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SPECIAL: जहां लगती थी नक्सलियों की जन अदालत, वहां जवानों ने सजा दिया बाजार - मर्दापाल थाना क्षेत्र के हड़ेली

कोंडागांव के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों के जवानों ने मर्दापाल थाना क्षेत्र के हड़ेली में ग्रामीणों को सभी सामग्रियां उपलब्ध कराने के लिए साप्ताहिक हाट की शुरुआत कराई है, जिससे गांववाले बेहद खुश हैं.

Decorating market in Naxalite affected area of Kondagaon
जवानों ने नक्सलियों के गढ़ में सजा दिया बाजार
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Published : Feb 8, 2020, 12:08 AM IST

Updated : Feb 8, 2020, 12:19 AM IST

कोंडागांव: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों के जवान न सिर्फ परिस्थितियों से लड़ रहे हैं बल्कि लोगों के जीवन को बेहतर करने की भी कोशिश कर रहे हैं. बीते दो दशकों से कोंडागांव के मर्दापाल थाना क्षेत्र के हड़ेली, एहकली, कुधुर और आस-पास के 30 से ज्यादा गांव, जो मुख्यधारा से कट चुके थे, वहां आईटीबीपी के जवान नई खुशियां लेकर आए हैं.

जवानों ने नक्सलियों के गढ़ में सजा दिया बाजार

नक्सलियों ने यहां दहशत फैलाने के लिए क्या नहीं किया, न सड़कें बनने दीं न विकास कार्य होने दिए. यहां तक कि पुल-पुलियों, राशन दुकानों, अस्पतालों और पंचायत भवनों तक को ध्वस्त कर दिया. बंदूक की नोक पर यहां गांववालों को डरा-धमकाकर नक्सली मनमानी कर रहे थे. लेकिन जवानों ने यहां के लोगों की जिंदगी में नई रोशनी भरी. गांववाले आईटीबीपी के जवानों की तारीफ करते नहीं थकते क्योंकि यहां वर्षों से बंद पड़ा बाजार फिर खुला है.

नक्लसियों ने बनाया था कैंप को निशाना
नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए और उनसे लड़ाई की शुरुआत में आइटीबीपी को भी कई दिक्कतों का सामना यहां करना पड़ा. दो बार नक्सलियों ने आइटीबीपी राणापाल कैंप और हड़ेली कैंप को निशाना बनाया. कैंप फायरिंग की और गोले दागे, ताकि यहां कैंप स्थापित न हो लेकिन वे जवानों के हौसले को डिगा नहीं पाए.

हर गुरुवार को लगता है बाजार
आईटीबीपी की कोशिशों का ही नतीजा है कि यहां सालों से बंद पड़ा साप्ताहिक बाजार फिर शुरु हो पाया है. ये मार्केट यहां हर गुरुवार को लगता है. यहां कई गांवाों के ग्रामीण आते हैं और खरीदारी करते हैं. गांववाले कैंप खुलने और सुविधाएं मिलने से काफी खुश हैं. आप ये जानकार हैरान होंगे कि जहां आज ये बाजार लग रहा है, वहां नक्सली जन अदालत लगाया करते थे.

बाजार को प्रमोट करने जवानों ने लिया जिम्मा
ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था कमजोर होने के कारण व बाजार को प्रमोट करने के लिए जवानों ने निर्णय लिया कि हड़ेली में लगने वाले इस साप्ताहिक बाजार व ग्रामीणों को सुरक्षा देने के साथ-साथ हर जवान यहां से अपनी जरूरत का सामान खरीदेगा. आज हड़ेली व आसपास के गांव के लोग इन उम्मीदों के साथ इस बाजार में पहुंचते हैं कि लोग उनसे सामान खरीदेंगे, जिससे उनकी माली हालत में सुधार आएगा.

नक्सल प्रभावित इलाकों से हर वो तस्वीर किसी उम्मीद से कम नहीं लगती, जिसमें उज्जवल भविष्य का संदेश छिपा होता है. ऐसी तस्वीरों, जवानों और ग्रामीणों के बीच बढ़ती समझ को देखकर लगता है कि एक न एक दिन नक्सल प्रभावित बस्तर के कई गांव बिना दहशत के सांस लेंगे.

कोंडागांव: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों के जवान न सिर्फ परिस्थितियों से लड़ रहे हैं बल्कि लोगों के जीवन को बेहतर करने की भी कोशिश कर रहे हैं. बीते दो दशकों से कोंडागांव के मर्दापाल थाना क्षेत्र के हड़ेली, एहकली, कुधुर और आस-पास के 30 से ज्यादा गांव, जो मुख्यधारा से कट चुके थे, वहां आईटीबीपी के जवान नई खुशियां लेकर आए हैं.

जवानों ने नक्सलियों के गढ़ में सजा दिया बाजार

नक्सलियों ने यहां दहशत फैलाने के लिए क्या नहीं किया, न सड़कें बनने दीं न विकास कार्य होने दिए. यहां तक कि पुल-पुलियों, राशन दुकानों, अस्पतालों और पंचायत भवनों तक को ध्वस्त कर दिया. बंदूक की नोक पर यहां गांववालों को डरा-धमकाकर नक्सली मनमानी कर रहे थे. लेकिन जवानों ने यहां के लोगों की जिंदगी में नई रोशनी भरी. गांववाले आईटीबीपी के जवानों की तारीफ करते नहीं थकते क्योंकि यहां वर्षों से बंद पड़ा बाजार फिर खुला है.

नक्लसियों ने बनाया था कैंप को निशाना
नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए और उनसे लड़ाई की शुरुआत में आइटीबीपी को भी कई दिक्कतों का सामना यहां करना पड़ा. दो बार नक्सलियों ने आइटीबीपी राणापाल कैंप और हड़ेली कैंप को निशाना बनाया. कैंप फायरिंग की और गोले दागे, ताकि यहां कैंप स्थापित न हो लेकिन वे जवानों के हौसले को डिगा नहीं पाए.

हर गुरुवार को लगता है बाजार
आईटीबीपी की कोशिशों का ही नतीजा है कि यहां सालों से बंद पड़ा साप्ताहिक बाजार फिर शुरु हो पाया है. ये मार्केट यहां हर गुरुवार को लगता है. यहां कई गांवाों के ग्रामीण आते हैं और खरीदारी करते हैं. गांववाले कैंप खुलने और सुविधाएं मिलने से काफी खुश हैं. आप ये जानकार हैरान होंगे कि जहां आज ये बाजार लग रहा है, वहां नक्सली जन अदालत लगाया करते थे.

बाजार को प्रमोट करने जवानों ने लिया जिम्मा
ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था कमजोर होने के कारण व बाजार को प्रमोट करने के लिए जवानों ने निर्णय लिया कि हड़ेली में लगने वाले इस साप्ताहिक बाजार व ग्रामीणों को सुरक्षा देने के साथ-साथ हर जवान यहां से अपनी जरूरत का सामान खरीदेगा. आज हड़ेली व आसपास के गांव के लोग इन उम्मीदों के साथ इस बाजार में पहुंचते हैं कि लोग उनसे सामान खरीदेंगे, जिससे उनकी माली हालत में सुधार आएगा.

नक्सल प्रभावित इलाकों से हर वो तस्वीर किसी उम्मीद से कम नहीं लगती, जिसमें उज्जवल भविष्य का संदेश छिपा होता है. ऐसी तस्वीरों, जवानों और ग्रामीणों के बीच बढ़ती समझ को देखकर लगता है कि एक न एक दिन नक्सल प्रभावित बस्तर के कई गांव बिना दहशत के सांस लेंगे.

Intro:लाल आतंक के साये को चीर सुरक्षा बल itbp ने सजाया यहां का साप्ताहिक बाजार....Body:बीते दो दशकों से नक्सलिज्म की मार झेलता मर्दापाल थाना का क्षेत्र हड़ेली,एहकली,कुधुर और इस तरह आसपास के 32 से 35 गांव जो कि नक्सलियों के आतंक से समाज की मुख्यधारा सेकट चुके थे। नक्सलियों ने अपना आतंक कायम रखने के लिएयहां तक पहुंचने वाले सड़क पुल-पुलियों, राशन की दुकानों, अस्पतालों ,स्कूलों ,पंचायत भवनों आदि सबकुछ को ध्वस्त कर दिया।
बंदूक की नोक पर उन्होंने ग्रामीणों को डरा-धमका कर अपने लिए राशन-रसद और अन्य दैनिक जरूरतों की चीजों को उपलब्ध कराया, वहीं ग्रामीणों तक शासन-प्रशासन की पहुंच ना हो इसलिए इस क्षेत्र में आतंक का ऐसा जाल बिछाया कि शासन-प्रशासन भी इन से हार चुका था और डर व आतंक के साए में जीवन जीने ग्रामीण मजबूर थे।

1 फ़ाइल अटैच्ड जिसमें बाइट क्रमशः है

बाइट_फागुराम, ग्रामीण
बाइट_सुखमन सोरी, ग्रामीण
बाइट_बलिराम सोढ़ी, ग्रामीण
बाइट_गणेशराम कश्यप, सचिव ,ग्राम पंचायत हड़ेली,
वन टू वन विथ आइटीबीपी 41 बटालियन हड़ेली कंपनी कमांडर सुरेश यादव।Conclusion:शासन-प्रशासन द्वारा नक्सलियों को खदेड़ने व मर्दापाल थाना क्षेत्र के 30 से 35 गांव व ग्रामीणों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने शासन ने सुरक्षा बल आइटीबीपी की स्थापना यहां हड़ेली में की।
नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने व उनसे लड़ने शुरुआत में आइटीबीपी को भी कई दिक्कतों का सामना यहां करना पड़ा ,दो बार नक्सलियों ने आइटीबीपी राणापाल कैम्प व हड़ेली कैंप को निशाना बनाया, फायरिंग की ,गोले दागे, ताकि यहां कैंप स्थापित ना हो, पर जवानों ने तो जैसे ठान लिया था कि क्षेत्र से नक्सलिज्म व नक्सलियों को खदेड़ कर रहेंगे।
लगातार गश्त सर्चिंग व ग्रामीणों से मितव्ययता स्थापित कर आईटीबीपी ने नक्सलियों को पीछे धकेलने में सफलता पाई।
आइटीबीपी के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज कई सालों से नक्सलियों के कारण बंद पड़ा साप्ताहिक बाजार हड़ेली में शुरू हो पाया। प्रति गुरुवार को लगने वाला हड़ेली का यह साप्ताहिक बाजार हजारों ग्रामीणों के चेहरों की मुस्कान बना।
आइटीबीपी 41 बटालियन कैंप के सामने कड़ी सुरक्षा के बीच लगने वाला यह बाजार इसलिए भी खास है क्योंकि यहां दो दशकों से बाजार बंद था, नक्सलियों की दहशत की वजह से लोग बाजार की परिभाषा ही भूलने लगे थे। आज जहां बाजार लगता है वहां कभी नक्सली जन अदालत लगाया करते थे।
हड़ेली व आसपास के 30 से 35 गांव के लोग इस साप्ताहिक बाजार में पहुंच दैनिक जरूरतों का सामान खरीदते हैं।
ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था कमजोर होने के कारण व बाजार को प्रमोट करने के लिए जवानों ने निर्णय लिया कि हड़ेली में लगने वाले इस साप्ताहिक बाजार व ग्रामीणों को सुरक्षा देने के साथ-साथ हर जवान यहां से अपनी जरूरत का सामान खरीदेगा।
आज हड़ेली व आसपास के गांव के लोग इन उम्मीदों के साथ इस बाजार में पहुंचते हैं कि आइटीबीपी के जवान उनसे सामान ख़रीदेंगे जिससे उनकी माली हालत में सुधार आएगा।
आइटीबीपी 41 बटालियन हड़ेली के कैंप कमांडर सुरेश यादव ने बताया कि हड़ेली के इस साप्ताहिक बाजार को प्रमोट करने के लिए जवानों ने निर्णय लिया कि हर जवान इस बाजार से कम से कम ₹500 का सामान खरीदेगा ,जिससे आज इस बाजार को विस्तार होने में सहायता मिल रही है। दूर-दूर से भी अब लोग इस बाजार में पहुंचने लगे हैं।
Last Updated : Feb 8, 2020, 12:19 AM IST
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