35 PM IST
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