कोंडागांव : जिले का धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहां नक्सलियों के डर से लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया था. वहां के बच्चे आज वर्चुअल क्लास के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं हड़ेली गांव की यहां बच्चे रोज स्कूल आकर पढ़ाई कर रहे हैं. इस गांव में ITBP के जवान बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. कोंडागांव एसपी सिद्धार्थ तिवारी और ITBP 41वीं वाहिनी के कमांडेंट पवन सिंह के निर्देशन, कंपनी कमांडर कैम्प हड़ेली पवन कुमार के नेतृत्व में बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ाने की पहल की जा रही है.
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शाम को ITBP के जवान वर्चुअल क्लास का आयोजन करते हैं. स्नातक स्तर के प्रशिक्षित जवान बच्चों को पढ़ाते हैं. इसमें विभिन्न ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम के लिए यूट्यूब और ई-लर्निंग वेबसाइटों का उपयोग किया जा रहा है. जो बच्चों को मनोरंजन के साथ ज्ञान भी देता है. इस क्लास में शुरुआत के 1-2 दिनों में सिर्फ हड़ेली के बच्चे ही आ रहे थे. आस-पास के लोगों को इसकी जानकारी मिली तब वो भी अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने लगे. इस समय कुल 30 बच्चे रोज आकर पढ़ाई करते हैं.
सप्ताह बाद छात्रों का अलग-अलग उनके पाठ्यक्रम के आधार पर 3 समूह बनाया जाएगा.
- पहला समूह - एलकेजी से चौथी कक्षा तक
- दूसरा समूह - कक्षा 5 वीं से 7 वीं तक
- तीसरा समूह - कक्षा 8वीं और उससे ऊपर
हड़ेली में 4 गांव हड़ेली, एहकली , मर्कमपाल और हंदापाल आते हैं. ग्राम हड़ेली में कुल जनसंख्या लगभग 400 की है. जिसमें महिला पुरुष का अनुपात 50-50 है. हड़ेली में चार पारा - स्कूल पारा, हरिजन पारा, जोहर पानी, तीतर पारा आते हैं. इस गांव में नक्सलवाद सर चढ़कर बोलता था. इन क्षेत्रों में नक्सलियों की ही धमक थी. शासन-प्रशासन की पहुंच यहां कम होने से नक्सलवाद अपने पैर पसार चुका था.
गांव का हो रहा विकास
ITBP के कैंप स्थापना के बाद से यहां लगातार नक्सलियों से लोहा लेते हुए सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों को खदेड़ने लगे. ये जवान ग्रामीणों से सामंजस्य स्थापित कर विकास की राह बना रहे हैं. 3 साल पहले इन क्षेत्रों में आवाजाही बहुत ही कम थी. ना सड़क थे, ना पुल-पुलिया थे. नक्सलियों के कैंप स्थापना के बाद से यहां विकास की राह बनती गई. जहां पहले नक्सलियों की जन अदालतें लगती थी, वहां अब बाजार लगने लगे हैं. स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध ना होने के चलते ITBP के जवानों ने कैंप में ही एमआई रूम स्थापित किया है. जहां समय-समय पर यहां और आसपास के ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधाएं दी जाती है.
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नेटवर्क की समस्या
कोरोना काल में जहां एक ओर सारी दुनिया थम सी गई, वहीं बच्चों को शिक्षा से जुड़े रखने के लिए ऑनलाइन क्लास की सहायता ली गई. हड़ेली क्षेत्र में यह भी एक चुनौती का कार्य था. यहां पर नेटवर्क की समस्या बहुत ही ज्यादा है. सुरक्षा बल के जवानों ने इसे भी चुनौती की तरह लेते हुए इसका भी तोड़ निकाल लिया है.बेहतर नेटवर्क मिल सके इसके लिए डोंगल को रस्सी और बांस के सहारे से ऊंचाई पर ले जाते हैं. जिससे नेटवर्क स्थिर बना रहता है और बच्चों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अध्ययन कराया जाता है.
मनोरंजन के साथ पढ़ाई
कंपनी कमांडर पवन कुमार ने बताया कि हमें बच्चों को वर्चुअल क्लास से जोड़ने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. अब सुखद परिणाम आ रहे हैं कि बच्चे स्वयं ही वर्चुअल क्लास की ओर दौड़े चले आते हैं. इसका बहुत बड़ा कारण डिजिटल प्लेटफार्म से उनको मनोरंजन कराते हुए अध्ययन कराना है, उनकी रूचि के हिसाब से उनको यहां समय-समय पर खेल और अन्य एक्टिविटीज भी कराते हैं. जिससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह बना रहे.