कोंडागांव: गांव के विकास के लिए सड़क एक अहम आयाम है. यदि शहर जाने के लिए सड़कों का जाल बिछ जाए तो गांव के विकास को पंख लग जाते हैं लेकिन यदि इसका उलटा हो जाए तो गांव में विकास की रफ्तार कछुआ चाल बनने में वक्त नहीं लगता है. कुछ ऐसी ही कहानी कोंडागांव के ग्राम हंगवा की है. जहां सड़क आज भी ग्रामीण सड़क के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में अधोसंरचनाओं के विकास के लिए सबसे जरूरी है सड़कों का निर्माण. सड़कों की कनेक्टिविटी से ही गांव में विकास कार्य की नींव डाली जाती है. जब सड़क ही घटिया और स्तरहीन बनाया जाए तो उन क्षेत्रों के बाकी विकास कार्यों की तो केवल कल्पना मात्र ही की जा सकती है.
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जिला मुख्यालय कोंडागांव से महज 15 से 20 किलोमीटर पर बसा है ग्राम हंगवा. बीते दशकों में हंगवा- तोतर का क्षेत्र नक्सलियों का मुख्य गढ़ कहा जाता था. यहां नक्सलियों ने कई घटनाओं को अंजाम दिया है. आज भी हंगवा-तोतर जाने वाले मार्ग में नक्सलियों के उत्पाद की यादे पुरानी नहीं हुई है.
इन क्षेत्रों में अभी विकास कार्यों को गति देने के लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. ताकि बेहतर से बेहतर सुविधाएं एवं विकास इन क्षेत्रों में पहुंच सके और नक्सली गतिविधियों को दूर किया जा सके. ताकि ग्रामीण जिला मुख्यालय से जुड़कर बेहतर विकास कर सकें. लेकिन इन विकास कार्यों को पीडब्ल्यूडी विभाग के कुछ लोग और ठेकेदार पलीता लगाते हुए नजर आ रहे हैं.
हंगवा ग्राम पंचायत से गोलावंड ग्राम पंचायत में बनाई जा रही सड़क के बारे में, इस सड़क का निर्माण कोंडागांव के एक ठेकेदार ज्ञान सिंह चंदेल की तरफ से किया जा रहा है. ग्रामीणों से मिली सूचना के आधार पर जब हम इस सड़क और सड़क के टो वाल और पुलिया निर्माण एवं गुणवत्ता का जायजा लेने पहुंचे तो यहां सभी कार्यों की गुणवत्ता स्तरहीन नजर आई. जब हमने कुछ ग्रामीणों और मजदूरों से बात की तो उन्होंने बताया कि जैसा ठेकेदार ने कहा हमने से कहा है कि वैसा ही हम काम कर रहे हैं.