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घरेलू हिंसा के मामले में देवर और देवरानी को भी घसीटा, हाईकोर्ट ने नाम हटाने के दिए निर्देश - ATTEMPT TO IMPLICATE

बिलासपुर हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के मामले में पीड़ित परिवार को राहत दी है.हाईकोर्ट ने केस से आवेदकों के नाम हटाने का निर्देश दिया है.

High Court instructions to remove name
घरेलू हिंसा के मामले में देवर और देवरानी को भी घसीटा (ETV BHARAT CHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 5, 2025, 6:07 PM IST

Updated : Feb 5, 2025, 6:40 PM IST

बिलासपुर : बिलासपुर हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के मामले में पति के भाई और पत्नी को फंसाने के मामले में नोटिस जारी किया है.इस केस में महिला ने अपने पति के साथ दूसरे राज्य में रह रहे देवर और देवरानी पर भी हिंसा करने के गंभीर आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. जिसके खिलाफ पीड़ित परिवार सेशन कोर्ट गया.लेकिन कोर्ट ने पीड़ितों के आवेदन को खारिज कर दिया.इसके बाद पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट का सहारा लिया.जहां उन्हें न्याय मिला.

क्या है पूरा घटनाक्रम : ये पूरा विवाद घरेलू हिंसा से जुड़ा हुआ है. बिलासपुर निवासी विकास चौरसिया का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो चुका था. पहली पत्नी से विकास की दो बेटियां हैं.जो उसके साथ रहती थी. तलाक के बाद विकास ने सिम्स की नर्स जागृति तिवारी से दूसरी शादी की.जागृति भी तलाकशुदा थी.जिसके जिम्मे एक बेटी की जिम्मेदारी है. शादी के बाद जागृति के साथ उसकी बेटी भी विकास के साथ रहने लगी.

दूसरी शादी के बाद भी विवाद : विकास ने दूसरी शादी करने के बाद सोचा कि उसका जीवन अब आसान हो जाएगा.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.जो जागृति के साथ भी विकास का मतभेद हुआ. इस दौरान विकास और जागृति के बीच रोजाना झगड़े बढ़ने लगे.आखिरकार जागृति ने विकास के ऊपर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करा दिया. इस मामले में जागृति ने अपने देवर और देवरानी का नाम भी जोड़ दिया.जबकि जागृति के देवर विशाल और देवरानी बिलासपुर से सैंकड़ों किलोमीटर दूर पुणे में रहते हैं. जागृति ने सभी को घरेलू हिंसा का आरोपी बनाते हुए प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद प्रस्तुत किया.

नोटिस मिलने में केस का चला पता : इन सभी चीजों से अनजान पुणे में रह रहे विशाल को जब कोर्ट का नोटिस मिला तो वो हैरान हो गया.क्योंकि ना तो वो अपने बड़े भाई विकास के साथ रहता था और ना ही कभी जागृति के साथ उसका विवाद हुआ.लिहाजा विशाल ने जेएमएफसी में आवेदन लगाया.उसने कोर्ट में दलील दी कि वो अपनी पत्नी के साथ बिलासपुर में नहीं बल्कि पुणे में रहता है.मां के निधन पर ही वो बिलासपुर आया था.इसके अलावा एक बार ही जाना हुआ.ऐसे में प्रताड़ित करने वाली कोई बात नहीं है.लेकिन सेशन कोर्ट ने विशाल के आवेदन को खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया : सेशन कोर्ट में आवेदन खारिज होने के बाद विशाल ने एडवोकेट के माध्यम से क्रिमिनल रिवीजन पेश की. जिसमें कोर्ट को बताया गया कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 – 2 में स्पष्ट है कि जब संयुक्त रूप से रहते हुए साझा गृहस्थी होती है तब इस प्रकार का अपराध दर्ज हो सकता है. इस मामले में दोनों ही आरोपी सुदूर पुणे में रहकर वहां नौकरी करते हैं. उनका बिजली बिल और आधार कार्ड भी महाराष्ट्र का है. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जागृति तिवारी को नोटिस जारी कर विशाल और उनकी पत्नी का नाम कार्रवाई से हटाने का निर्देश दिया है.

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बिलासपुर : बिलासपुर हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के मामले में पति के भाई और पत्नी को फंसाने के मामले में नोटिस जारी किया है.इस केस में महिला ने अपने पति के साथ दूसरे राज्य में रह रहे देवर और देवरानी पर भी हिंसा करने के गंभीर आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. जिसके खिलाफ पीड़ित परिवार सेशन कोर्ट गया.लेकिन कोर्ट ने पीड़ितों के आवेदन को खारिज कर दिया.इसके बाद पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट का सहारा लिया.जहां उन्हें न्याय मिला.

क्या है पूरा घटनाक्रम : ये पूरा विवाद घरेलू हिंसा से जुड़ा हुआ है. बिलासपुर निवासी विकास चौरसिया का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो चुका था. पहली पत्नी से विकास की दो बेटियां हैं.जो उसके साथ रहती थी. तलाक के बाद विकास ने सिम्स की नर्स जागृति तिवारी से दूसरी शादी की.जागृति भी तलाकशुदा थी.जिसके जिम्मे एक बेटी की जिम्मेदारी है. शादी के बाद जागृति के साथ उसकी बेटी भी विकास के साथ रहने लगी.

दूसरी शादी के बाद भी विवाद : विकास ने दूसरी शादी करने के बाद सोचा कि उसका जीवन अब आसान हो जाएगा.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.जो जागृति के साथ भी विकास का मतभेद हुआ. इस दौरान विकास और जागृति के बीच रोजाना झगड़े बढ़ने लगे.आखिरकार जागृति ने विकास के ऊपर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करा दिया. इस मामले में जागृति ने अपने देवर और देवरानी का नाम भी जोड़ दिया.जबकि जागृति के देवर विशाल और देवरानी बिलासपुर से सैंकड़ों किलोमीटर दूर पुणे में रहते हैं. जागृति ने सभी को घरेलू हिंसा का आरोपी बनाते हुए प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद प्रस्तुत किया.

नोटिस मिलने में केस का चला पता : इन सभी चीजों से अनजान पुणे में रह रहे विशाल को जब कोर्ट का नोटिस मिला तो वो हैरान हो गया.क्योंकि ना तो वो अपने बड़े भाई विकास के साथ रहता था और ना ही कभी जागृति के साथ उसका विवाद हुआ.लिहाजा विशाल ने जेएमएफसी में आवेदन लगाया.उसने कोर्ट में दलील दी कि वो अपनी पत्नी के साथ बिलासपुर में नहीं बल्कि पुणे में रहता है.मां के निधन पर ही वो बिलासपुर आया था.इसके अलावा एक बार ही जाना हुआ.ऐसे में प्रताड़ित करने वाली कोई बात नहीं है.लेकिन सेशन कोर्ट ने विशाल के आवेदन को खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया : सेशन कोर्ट में आवेदन खारिज होने के बाद विशाल ने एडवोकेट के माध्यम से क्रिमिनल रिवीजन पेश की. जिसमें कोर्ट को बताया गया कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 – 2 में स्पष्ट है कि जब संयुक्त रूप से रहते हुए साझा गृहस्थी होती है तब इस प्रकार का अपराध दर्ज हो सकता है. इस मामले में दोनों ही आरोपी सुदूर पुणे में रहकर वहां नौकरी करते हैं. उनका बिजली बिल और आधार कार्ड भी महाराष्ट्र का है. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जागृति तिवारी को नोटिस जारी कर विशाल और उनकी पत्नी का नाम कार्रवाई से हटाने का निर्देश दिया है.

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Last Updated : Feb 5, 2025, 6:40 PM IST
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