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केशकाल: संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा कमरछठ व्रत, पूजा कर मांगी सुख-समृद्धि

केशकाल में माताओं ने रविवार को अपने संतान की दीर्घायु के लिए कमरछठ का व्रत रखा. माताओं ने बच्चों की पीठ पर छुई का पोता लगाकर इनकी लंबी उम्र की कामना की.

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माताओं ने बच्चों की लंबी उम्र की कामना की
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Published : Aug 10, 2020, 12:33 AM IST

केशकाल: केशकाल में माताओं ने रविवार को अपने संतान की दीर्घायु के लिए कमरछठ (हलषष्ठी) का व्रत रखा. सगरी बनाकर उसमें जल डालकर पूजा अर्चना की. माताओं ने बच्चों की पीठ पर छुई का पोता लगाकर इनकी लंबी उम्र की कामना की.

Mothers fasted for longevity of their children in kondagaon
संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने व्रत

इस अवसर पर केशकाल नगर भर में कई जगहों पर महिलाओं ने पूजा-अर्चना किया. पंडितों ने विधि विधान से पूजा करवाई. महिलाओं ने पूजा के लिए बनाई गई सगरी (तालाब कुंड) की परिक्रमा की और गीत गाए. साथ ही कुंड के चारों ओर मुरबेरी का पेड़, ताग, पलाटा की शाखा बांधकर हरछठ को गाड़ा और भगवान गणेश, शंकर, माता पार्वती की पूजा की.

Mothers fasted for longevity of their children in kondagaon
माताओं ने पूजा कर मांगी बच्चों के लिए सुख-समृद्धि

प्रसाद को ग्रहण कर महिलाओं ने व्रत तोड़ा

इसके अलावा पूजा के दौरान पसहर चावल के व्यंजन का भोग लगाया. साथ ही महुआ, चना, भैंस के दूध, दही, घी, जौ, गेहूं, धान मक्का आदि भी अर्पित कर पूजा अर्चना की. पूजा में पसहर चावल और छह प्रकार की भाजी का भोग लगाया गया. साथ ही प्रसाद को ग्रहण कर महिलाओं ने व्रत तोड़ा.

बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है हलषष्ठी

बता दें कि कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन श्री बलरामजी का जन्म हुआ था. यह व्रत संतान की लम्बी आयु के लिए माताएं रखती हैं.

केशकाल: केशकाल में माताओं ने रविवार को अपने संतान की दीर्घायु के लिए कमरछठ (हलषष्ठी) का व्रत रखा. सगरी बनाकर उसमें जल डालकर पूजा अर्चना की. माताओं ने बच्चों की पीठ पर छुई का पोता लगाकर इनकी लंबी उम्र की कामना की.

Mothers fasted for longevity of their children in kondagaon
संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने व्रत

इस अवसर पर केशकाल नगर भर में कई जगहों पर महिलाओं ने पूजा-अर्चना किया. पंडितों ने विधि विधान से पूजा करवाई. महिलाओं ने पूजा के लिए बनाई गई सगरी (तालाब कुंड) की परिक्रमा की और गीत गाए. साथ ही कुंड के चारों ओर मुरबेरी का पेड़, ताग, पलाटा की शाखा बांधकर हरछठ को गाड़ा और भगवान गणेश, शंकर, माता पार्वती की पूजा की.

Mothers fasted for longevity of their children in kondagaon
माताओं ने पूजा कर मांगी बच्चों के लिए सुख-समृद्धि

प्रसाद को ग्रहण कर महिलाओं ने व्रत तोड़ा

इसके अलावा पूजा के दौरान पसहर चावल के व्यंजन का भोग लगाया. साथ ही महुआ, चना, भैंस के दूध, दही, घी, जौ, गेहूं, धान मक्का आदि भी अर्पित कर पूजा अर्चना की. पूजा में पसहर चावल और छह प्रकार की भाजी का भोग लगाया गया. साथ ही प्रसाद को ग्रहण कर महिलाओं ने व्रत तोड़ा.

बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है हलषष्ठी

बता दें कि कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन श्री बलरामजी का जन्म हुआ था. यह व्रत संतान की लम्बी आयु के लिए माताएं रखती हैं.

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