कोंडागांव: नगर सैनिक के पद पर पदस्थ देवेंद्र दास को अक्सर सांपों के साथ उनके कार्यस्थल पर देखा जाता है. वह अपने विभागीय दायित्वों के साथ लोगों के एक फोन कॉल पर उनके घरों तक पहुंच जाते हैं. जहां वह घरों, बाड़ी में घुसे सांपों को सुरक्षित पकड़कर जंगल में छोड़ देते हैं, जिसका वह कोई शुल्क भी नहीं लेते हैं.
देवेन्द्र पिछले 16 वर्षों से सांप पकड़ने का काम कर रहे हैं. उन्होंने अब तक 60 हजार से अधिक सांपों को पकड़कर सुरक्षित जंगलों में छोड़ा है. इनमें कोबरा, करैत, धमना, बाम्बूपिट वाइपर समेत अन्य सांपों को पकड़ा है, जो बस्तर के जंगलों में ही पाए जाते हैं. जिनके एक बार डसने से इंसान पानी भी नहीं मांगता, सीधे मौत के मुंह में समा जाता है.
![Devendra Das caught more than 60 thousand snakes and left them safe in forest](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-knd-02-sarpa-mitra-nagpanchami-special-avb-cg10017_25072020151137_2507f_1595670097_708.jpg)
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सांप किसी पर जबरिया हमला नहीं करता
देवेन्द्र दास कहते हैं कि सांपों से न डरें, जबरिया सांप किसी पर हमला नहीं करता है. अगर किसी के घर में सांप घुस भी आए तो उसे मारें नहीं, किसी भी सर्प मित्र से संपर्क करें या 112 पर जानकारी दें. उनका कहना है कि बारिश के दिनों में अक्सर सांप घरों, बाड़ियों, खेत-खलिहानों, सड़क पर देख जाते हैं. पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाये रखने में इनका प्रमुख योगदान होता है. सांपों को समझने और बचाने की जरूरत है. सांपों से डरने की जरूरत नहीं है, उनको जब तक कोई छेड़ता नहीं तब तक वह किसी को डसता नहीं है.
![Devendra Das protected more than 60 thousand snakes in kondagaon](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-knd-02-sarpa-mitra-nagpanchami-special-avb-cg10017_25072020151137_2507f_1595670097_626.jpg)
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नागपंचमी के दिन सभी आयोजन किए गए रद्द
बता दें, नागपंचमी का आज शुभ अवसर है, मान्यता है कि नागपंचनी के दिन किसी भी सांप को नहीं मारना चाहिए. इनकी पूजा करनी चाहिए. कई जगहों पर सांपों को दूध पिलाई जाती है. इसके अलावा नागपंचमी के दिन गांव-शहर में कुश्ती का आयोजन भी किया जाता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण सभी आयोजनों पर पाबंदी लगा दी गई है, ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण पर लगाम लगाया जा सके.