कोंडागांव: जिला मुख्यालय कोंडागांव से 25 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जोबा के प्राथमिक शाला में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही (negligence of education department) देखी गई. जहां एक ओर शासन-प्रशासन के नियम अनुसार 16 जून को स्कूल खोल कर सिर्फ शिक्षकों को आने के आदेश दिए गए थे. वहीं बड़े उसरी के प्राथमिक शाला में देखा गया कि स्कूली बच्चों को 16 जून को भी बुलाया गया. जहां बच्चे सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक क्लास में बैठे रहे.
17 जून को भी स्कूल लगाया गया और बच्चे क्लास में पढ़ते नजर आए. इस दौरान ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया ना ही बच्चों के चेहरे पर कोई मास्क लगा हुआ था. इतना ही नहीं स्कूल में 2 शिक्षिका एस. बघेल और वंदना दुबे पढ़ा भी रही थी. बच्चों ने बताया कि कल तो दोनों शिक्षक आए थे लेकिन गुरुवार को 11 बजे तक कोई भी शिक्षक नहीं आया है.
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गांव के सरपंच सुदरु कश्यप ने भी बताया कि उनके पंचायत में 5 प्राइमरी स्कूल, एक मिडिल स्कूल और एक हाई स्कूल है. जहां अभी केवल शिक्षकों का आना अनिवार्य किया गया है. शासन के अगले आदेश के बाद ही स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई शुरू होगी.
शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य
संकुल समन्वयक रामू राम सिन्हा ने बताया कि 16 जून से स्कूल खोले जा रहे हैं. शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य है. लेकिन अभी स्कूली छात्रों का आना शासन-प्रशासन के निर्देशानुसार वर्जित है. संकुल केंद्र में शिक्षकों को बुलाकर छात्रों के लिए गणवेश दिए जा रहे हैं. जिसे आगामी आदेश के बाद वितरित किया जाएगा.
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खतरा अभी टला नहीं
कोंडागांव जिले में करीब 220 एक्टिव मरीज हैं. कोरोना मरीजों की संख्या भले ही कम हुई है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. ऐसे में शिक्षा विभाग की लापरवाही बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे प्रभावित हो सकते हैं. इस मामले में ईटीवी भारत की टीम ने जिला शिक्षा अधिकारी संपर्क करना चाहा, लेकिन उनसे संपर्क ही नहीं हो सका.