कोंडागांव: बस्तर की झीरम घाटी, जहां 7 साल पहले, 25 मई 2013 को नक्सलियों ने सबसे बड़ा नरसंहार किया था. कांग्रेस के बड़े नेता परिवर्तन यात्रा निकाल रहे थे. यात्रा के दौरान दरभा घाटी के झीरम इलाके में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले को निशाना बनाया और माटी खून से लाल कर दी थी.
छत्तीसगढ़ के इतिहास में इस घटना को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. इस हमले की चश्मदीद राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने ETV भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उनकी आंखें नम हो गईं.
'उस मंजर को याद कर रूह कांप उठती है'
झीरम घाटी के हमले को 7 साल पूरे हो गए हैं. राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम से खास बातचीत में कहा कि, 'आज भी मैं उस मंजर को याद करती हूं, तो मेरी रूह कांप उठती है. मेरे सामने ही नक्सलियों ने हमारे नेताओं की हत्या कर दी थी. इस घटना को 7 साल पूर्ण हो गए हैं, लेकिन अब तक इस घटना की जांच पूरी नहीं हुई है.'
फूलोदेवी ने झीरम हत्याकांड को बताया बीजेपी की साजिश
फूलोदेवी नेताम ने कहा कि घटना के समय बीजेपी सत्ता में थी, लेकिन उनके कार्यकाल के इतने सालों में भी इस घटना में शहीद हुए लोगों को अब तक इंसाफ नहीं मिल पाया है. नेताम ने इस घटना के पीछे बीजेपी का हाथ होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि, 'बीजेपी ने जानबूझकर इस घटना की जांच सही तरीके से नहीं कराई है. जिससे साफ पता चलता है कि कहीं न कहीं बीजेपी इस हत्याकांड के साजिश में शामिल थी'.
भूपेश सरकार पूरी करेगी जांच प्रक्रिया
फूलोदेवी नेताम ने कहा कि अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. झीरम घाटी में हुए हत्याकांड की जांच के लिए SIT की टीम गठित की गई है. जल्द मामले की जांच पूरी होगी और इस हमले के दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.
परिवर्तन यात्रा पर हुआ था हमला
बता दें कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा शुरू की गई थी. जिसमें प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता शामिल थे.
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सुकमा में कार्यक्रम करने के बाद पूरा काफिला वापस लौट रहा था, तभी झीरम घाटी में नक्सलियों ने घात लगाकर काफिले पर हमला किया. जिसमें कांग्रेस के कई दिग्गज महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, उदय मुदलियार शहीद हो गए थे.