कोंडागांव : जिले के ग्राम सल्फीपदर की महिलाओं ने घटते जंगलों को देखते हुए खुद ही पेड़ों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया है. ये महिलाएं दिन में 4 की और रात में 8 की संख्या में जंगलों में तैनात रहती हैं, ताकि कोई भी लकड़ी तस्कर पेड़ों को नुकसान न पहुंचा सके. महिलाओं की इस पहल से जंगल में लकड़ी तस्करों का आना खत्म हो गया है.
पुरुष भी दे रहे महिलाओं का साथ
गांव में शुरूआत में केवल महिलाएं ही समूह बनाकर वनों और पेड़ों की देखभाल व सुरक्षा कर रहीं थीं, लेकिन देखते ही देखते पुरुष भी इनके साथ पेड़ों की रक्षा में जुट गए हैं.अब इस कार्य को सामुदायिक वन सुरक्षा समिति बनाकर बढ़ाया जा रहा है.
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बनाई काली मिर्च की खेती करने की योजना
केरल से आए जलवायु विशेषज्ञों की टीम ने यहां की जलवायु को जांचा, जिसमें उन्होंने पाया कि कोंडागांव क्षेत्र की जलवायु एवं वातावरण काली मिर्च के उत्पादन के लिए अनुकूल है. जिस 900 एकड़ क्षेत्र की वन संपदा व इनके पेड़ों की देखभाल और रक्षा का जिम्मा ग्रामीणों ने उठाया है वहां तेंदू, टोरा, महुआ, चिरौंजी, साल के बीज और कई प्रकार के मौसमी फलों का उत्पादन यहां होता है. जलवायु अनुकूल होने के चलते अब ग्रामीणों ने 900 एकड़ में फैले जंगल में काली मिर्च की खेती करने की योजना बनाई है.
59 हजार 28 पेड़ों की गिनती पूरी
ग्राम के 72 परिवारों ने सल्फीपदर क्षेत्र के 900 एकड़ में फैले वन परिक्षेत्र के 59 हजार 28 पेड़ों की गिनती पूरी कर ली है. ये केवल बड़े पेड़ हैं जिनके नीचे काली मिर्च के पौधे रोपित किए जाने हैं, छोटे पेड़ों की गिनती अभी नहीं की गई है. काली मिर्च की लताएं बड़े पेड़ों के सहारे सीधे ऊपर की ओर जाती हैं इसलिए अभी 60 से 70 फीट तक के पेड़ों की गिनती की गई है.