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स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही! बीच रास्ते में 108 एंबुलेंस में हुआ प्रसव

केशकाल विकासखंड में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला सामने आया है. केशकाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती होने आई एक गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया. जिसके बाद कोंडागांव ले जाते वक्त महिला का रास्ते में ही प्रसव हो गया.

Delivery of woman in 108 ambulance
108 एंबुलेंस में महिला का प्रसव
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Published : Nov 3, 2020, 10:51 PM IST

कोंडागांव: केशकाल विकासखंड का स्वास्थ्य महकमा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देता नजर नहीं आ रहा है. प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उसे केशकाल अस्पताल से 60 किलोमीटर दूर कोंडागांव रेफर किया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही बीच रास्ते में ही महिला का प्रसव हो गया. हालांकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ है.

108 एंबुलेंस में महिला का प्रसव

सत्तारूढ़ सरकार तो केवल योजनाएं बना देती है. उसे लागू करना तो नौकरशाहों का काम है. जनहित से जुड़ी किसी भी योजना का सफल क्रियान्वयन तभी मुमकीन है जब संबंधित महकमा जिम्मेदारी से अपना काम करे. संस्थागत प्रसव को लेकर राज्य सरकार गंभीर तो है ही और लोगों को जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी कर रही है. सहायता राशि का भी प्रावधान किया गया है, ताकि महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हो सके और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें. यहीं वजह है कि आजकल गांव में देशी तरीके से प्रसव होने लगे हैं.

अस्पताल में भर्ती करने से किया गया मना

गर्भवती महिला के पति सुरेश यादव ने कहा कि उसकी गर्भवती पत्नी को अचानक रात को प्रसव पीड़ा हुई. जिसे लेकर सुबह 4 बजे वे मितानिन के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केशकाल पहुंचे. पहले गर्भवती का कोरोना टेस्ट हुआ. जिसमें पॉजिटिव होने के कारण वहां उपस्थित कर्मचारी और नर्स ने उन्हें तत्काल प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया. इसके बाद सुबह करीब 7 बजे महिला को कोंडागांव जिला अस्पताल रेफर किया गया. मिन्नतें करने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों की एक नहीं सुनी और महिला को जबरदस्ती कोंडागांव अस्पताल रेफर कर दिया गया. गर्भवती प्रसव पीड़ा से कराह रही थी और उसे उसी हालत में कोंडागांव ले जाया जा रहा था.

एम्स में कोविड पॉजिटिव महिला ने तीन बच्चों को दिया जन्म, सभी स्वस्थ

108 के कर्मचारियों ने कराया प्रसव

अस्पताल पहुंचने से पहले ही बोरगांव और फरसगांव के बीच महिला का प्रसव हो गया. इस दौरान 108 एंबुलेंस के इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशयन धनराज पटेल, मितानिन युनीता ठाकुर 108 के पायलट तुलेश्वर कुमार साहू के सूझबूझ से आधे रास्ते में गाड़ी खड़ी कर उसी में सफल प्रसव कराया गया. जिससे महिला और बच्चे की जान बची. पीड़िता के पति ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार की संस्थागत प्रसव योजना ढकोसला है.

हमें कोई अथॉरिटी नहीं: बीएमओ

मामले में केशकाल बीएमओ डॉक्टर बिसेन ने कहा कि हमारे अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भर्ती करने की कोई अथॉरिटी नहीं है. अगर ऐसे मरीजों को हम भर्ती कराते हैं तो अस्पताल के कर्मचारी इनफेक्टेड हो जाएंगे और हमें अस्पताल बंद करना पड़ेगा. जिससे बाकी मरीजों को दिक्कत आएगी.

सीएमएचओ का जवाब

कोंडागांव CMHO टीआर कुंवर ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इमरजेंसी के लिए अलग से कोविड-19 प्रसव कक्ष बनाया जा सकता है. लेकिन शायद डॉक्टर ने सोचा कि कोंडागांव पहुंच जाएंगे. क्योंकि कोंडागांव जिला अस्पताल में अलग से इसके लिए कक्ष बना हुआ है. ऐसी स्थिति रही तो इमरजेंसी के लिए हम वहां अलग से कोविड-19 प्रसव कक्ष बनाने बोल देंगे.

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही!

संबंधित अधिकारियों से बात करने पर साफ पता चल रहा है कि कोरोना काल में ग्रामीणों के स्वास्थ्य को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है. सीएमएचओ के बात से साफ जाहिर होता है कि कोरोना काल के दौरान अभी तक केशकाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती माताओं के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गई है.

कोंडागांव: केशकाल विकासखंड का स्वास्थ्य महकमा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देता नजर नहीं आ रहा है. प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उसे केशकाल अस्पताल से 60 किलोमीटर दूर कोंडागांव रेफर किया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही बीच रास्ते में ही महिला का प्रसव हो गया. हालांकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ है.

108 एंबुलेंस में महिला का प्रसव

सत्तारूढ़ सरकार तो केवल योजनाएं बना देती है. उसे लागू करना तो नौकरशाहों का काम है. जनहित से जुड़ी किसी भी योजना का सफल क्रियान्वयन तभी मुमकीन है जब संबंधित महकमा जिम्मेदारी से अपना काम करे. संस्थागत प्रसव को लेकर राज्य सरकार गंभीर तो है ही और लोगों को जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी कर रही है. सहायता राशि का भी प्रावधान किया गया है, ताकि महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हो सके और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें. यहीं वजह है कि आजकल गांव में देशी तरीके से प्रसव होने लगे हैं.

अस्पताल में भर्ती करने से किया गया मना

गर्भवती महिला के पति सुरेश यादव ने कहा कि उसकी गर्भवती पत्नी को अचानक रात को प्रसव पीड़ा हुई. जिसे लेकर सुबह 4 बजे वे मितानिन के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केशकाल पहुंचे. पहले गर्भवती का कोरोना टेस्ट हुआ. जिसमें पॉजिटिव होने के कारण वहां उपस्थित कर्मचारी और नर्स ने उन्हें तत्काल प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया. इसके बाद सुबह करीब 7 बजे महिला को कोंडागांव जिला अस्पताल रेफर किया गया. मिन्नतें करने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों की एक नहीं सुनी और महिला को जबरदस्ती कोंडागांव अस्पताल रेफर कर दिया गया. गर्भवती प्रसव पीड़ा से कराह रही थी और उसे उसी हालत में कोंडागांव ले जाया जा रहा था.

एम्स में कोविड पॉजिटिव महिला ने तीन बच्चों को दिया जन्म, सभी स्वस्थ

108 के कर्मचारियों ने कराया प्रसव

अस्पताल पहुंचने से पहले ही बोरगांव और फरसगांव के बीच महिला का प्रसव हो गया. इस दौरान 108 एंबुलेंस के इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशयन धनराज पटेल, मितानिन युनीता ठाकुर 108 के पायलट तुलेश्वर कुमार साहू के सूझबूझ से आधे रास्ते में गाड़ी खड़ी कर उसी में सफल प्रसव कराया गया. जिससे महिला और बच्चे की जान बची. पीड़िता के पति ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार की संस्थागत प्रसव योजना ढकोसला है.

हमें कोई अथॉरिटी नहीं: बीएमओ

मामले में केशकाल बीएमओ डॉक्टर बिसेन ने कहा कि हमारे अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भर्ती करने की कोई अथॉरिटी नहीं है. अगर ऐसे मरीजों को हम भर्ती कराते हैं तो अस्पताल के कर्मचारी इनफेक्टेड हो जाएंगे और हमें अस्पताल बंद करना पड़ेगा. जिससे बाकी मरीजों को दिक्कत आएगी.

सीएमएचओ का जवाब

कोंडागांव CMHO टीआर कुंवर ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इमरजेंसी के लिए अलग से कोविड-19 प्रसव कक्ष बनाया जा सकता है. लेकिन शायद डॉक्टर ने सोचा कि कोंडागांव पहुंच जाएंगे. क्योंकि कोंडागांव जिला अस्पताल में अलग से इसके लिए कक्ष बना हुआ है. ऐसी स्थिति रही तो इमरजेंसी के लिए हम वहां अलग से कोविड-19 प्रसव कक्ष बनाने बोल देंगे.

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही!

संबंधित अधिकारियों से बात करने पर साफ पता चल रहा है कि कोरोना काल में ग्रामीणों के स्वास्थ्य को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है. सीएमएचओ के बात से साफ जाहिर होता है कि कोरोना काल के दौरान अभी तक केशकाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती माताओं के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गई है.

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