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SPECIAL: छत्तीसगढ़ के इस किसान का काम देखकर मुरीद हो गए आयकर विभाग के अधिकारी - काली मिर्च और स्टिविया की खेती

कोंडागांव के राजाराम त्रिपाठी की सफलता की कहानी जानने दिल्ली से आयकर विभाग के अधिकारी टीम पहुंची.

IT के अधिकारी बन गए किसान के मुरीद
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Published : Aug 29, 2019, 11:46 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 1:29 PM IST

कोंडागांव: वैसे तो कानों में कोंडागांव का नाम गूंजते ही मन में नक्सलियों का खौफ झलकने लगता है, लेकिन एक किसान ने इन खौफनाक तस्वीरों के बीच लहलहाती फसल खड़ी कर दी. इस फसलों से ये किसान लाखों रुपए कमा रहा है, इनकी कामयाबी की कहानी ईटीवी भारत ने भी प्रमुखता से दिखाई थी, जिसके चलते कामयाबी की ये दास्तां छत्तीसगढ़ की गलियों को पार करते हुए दिल्ली के आयकर विभाग के दफ्तर तक पहुंच गई.

किसान के खेत तक पहुंचे अधिकारी

बस्तर के कोंडागांव जैसी जगह पर एक किसान प्रति एकड़ लाखों कमा रहा है, जबकि देश के ज्यादातर इलाकों में किसान घाटे में या कम मुनाफा लेकर संघर्ष कर रहे हैं. आखिर कैसे ये चमत्कार संभव हो पाया है इसके अध्ययन के लिए आयकर विभाग के प्रिंसिपल डीजी के सी घुमारिया ने कोंडागांव आने का फैसला किया.

पेड़ों पर लगी काली मिर्च की लताएं
आयकर विभाग की टीम जब राजाराम त्रिपाठी के फार्म हाउस पहुंची तो, पेड़ों पर लगी काली मिर्च की लताओं को देखकर दंग रह गए, सफेद मूसली, स्टीविया और पेड़ों पर लदी लच्छेदार काली मिर्च ने अधिकारियों का मन मोह लिया. अफसरों के मुंह से किसान राजाराम की तरीफें होने लगी. अफसरों ने कहा कि इस खेती से छत्तीसगढ़ के लोगों को जोड़ने की जरूरत है, जिससे किसानों की भला होगा. घुमारिया तो इतने प्रभावित नजर आए कि उन्होंने खुद भी रिटायरमेंट के बाद इसी तरह की खेती करने की इच्छा जताई.

किसान ने खेती में बहाया पसीना
बता दें कि डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने बैंक की नौकरी को छोड़ खेती में पसीना बहाने का फैसला किया, जो अब काली मिर्च और स्टिविया की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. इतना ही नहीं मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म नामक संस्था के प्रमुख भी हैं. इस संस्था के माध्यम से आस-पास के कई आदिवासी परिवार भी जुड़े हुए हैं और वे भी इस उन्नत विधि को सीखकर इस तरह की खेती कर रहे हैं.

कोंडागांव: वैसे तो कानों में कोंडागांव का नाम गूंजते ही मन में नक्सलियों का खौफ झलकने लगता है, लेकिन एक किसान ने इन खौफनाक तस्वीरों के बीच लहलहाती फसल खड़ी कर दी. इस फसलों से ये किसान लाखों रुपए कमा रहा है, इनकी कामयाबी की कहानी ईटीवी भारत ने भी प्रमुखता से दिखाई थी, जिसके चलते कामयाबी की ये दास्तां छत्तीसगढ़ की गलियों को पार करते हुए दिल्ली के आयकर विभाग के दफ्तर तक पहुंच गई.

किसान के खेत तक पहुंचे अधिकारी

बस्तर के कोंडागांव जैसी जगह पर एक किसान प्रति एकड़ लाखों कमा रहा है, जबकि देश के ज्यादातर इलाकों में किसान घाटे में या कम मुनाफा लेकर संघर्ष कर रहे हैं. आखिर कैसे ये चमत्कार संभव हो पाया है इसके अध्ययन के लिए आयकर विभाग के प्रिंसिपल डीजी के सी घुमारिया ने कोंडागांव आने का फैसला किया.

पेड़ों पर लगी काली मिर्च की लताएं
आयकर विभाग की टीम जब राजाराम त्रिपाठी के फार्म हाउस पहुंची तो, पेड़ों पर लगी काली मिर्च की लताओं को देखकर दंग रह गए, सफेद मूसली, स्टीविया और पेड़ों पर लदी लच्छेदार काली मिर्च ने अधिकारियों का मन मोह लिया. अफसरों के मुंह से किसान राजाराम की तरीफें होने लगी. अफसरों ने कहा कि इस खेती से छत्तीसगढ़ के लोगों को जोड़ने की जरूरत है, जिससे किसानों की भला होगा. घुमारिया तो इतने प्रभावित नजर आए कि उन्होंने खुद भी रिटायरमेंट के बाद इसी तरह की खेती करने की इच्छा जताई.

किसान ने खेती में बहाया पसीना
बता दें कि डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने बैंक की नौकरी को छोड़ खेती में पसीना बहाने का फैसला किया, जो अब काली मिर्च और स्टिविया की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. इतना ही नहीं मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म नामक संस्था के प्रमुख भी हैं. इस संस्था के माध्यम से आस-पास के कई आदिवासी परिवार भी जुड़े हुए हैं और वे भी इस उन्नत विधि को सीखकर इस तरह की खेती कर रहे हैं.

Intro:कोंडागांव. डॉ राजाराम त्रिपाठी बस्तर के इस किसान की कामयाबी से जुड़ी कई खबरें मीडिया में छपती रहती हैं. त्रिपाठी ने अपनी मेहनत और विवेक से कृषि से लाभ लेने का नया किर्तीमान गढ़ दिया है. वे कोंडागाव और असपास के अपने फार्म से सफेद मुसली, काली मिर्च और स्टिविया की खेती कर रहे हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. इंटरनेट के इस जमाने में उनकी सफलता की कहनी छत्तीसगढ़ की सीमाओं को पार करते हुए दिल्ली तक भी पहुंची और वहां आयकर विभाग को इसकी भनक लगी. जिस तरह से खबरों में बताया जा रहा कि एक किसान कैसे प्रति एकड़ लाखों कमा रहा है. जबकि देश के ज्यादातर इलाकों में किसान घाटे में या कम मुनाफा लेकर संघर्ष कर रहे हैं. आखिर बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित इलाके में कैसे इतना बड़ा चमत्कार संभव हो पाया है इसके अध्यन के लिए आयकर विभाग के प्रिंसिपल डीजी के सी घुमारिया ने कोंडागांव आने का फैसला किया. Body:डॉ राजाराम त्रिपाठी को जब आयकर विभाग के सबसे बड़े अधिकारियों में से एक के उनकी खेती देखने दिल्ली से आने की खबर लगी तो वे भी हैरान रह गए… उन्होंने डीजी और उनके साथ आए अधिकारियों को अपनी खेती के बारे में जानकारी दी और उनसे आग्रह किया कि खेत पर ही चलकर
खुद उनके काम और मुनाफे का आकलन करने का आग्रह किया… अधिकारियों की टीम जब उनके फार्म में पहुंची और लगे आस्ट्रेलियन टिक के पेड़ों पर लगी काली मिर्च की लताओं को देखकर दंग रह गई… अधिकारियों ने पाया कि करीब 70 फीट उंचे इन पेड़ों पर किस तरह काली मिर्च की लताएं 60 से 70 फीट तक लगी हुईं हैं साथ ही नीचे हल्दी की फसल भी है । वे इससे मिलने वाले मुनाफे का आंकलन कर खुश हो गए… जब उन्हें पता चला कि ये खेती पूरी तरह से हर्बल है… यहां किसी तरह के रासायनिक प्रेस्टिसाइज का इस्तेमाल नहीं होता ये जानकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । आयकर विभाग के प्रमुख महा निदेशक के सी घुमारिया ने डॉ त्रिपाठी से इस मॉडल से ज्यादा से ज्यादा अदिवासियों को जोड़ने की बात कही साथ ही खुद भी रिटायरमेंट के बाद इसी मॉडल पर खेती करने की इच्छा भी जताई ।
Conclusion:कौन हैं राजाराम त्रिपाठी
डॉ. राजाराम त्रिपाठी कोंडागांव के निवासी हैं. वे बैंक की नौकरी को छोड़ खेती में पसीना बहाने का फैसला किया, वे सफेद मुसली के उत्पादन के लिए चर्चे में रहे हैं. अब वे काली मिर्च और स्टिविया की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं साथ ही मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म नामक संस्था के प्रमुख हैं इस संस्था के माध्यम से आसपास के कई आदिवासी परिवार भी जुड़े हुए हैं और वे भी इस उन्नत विधि को सीखकर इस तरह की खेती कर रहे हैं। ईटीवी भारत ने पहले भी इस संस्था और बस्तर में काली मिर्च की खेती पर खबर प्रकाशित की थी।

बाइट – डॉ राजाराम त्रिपाठी, प्रमुख, मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म
Last Updated : Oct 16, 2019, 1:29 PM IST
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