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कोंडागांव : महिलाओं ने उठाया जंगल को बचाने का बीड़ा, 900 एकड़ में काली मिर्च की खेती की है योजना - जंगलों का विनाश

जिले के सल्फीपदर में महिलाओं ने वनों और पेड़ों को बचाने का बीड़ा उठाया है इसके लिए महिलाएं खुद इनकी रक्षा करती हैं.

महिलाओं ने उठाया वन सुरक्षा का बीड़ा
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Published : Aug 8, 2019, 12:34 PM IST

कोंडागांव : जिले के ग्राम सल्फीपदर की महिलाओं ने घटते जंगलों को देखते हुए खुद ही पेड़ों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया है. ये महिलाएं दिन में 4 की और रात में 8 की संख्या में जंगलों में तैनात रहती हैं, ताकि कोई भी लकड़ी तस्कर पेड़ों को नुकसान न पहुंचा सके. महिलाओं की इस पहल से जंगल में लकड़ी तस्करों का आना खत्म हो गया है.

महिलाओं ने उठाया वन सुरक्षा का बीड़ा

पुरुष भी दे रहे महिलाओं का साथ

गांव में शुरूआत में केवल महिलाएं ही समूह बनाकर वनों और पेड़ों की देखभाल व सुरक्षा कर रहीं थीं, लेकिन देखते ही देखते पुरुष भी इनके साथ पेड़ों की रक्षा में जुट गए हैं.अब इस कार्य को सामुदायिक वन सुरक्षा समिति बनाकर बढ़ाया जा रहा है.

पढ़ें : भारी बारिश से बीजापुर का बस्तर संभाग से कटा संपर्क

बनाई काली मिर्च की खेती करने की योजना
केरल से आए जलवायु विशेषज्ञों की टीम ने यहां की जलवायु को जांचा, जिसमें उन्होंने पाया कि कोंडागांव क्षेत्र की जलवायु एवं वातावरण काली मिर्च के उत्पादन के लिए अनुकूल है. जिस 900 एकड़ क्षेत्र की वन संपदा व इनके पेड़ों की देखभाल और रक्षा का जिम्मा ग्रामीणों ने उठाया है वहां तेंदू, टोरा, महुआ, चिरौंजी, साल के बीज और कई प्रकार के मौसमी फलों का उत्पादन यहां होता है. जलवायु अनुकूल होने के चलते अब ग्रामीणों ने 900 एकड़ में फैले जंगल में काली मिर्च की खेती करने की योजना बनाई है.

59 हजार 28 पेड़ों की गिनती पूरी

ग्राम के 72 परिवारों ने सल्फीपदर क्षेत्र के 900 एकड़ में फैले वन परिक्षेत्र के 59 हजार 28 पेड़ों की गिनती पूरी कर ली है. ये केवल बड़े पेड़ हैं जिनके नीचे काली मिर्च के पौधे रोपित किए जाने हैं, छोटे पेड़ों की गिनती अभी नहीं की गई है. काली मिर्च की लताएं बड़े पेड़ों के सहारे सीधे ऊपर की ओर जाती हैं इसलिए अभी 60 से 70 फीट तक के पेड़ों की गिनती की गई है.

कोंडागांव : जिले के ग्राम सल्फीपदर की महिलाओं ने घटते जंगलों को देखते हुए खुद ही पेड़ों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया है. ये महिलाएं दिन में 4 की और रात में 8 की संख्या में जंगलों में तैनात रहती हैं, ताकि कोई भी लकड़ी तस्कर पेड़ों को नुकसान न पहुंचा सके. महिलाओं की इस पहल से जंगल में लकड़ी तस्करों का आना खत्म हो गया है.

महिलाओं ने उठाया वन सुरक्षा का बीड़ा

पुरुष भी दे रहे महिलाओं का साथ

गांव में शुरूआत में केवल महिलाएं ही समूह बनाकर वनों और पेड़ों की देखभाल व सुरक्षा कर रहीं थीं, लेकिन देखते ही देखते पुरुष भी इनके साथ पेड़ों की रक्षा में जुट गए हैं.अब इस कार्य को सामुदायिक वन सुरक्षा समिति बनाकर बढ़ाया जा रहा है.

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बनाई काली मिर्च की खेती करने की योजना
केरल से आए जलवायु विशेषज्ञों की टीम ने यहां की जलवायु को जांचा, जिसमें उन्होंने पाया कि कोंडागांव क्षेत्र की जलवायु एवं वातावरण काली मिर्च के उत्पादन के लिए अनुकूल है. जिस 900 एकड़ क्षेत्र की वन संपदा व इनके पेड़ों की देखभाल और रक्षा का जिम्मा ग्रामीणों ने उठाया है वहां तेंदू, टोरा, महुआ, चिरौंजी, साल के बीज और कई प्रकार के मौसमी फलों का उत्पादन यहां होता है. जलवायु अनुकूल होने के चलते अब ग्रामीणों ने 900 एकड़ में फैले जंगल में काली मिर्च की खेती करने की योजना बनाई है.

59 हजार 28 पेड़ों की गिनती पूरी

ग्राम के 72 परिवारों ने सल्फीपदर क्षेत्र के 900 एकड़ में फैले वन परिक्षेत्र के 59 हजार 28 पेड़ों की गिनती पूरी कर ली है. ये केवल बड़े पेड़ हैं जिनके नीचे काली मिर्च के पौधे रोपित किए जाने हैं, छोटे पेड़ों की गिनती अभी नहीं की गई है. काली मिर्च की लताएं बड़े पेड़ों के सहारे सीधे ऊपर की ओर जाती हैं इसलिए अभी 60 से 70 फीट तक के पेड़ों की गिनती की गई है.

Intro:
करते हैं वनों की सुरक्षा .....
लट्ठ लेकर महिलाएं करती हैं दिन रात इन वनों की रखवाली....



Body:जहां एक ओर वनाधिकार प्रपत्र के चलते जंगलों का विनाश हो रहा है ,आए दिन ग्रामीण जंगलों को काट कर खेतों में तब्दील कर रहे हैं, वही ग्राम सल्फीपदर की महिलाओं ने वनों के विनाश और जंगलों में वृक्षों की लगातार कमी को देखते हुए बचे हुए वृक्षों की चौकीदारी शुरू कर दी।
इन महिलाओं ने भेड़, बकरी ,गाय ,बैल, जानवरों और मनुष्यों द्वारा हो रहे जंगलों के विनाश को रोकने कवायद शुरू की।
ग्राम के लगभग 900 एकड़ क्षेत्र के वन संपदा व इनके पेड़ों की देखभाल व रक्षा का जिम्मा ग्रामीणों ने उठाया है।
शुरू में तो केवल महिलाएं ही इस कार्य में समूह बनाकर वनों और पेड़ों की देखभाल व सुरक्षा कर रहे थे, पर अब पुरुष भी इनके साथ पेड़ों की रक्षा में साथ दे रहे ।
ग्रामीण मीना नेताम बताती हैं कि लगातार क्षेत्र के जंगलों में कटाई हो रही थी जिससे पेड़ों की गिनती लगातार कम हो रही थी जिसे देख व चिंतित हो महिलाओं ने वनों की रक्षा का जिम्मा उठाया है ।
आज वे दिन रात वनों की रक्षा करती हैं जिससे अब पेड़ व जंगल सुरक्षित है। वे दिन में 4 के समूह में व रात में 8 के समूह में जंगल में विचरण कर वनों की चोरी करने वालों को खदेड़ कर जंगलों की रक्षा करतीं हैं, इन के डर से से अब लकड़ी माफियाओं का यहां आना लगभग कम हो गया है ।
इस दौरान ग्राम लंजोड़ा के समाजसेवी हरिसिंह सिदार ने ग्रामीणों की इस मुहिम के बारे में सुना तो वे भी इस सामुदायिक वन सुरक्षा समिति में शामिल हो गए और उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा कर वन सुरक्षा के साथ-साथ इसमें कुछ आय के स्रोत भी तलाशा।
जिससे इस सघन साल ,सागौन ,तेंदू ,महुआ आदि से आच्छादित वन क्षेत्र में सुरक्षा के साथ-साथ आय भी लिया जा सके ।इसके लिए उन्होंने इन लंबे विशालकाय वृक्षों के नीचे काली मिर्च खेती करने की योजना बनाई।

बाइट_मीना नेताम, ग्रामीण,सल्फीपदर(महिला)
बाइट_विश्रुराम नेताम, अध्यक्ष सामुदायिक वन सुरक्षा समिति ,(कैप में)
बाइट_हरिसिंह सिदार, समाजसेवी( बुजुर्ग)Conclusion:Con
सघन वन क्षेत्र से आच्छादित कोंडागांव का क्षेत्र वनोपज से परिपूर्ण है, ग्रामीण आज भी अपना जीवन यापन वनोपज से ही करते हैं ,
तेंदू, टोरा, महुआ, चिरौंजी, साल के बीज और भी कई मौसमी फलों का उत्पादन यहां होता है,
केरल से बुलाए गए जलवायु विशेषज्ञों की टीम ने यहां की जलवायु को परखा जाँचा जिसमें उन्होंने पाया कि कोंडागांव क्षेत्र की जलवायु , यहां का वातावरण काली मिर्च के उत्पादन के लिए अनुकूल है।
इसी निष्कर्ष पर ग्रामीणों ने क्षेत्र के 900 एकड़ में फैले जंगल में काली मिर्च की खेती करने की ठानी, इसके लिए सभी ग्रामीण एक होकर सामुदायिक वन सुरक्षा समिति का गठन कर क्षेत्र में फैले बड़े पेड़ों की गिनती किये, काली मिर्च की लताएं होती है और यह किसी बड़े पेड़ के सहारे ही अपने फल- बीज देता है तो ग्रामीणों ने क्षेत्र में फैले बड़े पेड़ों की गिनती की जिसके नीचे नीचे काली मिर्च के पौधे रोपित किए जाने हैं ,ग्राम के 72 परिवारों ने सल्फीपदर क्षेत्र के 900 एकड़ में फैले वन परिक्षेत्र के पेड़ों की गिनती कर ली है जिनकी संख्या 59 हजार 28 है , यह तो केवल बड़े पेड़ हैं जिनके नीचे काली मिर्च के पौधे रोपित किए जाने हैं, छोटे पेड़ों की गिनती अभी नहीं की गई ।
काली मिर्च की लताएं बड़े पेड़ों के सहारे सीधे ऊपर की ओर जाती हैं इसलिए अभी 60 से 70 फ़ीट तक के पेड़ों की गिनती की जा चुकी है और यह सब कार्य ग्रामीणों के सामुदायिक वन सुरक्षा समिति द्वारा की गई है ।
काली मिर्च की खेती किए जाने के लिए ग्रामीणों ने अभी उद्यानिकी विभाग, फॉरेस्ट विभाग, भारतीय मसाला बोर्ड से संपर्क साधा है, ग्रामीणों का मानना है कि काली मिर्च की खेती से न केवल वनों की सुरक्षा होगी, अपितु उनके आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
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