कोंडागांव: छत्तीसगढ़ के लिए नक्सलवाद नासूर बन चुका है. 20 मई का दिन बस्तर के इतिहास में इसलिए भी याद रखा जाता है क्योंकि इसी दिन साल 1991 में कोंडागांव तहसील के बंगोली गांव में घात लगाए बैठे नक्सलियों ने बम विस्फोट कर दिया था. 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के ठीक एक दिन पहले 20 मई 1991 को तत्कालीन मध्यप्रदेश में नक्सलियों ने मतदान दल को निशाना बनाते हुए उन पर घात लगाकर हमला कर दिया था. ये नक्सलियों द्वारा किया गया पहला बम विस्फोट कहा जाता है.
मतदान दल लोकसभा का चुनाव संपन्न कराने के बाद वापस लौट रहा था, तभी कोंडागांव तहसील के बंगोली में घात लगाए बैठे नक्सलियों ने उनपर हमला कर दिया था. ये 90 के दशक में अविभाजित मध्यप्रदेश का पहला नक्सल हमला था. राज्य में अपने पैर जमा रहे नक्सलियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए इस वारदात को अंजाम दिया था.
शिक्षक पद पर पदस्थ थे गिरिजाशंकर
इस मंजर को अपनी आंखों से देखने वाले गिरिजाशंकर यादव आज भी उस दृश्य को याद कर सहम जाते हैं. इस घटना का उन पर ऐसा असर पड़ा कि उन्होंने आज तक मोटरसाइकिल तक को हाथ नहीं लगाया. गिरिजाशंकर उस बम विस्फोट के इकलौते गवाह हैं. वे कहते हैं कि चुनाव आते ही उन्हें 1991 का लोकसभा इलेक्शन याद आ जाता है. 1991 में वे फरसगांव ब्लाक के अंतर्गत माध्यमिक शाला चिंगनार में शिक्षक पद पर पदस्थ थे.
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परिचित के घर गुजारी रात
20 मई 1991 को फरसगांव ब्लॉक के बंगोली पोलिंग स्टेशन पर चुनाव ड्यूटी लगी थी, उन्होंने बताया कि चुनाव समाप्त होने के बाद वे 3 शिक्षक, गांव का कोटवार तथा सीआरपीएफ के जवानों सहित लगभग 15 लोग 407 गाड़ी से वापस लौट रहे थे. वे सभी लगभग 100-200 मीटर ही पहुंच पाए थे कि एक धमाका हुआ और कई लोगों की जान मौक पर चली गई. गिरिजाशंकर कहते हैं कि भगवान की कृपा से उन्हें कम चोट लगी थी. वे बताते हैं कि फोर्स के एक जवान ने सभी बंदूकों एक जगह इकट्ठा कर मोर्चा संभाल लिया. दोनों तरफ से जोरो की फायरिंग हो रही थी. जवान ने उन्हें खेत की मेड़ की आड़ में लेट जाने को कहा. वे घुटनों के बल रेंगते हुए गांव के कोटवार के साथ पास के गांव में जा पहुंचे और परिचित के घर में रात बिताई.
इस घटना को याद करने वाले गिरिजाशंकर की तरह जाने कितने लोग बस्तर में हैं, जो नक्सलवाद के दंश को झेल रहे हैं. कई ऐसी घटनाएं आंसुओं, चीखों और खबर बनकर रह जाती हैं.