कोंडागांव: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों के जवान न सिर्फ परिस्थितियों से लड़ रहे हैं बल्कि लोगों के जीवन को बेहतर करने की भी कोशिश कर रहे हैं. बीते दो दशकों से कोंडागांव के मर्दापाल थाना क्षेत्र के हड़ेली, एहकली, कुधुर और आस-पास के 30 से ज्यादा गांव, जो मुख्यधारा से कट चुके थे, वहां आईटीबीपी के जवान नई खुशियां लेकर आए हैं.
नक्सलियों ने यहां दहशत फैलाने के लिए क्या नहीं किया, न सड़कें बनने दीं न विकास कार्य होने दिए. यहां तक कि पुल-पुलियों, राशन दुकानों, अस्पतालों और पंचायत भवनों तक को ध्वस्त कर दिया. बंदूक की नोक पर यहां गांववालों को डरा-धमकाकर नक्सली मनमानी कर रहे थे. लेकिन जवानों ने यहां के लोगों की जिंदगी में नई रोशनी भरी. गांववाले आईटीबीपी के जवानों की तारीफ करते नहीं थकते क्योंकि यहां वर्षों से बंद पड़ा बाजार फिर खुला है.
नक्लसियों ने बनाया था कैंप को निशाना
नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए और उनसे लड़ाई की शुरुआत में आइटीबीपी को भी कई दिक्कतों का सामना यहां करना पड़ा. दो बार नक्सलियों ने आइटीबीपी राणापाल कैंप और हड़ेली कैंप को निशाना बनाया. कैंप फायरिंग की और गोले दागे, ताकि यहां कैंप स्थापित न हो लेकिन वे जवानों के हौसले को डिगा नहीं पाए.
हर गुरुवार को लगता है बाजार
आईटीबीपी की कोशिशों का ही नतीजा है कि यहां सालों से बंद पड़ा साप्ताहिक बाजार फिर शुरु हो पाया है. ये मार्केट यहां हर गुरुवार को लगता है. यहां कई गांवाों के ग्रामीण आते हैं और खरीदारी करते हैं. गांववाले कैंप खुलने और सुविधाएं मिलने से काफी खुश हैं. आप ये जानकार हैरान होंगे कि जहां आज ये बाजार लग रहा है, वहां नक्सली जन अदालत लगाया करते थे.
बाजार को प्रमोट करने जवानों ने लिया जिम्मा
ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था कमजोर होने के कारण व बाजार को प्रमोट करने के लिए जवानों ने निर्णय लिया कि हड़ेली में लगने वाले इस साप्ताहिक बाजार व ग्रामीणों को सुरक्षा देने के साथ-साथ हर जवान यहां से अपनी जरूरत का सामान खरीदेगा. आज हड़ेली व आसपास के गांव के लोग इन उम्मीदों के साथ इस बाजार में पहुंचते हैं कि लोग उनसे सामान खरीदेंगे, जिससे उनकी माली हालत में सुधार आएगा.
नक्सल प्रभावित इलाकों से हर वो तस्वीर किसी उम्मीद से कम नहीं लगती, जिसमें उज्जवल भविष्य का संदेश छिपा होता है. ऐसी तस्वीरों, जवानों और ग्रामीणों के बीच बढ़ती समझ को देखकर लगता है कि एक न एक दिन नक्सल प्रभावित बस्तर के कई गांव बिना दहशत के सांस लेंगे.