कोंडागांव: जिले के अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में से एक कड़ेनार गांव दुर्गम पहाड़ियों और जंगलों के बीच बसा है. यहां एक खास जनजाति के लोग निवास करते हैं. इस गांव में शासन की कई योजनाएं आने से पहले ही दम तोड़ देती है. इस इलाके में लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिलता है. यहां के लोग सदियों से प्राकृतिक झिरिया का पानी पीते आये हैं. जिससे ये हमेशा बीमार भी पड़ते रहते हैं, लेकिन इनके पास और कोई विकल्प नहीं है, लेकिन इस बार इनके लिए शासन ने एक अच्छा काम किया है.
इस गांव की बदहाली के बारे में कुछ दिनों पहले पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा को बताया था. इसके बाद कलेक्टर ने गांव में हैंडपंप लगाने के आदेश दिए थे. कलेक्टर के आदेश के बाद नल लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. जिसे आज अमलीजामा पहना दिया गया है.
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बोरिंग वाहनों को पहुंचाना था मुश्किल
इंजीनियर जेएल माहला ने बताया कि इस क्षेत्र में चट्टानी संरचना और घने जंगलों के कारण यहां बोरिंग वाहनों को पहुंचाना मुश्किल था. लेकिन, उनकी टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद बोरिंग वाहन को गांव तक पहुंचाया और गांव में बोर कर हैंडपंप लगाया है.