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गंदगी को हराने स्वच्छता सिपाही बनीं महिलाएं, कचरे से बना रहीं 'सोना' - कचरे से बना सोना

जिला मुख्यालय कोंडागांव में 1 नवंबर 2017 से तीन मणि कांचन केंद्र या SLRM की स्थापना हुई है, जहां स्व सहायता समूह की 65 महिलाओं को स्वरोजगार मिला है. यहां कचरे का कंपोस्ट खाद बनाया जाता है.

स्वच्छता सिपाही कचरे से बना रहीं 'सोना'
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Published : Oct 10, 2019, 10:53 AM IST

Updated : Oct 18, 2019, 7:40 AM IST

कोंडागांव: गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाना स्वच्छता सिपाहियों के लिए सोना बनाने से कम नहीं है. स्वच्छता की मिसाल पेश करते हुए ये स्व सहायता समूह की महिलाएं गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बना रही हैं. चंद रुपयों के खातिर प्रतिदिन तेज बद्बू के बीच काम करती ये महिलाएं सही मायने में स्वच्छता की असली सिपाही हैं.

SLRM सेंटर कोंडागांव

जिला मुख्यालय कोंडागांव में 1 नवंबर 2017 से तीन मणि कांचन केंद्र या SLRM की स्थापना हुई है, जहां स्व सहायता समूह की 65 महिलाओं को स्वरोजगार मिला है.

स्वच्छता सिपाही ने बताई पूरी प्रक्रिया
मणि कांचन केंद्र में कार्यरत विमला कुलदीप ने बताया कि, 'हम महिलाएं प्रतिदिन शहर के वार्डों में जाकर घर-घर से कचरा संग्रहित कर रिक्शे से मणि कांचन केंद्र या क्लीन सेंटर में लाती हैं.'

  • केंद्र की सभी महिलाएं कचरे को छांटकर कचरे से प्लास्टिक, लोहा, लकड़ी, कागज, गत्ता आदी सूखे कचरे को अलग करती हैं.
  • सूखे कचरे को बेचकर टीम प्रतिमाह बोनस की तरह 70 से 80 हजार रुपए कमाती है.
  • गीले कचरे, पेड़ पौधों की पत्तियां और फलों के छिलके से कंपोस्ट खाद बनाया जाता है.
  • प्रतिदिन लगभग 4.5 क्विंटल कचरा निकलता है, जिसमें लगभग तीन क्विंटल गीले कचरे का कंपोस्ट खाद बनाने में उपयोग किया जाता है.
  • इसके बाद कंपोस्ट खाद को 10 रुपए प्रति किलो की दर से जरुरतमंदों और किसानों को बेचा जाता है.

स्वच्छता सिपाहियों का रखा जाता है ख्याल
विमला कुलदीप ने बताया कि, सेंटर में अगर कभी स्व सहायता कार्यकर्ताओं की तबीयत खराब हो जाती है, तो उनका बेहतर ख्याल रखा जाता है. डॉक्टर से जांच कर नियमित इलाज कराया जाता है.
महिलाओं को जूते, दास्ताने और मास्क दिए गए हैं ताकि वो प्रदूषण के प्रभाव से बची रहें. शहर को स्वस्थ रखने वाली महिलाएं खुद स्वस्थ रहे, यह जिम्मेदारी प्रशासन ने ली है.

पढ़ें- कोंडागांव : महिलाओं की आय के साथ-साथ सम्मान भी बढ़ा रहीं चूड़ियां

5 से 7 क्विंटल गीले कचरे से बनता है खाद
CMO सूरज सिदार का कहना है कि, 'धीरे-धीरे जिले के लोग भी स्वच्छता सिपाही से जुड़ रहे हैं. 22 वार्डों को स्वच्छता सिपाही कवर करते हैं. देखा जाए तो 6 से 7 वार्डों को एक SLRM सेंटर कवर करता है. 5 से 7 क्विंटल गीले कचरे से खाद बनता है, जिसे बेचा जाता है.'

कोंडागांव: गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाना स्वच्छता सिपाहियों के लिए सोना बनाने से कम नहीं है. स्वच्छता की मिसाल पेश करते हुए ये स्व सहायता समूह की महिलाएं गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बना रही हैं. चंद रुपयों के खातिर प्रतिदिन तेज बद्बू के बीच काम करती ये महिलाएं सही मायने में स्वच्छता की असली सिपाही हैं.

SLRM सेंटर कोंडागांव

जिला मुख्यालय कोंडागांव में 1 नवंबर 2017 से तीन मणि कांचन केंद्र या SLRM की स्थापना हुई है, जहां स्व सहायता समूह की 65 महिलाओं को स्वरोजगार मिला है.

स्वच्छता सिपाही ने बताई पूरी प्रक्रिया
मणि कांचन केंद्र में कार्यरत विमला कुलदीप ने बताया कि, 'हम महिलाएं प्रतिदिन शहर के वार्डों में जाकर घर-घर से कचरा संग्रहित कर रिक्शे से मणि कांचन केंद्र या क्लीन सेंटर में लाती हैं.'

  • केंद्र की सभी महिलाएं कचरे को छांटकर कचरे से प्लास्टिक, लोहा, लकड़ी, कागज, गत्ता आदी सूखे कचरे को अलग करती हैं.
  • सूखे कचरे को बेचकर टीम प्रतिमाह बोनस की तरह 70 से 80 हजार रुपए कमाती है.
  • गीले कचरे, पेड़ पौधों की पत्तियां और फलों के छिलके से कंपोस्ट खाद बनाया जाता है.
  • प्रतिदिन लगभग 4.5 क्विंटल कचरा निकलता है, जिसमें लगभग तीन क्विंटल गीले कचरे का कंपोस्ट खाद बनाने में उपयोग किया जाता है.
  • इसके बाद कंपोस्ट खाद को 10 रुपए प्रति किलो की दर से जरुरतमंदों और किसानों को बेचा जाता है.

स्वच्छता सिपाहियों का रखा जाता है ख्याल
विमला कुलदीप ने बताया कि, सेंटर में अगर कभी स्व सहायता कार्यकर्ताओं की तबीयत खराब हो जाती है, तो उनका बेहतर ख्याल रखा जाता है. डॉक्टर से जांच कर नियमित इलाज कराया जाता है.
महिलाओं को जूते, दास्ताने और मास्क दिए गए हैं ताकि वो प्रदूषण के प्रभाव से बची रहें. शहर को स्वस्थ रखने वाली महिलाएं खुद स्वस्थ रहे, यह जिम्मेदारी प्रशासन ने ली है.

पढ़ें- कोंडागांव : महिलाओं की आय के साथ-साथ सम्मान भी बढ़ा रहीं चूड़ियां

5 से 7 क्विंटल गीले कचरे से बनता है खाद
CMO सूरज सिदार का कहना है कि, 'धीरे-धीरे जिले के लोग भी स्वच्छता सिपाही से जुड़ रहे हैं. 22 वार्डों को स्वच्छता सिपाही कवर करते हैं. देखा जाए तो 6 से 7 वार्डों को एक SLRM सेंटर कवर करता है. 5 से 7 क्विंटल गीले कचरे से खाद बनता है, जिसे बेचा जाता है.'

Intro:गीले कचरे से कंपोस्ट खाद का निर्माण करना स्वच्छता सिपाहियों के लिए सोने से कम नहीं है। स्वच्छता की मिसाल पेश करते हुए स्व सहायता समूह की महिलाएं गीले कचरे से कंपोस्ट खाद का निर्माण कर रही है। चंद रुपयों की खातिर प्रतिदिन तीव्र बदबू के बीच कार्य करती ये महिलाएं स्वच्छता के असली सिपाही है।
Body:जिला मुख्यालय कोंडागांव में 1 नवंबर 2017 से 3 मणि कांचन केंद्र या एस एल आर एम की स्थापना हुई है। जहां स्वसहायता समूह की 65 महिलाओं को स्वरोजगार प्राप्त हो रहा है। मणि कांचन केंद्र में कार्यरत विमला कुलदीप ने बताया कि हम महिलाएं प्रतिदिन शहर के वार्डों में जाकर घर- घर से कचरा संग्रहित कर रिक्शा से मणीकांचन केंद्र या क्लीन सेंटर में लाती है । केंद्र की सभी महिलाएं कचरे को छांट कर कचरे से प्लास्टिक ,लोहा ,लकड़ी कागज ,खड्डे आदी सूखे कचरे को अलग करते हैं। सूखे कचरे को बेचकर प्रति माह बोनस की तरह 70 से 80 हजार रूपये का आय प्राप्त होता है । गीले कचरे पेड़ पौधों की पत्तियां ,फलों के छिलके आदि से कंपोस्ट खाद बनाते है।प्रतिदिन लगभग 4.5 क्विंटल कचरा निकलता है। जिनमे निकलने वाला लगभग तीन क्विंटल गीले कचरे का कंपोस्ट खाद बनाने में उपयोग करते हैं। कंपोस्ट खाद को ₹10 प्रति किलो की दर से जरुरतमंदो व किसानों को बेचते हैं।

Byte_विमला कुलदीप, स्वच्छता सिपाहीConclusion:Byte_ सूरज सिदार ,मुख्य नगरपालिका अधिकारी कोंडागांव।

शहर में स्थापित 3 एस एल आर एम सेंटर से स्वयं सहायता समूहों की 65 महिलाओं को रोजगार से जोडा गया है। कंपोस्ट खाद को ₹10 प्रति किलो की दर से तथा बोनस की तरह सुखे कचरे को बेचकर 70 से 80 से हजार रूपये की आमदनी प्राप्त करते हैं। महिलाओं को जूते, ग्लोब,मास्क दी गई है ,तथा समय-समय पर महिलाओं का स्वास्थ्य जांच होता है । शहर को स्वस्थ रखने वाली महिलाएं खुद स्वस्थ रहे यह प्रशासन की जिम्मेदारी है।
Last Updated : Oct 18, 2019, 7:40 AM IST
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