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ऐसा क्या है कोंडागांव के इस गांव में कि कभी नहीं खुलता पंचायत भवन का ताला - पंचायत भवन

कोंडागांव के ग्राम पंचायत सुकुरपाल के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव के सरपंच और सचिव लापता है. ना ही वे कभी पंचायत भवन पहुंचे और ना ही कभी गांव वालों से मिले. ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव में गांव में किसी भी तरह के विकास कार्यों में रूचि नहीं लेते हैं.

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ग्राम पंचायत सुकुरपाल
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Published : Jun 9, 2021, 1:48 PM IST

Updated : Jun 9, 2021, 2:21 PM IST

कोंडागांव: गांव के विकास के लिए पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System) लागू है पर इस व्यवस्था को गांव के सरपंच और सचिव (Sarpanch and Secretary) ही पलीता लगाते नजर आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला कोंडागांव जिला मुख्यालय (Kondagaon District Headquarters) से लगभग 20 किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग से सटे ग्राम पंचायत सुकुरपाल (Gram Panchayat Sukurpal) में देखने को मिला. यहां पंचायती राज व्यवस्था और पंचायत भगवान भरोसे चल रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि यहां पंचायत भवन (Panchayat Bhawan) केवल नाम मात्र का ही है. ना यहां कभी सरपंच आते हैं और ना ही सचिव.

ग्राम पंचायत सुकुरपाल में विकासकार्यों की कमी

ग्रामीणों ने बताया कि अभी कुछ महीने पहले नए सचिव की यहां नियुक्ति हुई है. ग्रामीणों ने ना उन्हें देखा है ना ही उनका नाम जानते हैं. सोमवार को ग्रामीण सचिवालय (Rural Secretariat) लगाना होता है. जिसमें सचिव-सरपंच-पंच ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू होकर उनकी समस्याओं का निदान करते हैं और नई-नई योजनाओं के बारे में ग्रामीणों को बताते हैं. लेकिन इस गांव में ग्रामीण सचिवालय (Rural Secretariat) दिवस के दिन भी पंचायत भवन बंद रहता है. ग्रामीण इस आस में पंचायत भवन (Panchayat Bhawan) के बाहर बैठे शाम तक इंतजार करते रहते हैं लेकिन ना तो सरपंच आते है और ना ही सचिव का कोई पता रहता है.

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ग्राम पंचायत सुकुरपाल

बलरामपुर में अवैध रेत खनन मामले में चिंतामणि महाराज और कांग्रेस जिलाध्यक्ष आमने-सामने

सरपंच और सचिव की लापरवाही से नहीं हो रहा गांव का विकास

etv भारत से बात करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत सुकुरपाल (Gram Panchayat Sukurpal) में किसी तरह का विकास नहीं हो पा रहा है. पहले जो सचिव-सरपंच थे, उन्होंने भी गांव के विकास में कोई खास रुचि नहीं दिखाई. अब जो वर्तमान सचिव है ग्रामीणों ने तो उन्हें कभी देखा ही नहीं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क-नाली-पानी को लेकर बहुत सारी समस्याएं हैं पर सुनने वाला कोई नहीं है. उनका कहना है कि पंचायत भवन के सामने ही नाली और जल भराव की समस्या है. जिसका निदान नहीं हो पा रहा है. तो फिर गांव का क्या हाल होगा ?

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ग्राम पंचायत सुकुरपाल

गांव में सड़क, नाली की दिक्कत

ग्रामीण लंबोदर बघेल, कांता प्रसाद कश्यप, संतु कश्यप, सनत कश्यप, चीतू राम नेताम, सहदेव कश्यप, सुदरु कश्यप ने बताया कि सुकुरपाल पंचायत में 6 मोहल्ले हैं. खास पारा, प्लाट पारा, मारी पारा, पंडित पारा, बालू ढोड़ा, भेलवा पदर है. गांव की आबादी 1210 है. जिसमें अनुसूचित जनजाति की आबादी 961, अनुसूचित जाति की आबादी 5 अन्य पिछड़ा वर्ग के 244 लोग रहते हैं. कुछ मोहल्लों में सीसी सड़क नहीं है. उचित राशन की दुकान भी नहीं है. नाली निर्माण की बहुत ज्यादा आवश्यकता है. इस मामले में गांव की सरपंच अश्विनी बघेल और सचिव केजूराम गंजोरिया से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका.

कोंडागांव: गांव के विकास के लिए पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System) लागू है पर इस व्यवस्था को गांव के सरपंच और सचिव (Sarpanch and Secretary) ही पलीता लगाते नजर आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला कोंडागांव जिला मुख्यालय (Kondagaon District Headquarters) से लगभग 20 किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग से सटे ग्राम पंचायत सुकुरपाल (Gram Panchayat Sukurpal) में देखने को मिला. यहां पंचायती राज व्यवस्था और पंचायत भगवान भरोसे चल रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि यहां पंचायत भवन (Panchayat Bhawan) केवल नाम मात्र का ही है. ना यहां कभी सरपंच आते हैं और ना ही सचिव.

ग्राम पंचायत सुकुरपाल में विकासकार्यों की कमी

ग्रामीणों ने बताया कि अभी कुछ महीने पहले नए सचिव की यहां नियुक्ति हुई है. ग्रामीणों ने ना उन्हें देखा है ना ही उनका नाम जानते हैं. सोमवार को ग्रामीण सचिवालय (Rural Secretariat) लगाना होता है. जिसमें सचिव-सरपंच-पंच ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू होकर उनकी समस्याओं का निदान करते हैं और नई-नई योजनाओं के बारे में ग्रामीणों को बताते हैं. लेकिन इस गांव में ग्रामीण सचिवालय (Rural Secretariat) दिवस के दिन भी पंचायत भवन बंद रहता है. ग्रामीण इस आस में पंचायत भवन (Panchayat Bhawan) के बाहर बैठे शाम तक इंतजार करते रहते हैं लेकिन ना तो सरपंच आते है और ना ही सचिव का कोई पता रहता है.

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ग्राम पंचायत सुकुरपाल

बलरामपुर में अवैध रेत खनन मामले में चिंतामणि महाराज और कांग्रेस जिलाध्यक्ष आमने-सामने

सरपंच और सचिव की लापरवाही से नहीं हो रहा गांव का विकास

etv भारत से बात करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत सुकुरपाल (Gram Panchayat Sukurpal) में किसी तरह का विकास नहीं हो पा रहा है. पहले जो सचिव-सरपंच थे, उन्होंने भी गांव के विकास में कोई खास रुचि नहीं दिखाई. अब जो वर्तमान सचिव है ग्रामीणों ने तो उन्हें कभी देखा ही नहीं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क-नाली-पानी को लेकर बहुत सारी समस्याएं हैं पर सुनने वाला कोई नहीं है. उनका कहना है कि पंचायत भवन के सामने ही नाली और जल भराव की समस्या है. जिसका निदान नहीं हो पा रहा है. तो फिर गांव का क्या हाल होगा ?

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ग्राम पंचायत सुकुरपाल

गांव में सड़क, नाली की दिक्कत

ग्रामीण लंबोदर बघेल, कांता प्रसाद कश्यप, संतु कश्यप, सनत कश्यप, चीतू राम नेताम, सहदेव कश्यप, सुदरु कश्यप ने बताया कि सुकुरपाल पंचायत में 6 मोहल्ले हैं. खास पारा, प्लाट पारा, मारी पारा, पंडित पारा, बालू ढोड़ा, भेलवा पदर है. गांव की आबादी 1210 है. जिसमें अनुसूचित जनजाति की आबादी 961, अनुसूचित जाति की आबादी 5 अन्य पिछड़ा वर्ग के 244 लोग रहते हैं. कुछ मोहल्लों में सीसी सड़क नहीं है. उचित राशन की दुकान भी नहीं है. नाली निर्माण की बहुत ज्यादा आवश्यकता है. इस मामले में गांव की सरपंच अश्विनी बघेल और सचिव केजूराम गंजोरिया से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका.

Last Updated : Jun 9, 2021, 2:21 PM IST
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