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सिस्टम और बारिश की मार ने बना दिया लाचार, एक साथ पढ़ने को मजबूर हैं दो क्लास के छात्र - बारिश

मुख्य भवन में 4 कमरे हैं जिसमें एक कक्ष में शिक्षकों का स्टाफ बैठता है दूसरे कक्ष में छठवीं, तीसरे कक्ष में सातवीं की क्लास लगती थी और चौथे में क्लर्क स्टाफ व अन्य सामग्रियां रखी हुई थीं.

स्कूल में पढ़ते बच्चे
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Published : Aug 30, 2019, 11:57 PM IST

Updated : Aug 31, 2019, 3:26 PM IST

कोंडागांव: जिले की कोकोड़ी गांव में मौजूद सरकारी हाईस्कूल का मुख्य भवन जर्जर हो चुका है. इस वजह से स्कूल की तीन कक्षाओं को दूसरे भवन में संचालित किया जा रहा है.

जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर बच्चे
मुख्य भवन में 4 कमरे हैं जिसमें एक कक्ष में शिक्षकों का स्टाफ बैठता है दूसरे कक्ष में छठवीं, तीसरे कक्ष में सातवीं की क्लास लगती थी और चौथे में क्लर्क स्टाफ व अन्य सामग्रियां रखी हुई थीं.

बारिश की वजह से टूटी छत
इस मानसून अतिवृष्टि और लगातार हो रही बारिश से स्कूल भवन की छत ने जवाब दे दिया और सीपेज के कारण भवन के हर कमरे में पानी टपकने लगा और फिर मलबा भी इस संबंध में प्राचार्य व स्टाफ ने जिला शिक्षा और विकासखंड शिक्षाधिकारी को अवगत कराया लेकिन सिस्टम ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, इसके बाद शिक्षकों ने मजबूरन स्कूल भवन में मौजूद एक की कमरे में क्लास लगानी पड़ी.

पढ़ाई होगी है प्रभावित
स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक बताते हैं कि इस व्यवस्था से प्रभावित होती हैं लेकिन वो करें भी तो क्या, उनके पास कोई विकल्प न होने की वजह से इसी तरह से क्लास भी संचालित की जा रही है.

दो क्लास को एक साथ बैठाया जाता है
दरअसल मुख्य भवन में सीपेज और पानी टपकने की वजह से छठीं और सातवीं को एक साथ एक कमरे में ही बैठाकर पढ़ाया जा रहा है, छठी में 47 और सातवीं में 42 बच्चे दर्ज हैं.

ठीक से नहीं कर पाते हैं पढ़ाई
आलम यह है कि एक बेंच पर तीन से चार बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्रा बताते हैं कि 'इस तरह से न तो वो ढंग से बैठ पाते हैं और न ही पढ़ाई और लिखाई कर पाते हैं.
ऐसा नहीं है कि इससे पहले स्कूल प्रबंधन ने जिला प्रशासन को इस समस्या की जानकारी न दी हो. कई बार फरियाद के बाद भी प्रशासन ने नौनिहालों की सुध नहीं ली.

इंजीनियर ने भवन को जर्जर घोषित किया
कोकोड़ी पंचायत के जनप्रतिधियों ने इंजीनियर को बुलाकर भवन का सर्वे भी कराया था. इस दौरान इंजीनियर ने भवन का मुआयना कर बताया कि 'भवन की मरम्मत संभव नहीं है, क्योंकि भवन की दीवारों पर भी छत के साथ-साथ क्रैक्स आ चुके हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी ने कही ये बात
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि 'स्कूल प्रबंधन और पंचायत की ओर से मुख्य भवन के पीछे की जमीन पर भवन बनाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है, लेकिन प्रशासन ने इस पर भी कोई प्रतिक्रिया आज तक नहीं दी है.

कोंडागांव: जिले की कोकोड़ी गांव में मौजूद सरकारी हाईस्कूल का मुख्य भवन जर्जर हो चुका है. इस वजह से स्कूल की तीन कक्षाओं को दूसरे भवन में संचालित किया जा रहा है.

जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर बच्चे
मुख्य भवन में 4 कमरे हैं जिसमें एक कक्ष में शिक्षकों का स्टाफ बैठता है दूसरे कक्ष में छठवीं, तीसरे कक्ष में सातवीं की क्लास लगती थी और चौथे में क्लर्क स्टाफ व अन्य सामग्रियां रखी हुई थीं.

बारिश की वजह से टूटी छत
इस मानसून अतिवृष्टि और लगातार हो रही बारिश से स्कूल भवन की छत ने जवाब दे दिया और सीपेज के कारण भवन के हर कमरे में पानी टपकने लगा और फिर मलबा भी इस संबंध में प्राचार्य व स्टाफ ने जिला शिक्षा और विकासखंड शिक्षाधिकारी को अवगत कराया लेकिन सिस्टम ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, इसके बाद शिक्षकों ने मजबूरन स्कूल भवन में मौजूद एक की कमरे में क्लास लगानी पड़ी.

पढ़ाई होगी है प्रभावित
स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक बताते हैं कि इस व्यवस्था से प्रभावित होती हैं लेकिन वो करें भी तो क्या, उनके पास कोई विकल्प न होने की वजह से इसी तरह से क्लास भी संचालित की जा रही है.

दो क्लास को एक साथ बैठाया जाता है
दरअसल मुख्य भवन में सीपेज और पानी टपकने की वजह से छठीं और सातवीं को एक साथ एक कमरे में ही बैठाकर पढ़ाया जा रहा है, छठी में 47 और सातवीं में 42 बच्चे दर्ज हैं.

ठीक से नहीं कर पाते हैं पढ़ाई
आलम यह है कि एक बेंच पर तीन से चार बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्रा बताते हैं कि 'इस तरह से न तो वो ढंग से बैठ पाते हैं और न ही पढ़ाई और लिखाई कर पाते हैं.
ऐसा नहीं है कि इससे पहले स्कूल प्रबंधन ने जिला प्रशासन को इस समस्या की जानकारी न दी हो. कई बार फरियाद के बाद भी प्रशासन ने नौनिहालों की सुध नहीं ली.

इंजीनियर ने भवन को जर्जर घोषित किया
कोकोड़ी पंचायत के जनप्रतिधियों ने इंजीनियर को बुलाकर भवन का सर्वे भी कराया था. इस दौरान इंजीनियर ने भवन का मुआयना कर बताया कि 'भवन की मरम्मत संभव नहीं है, क्योंकि भवन की दीवारों पर भी छत के साथ-साथ क्रैक्स आ चुके हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी ने कही ये बात
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि 'स्कूल प्रबंधन और पंचायत की ओर से मुख्य भवन के पीछे की जमीन पर भवन बनाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है, लेकिन प्रशासन ने इस पर भी कोई प्रतिक्रिया आज तक नहीं दी है.

Intro:



छतों से लगातार टपक रहा पानी, छत से गिरता है कभी-कभी मलबा....
आखिरकार कोकोड़ी पंचायत के बच्चों ने मुख्य स्कूल भवन ही छोड़ दिया और अतिरिक्त कक्ष में ही एडजस्ट करके कर रहे पढ़ाई....

Body:जहां एक ओर कोंडागांव जिला महत्वाकांक्षी जिले के रूप में पूरे भारत में वाहवाही बटोर रहा है वही हम आपको ले चलते हैं जिला मुख्यालय से महज 6 से 8 किलोमीटर पर कोकोडी पंचायत,
यह वही पंचायत है जहां पर मक्का प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाया जाना है, जिला मुख्यालय से 10 मिनट की दूरी पर सटा पंचायत कोकोड़ी का शासकीय हाई स्कूल का मुख्य भवन अब इतना जर्जर हो चुका है कि शिक्षकों ने बच्चों की तीन कक्षाओं को अतिरिक्त भवन में स्थानांतरित कर दिया। मुख्य भवन में 4 कमरे हैं जिसमें एक कक्ष में शिक्षकों का स्टाफ बैठता है दूसरे कक्ष में छठवीं, तीसरे कक्ष में सातवीं की क्लास संचालित होती थी व चौथे कक्ष में क्लर्क स्टाफ व अन्य सामग्रियां रखी हुई थी।
इस मानसून अतिवृष्टि और लगातार हो रही बारिश से स्कूल भवन की छत ने जवाब दे दिया और सीपेज के कारण भवन के हर कमरे में पानी टपकने लगा और फिर मलबा भी इस संबंध में प्राचार्य व स्टाफ ने जिला शिक्षा अधिकारी व विकास खंड शिक्षा अधिकारी दोनों को ही बार-बार अवगत कराया पर आज तक कोई भी उचित कार्यवाही या किसी भी तरह की कोई व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं किए जाने पर स्कूल प्रबंधन ने दोनों कक्षाओं को अतिरिक्त भवन के एक कक्ष में ही शिफ्ट कर पढ़ाना शुरू किया।


बाइट_स्कूल के छात्र- छात्राएं,
One to one_ शिक्षक गौतम चौधरीConclusion:बच्चे व स्टाफ बताते हैं कि इस व्यवस्था से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है पर क्या करें और कोई विकल्प न होने की वजह से ऐसे ही क्लास संचालित की जा रही है दरअसल मुख्य भवन में सीपेज व पानी टपकने की वजह से छठवीं सातवीं को एक साथ एक कक्ष में ही बिठाकर पढ़ाया जा रहा है , जहां छठवीं में 47 व सातवीं में 42 बच्चे हैं ।
एक बेंच पर तीन से चार बच्चों को बिठाकर पढ़ाया जा रहा है बच्चे बताते हैं कि इस तरह से ना ढंग से बैठा जाता है और ना ही लिखा पढ़ा जाता है।
ऐसा नहीं है कि इससे पूर्व स्कूल प्रबंधन ने जिला प्रशासन को इस विषय से अवगत न कराया हो, कई बार प्रबंधन ने स्कूल के मुख्य भवन के जर्जर होने की सूचना दी है पर प्रशासन लगता है किसी दुर्घटना के इंतजार में मौन साधे है।
पंचायत कोकोड़ी द्वारा इंजीनियर को बुलाकर भवन का सर्वे भी कराया जा चुका है जिसमें इंजीनियर ने भवन का मुआयना कर बताया कि भवन की मरम्मत संभव नहीं क्योंकि भवन की दीवारों पर भी छत के साथ-साथ क्रैक्स आ चुके हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी से पूछे जाने पर उन्होंने अभी भी इस भवन की मरम्मत की बात कही है जबकि स्कूल प्रबंधन व पंचायत द्वारा मुख्य भवन के पीछे की जमीन पर भवन बनाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है, पर प्रशासन ने इस पर भी कोई प्रतिक्रिया आज तक नहीं दी है।
शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मसले पर उच्च अधिकारियों की अनदेखी ,अंकेक्षण टीम गठित होने के महीनों बाद जिले में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली,शिक्षा व्यवस्था को पंगु बनाकर
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़,
जिम्मेदार कौन?
जिला प्रशासन के लिए भी प्रश्न चिन्ह।
Last Updated : Aug 31, 2019, 3:26 PM IST
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