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दम तोड़ रही राज्य सरकार की योजना, गौठानों में मवेशियों को नहीं मिल रहा इलाज - भूपेश सरकार

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मवेशियों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. कोंडागांव के गौठान में लाए गए मवेशियों की हालत बेहद खराब है. इन्हें ढंग से इलाज भी नसीब नहीं हो पा रहा है.

Cattle are not getting treatment in Gothans
गौठानों में नहीं हो रहा मवेशियों का इलाज
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Published : Aug 24, 2020, 10:44 PM IST

Updated : Aug 24, 2020, 10:53 PM IST

कोंडागांव: छत्तीसगढ़ सरकार पशुओं के प्रति लगातार संवेदनशील नजर आ रही है. यहीं कारण है कि भूपेश सरकार ने आते ही अपने पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी के रूप में शुरू किया. इसके अलावा सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने और खड़ी फसल को नुकसान से बचाने के लिए रोका-छेका योजना की भी शुरुआत की, लेकन कोंडागांव के गौठानों में मवेशियों की स्थिति खराब है. यहां मवेशियों को ठीक से इलाज नहीं हो रहा है.

गौठानों में नहीं हो रहा मवेशियों का इलाज

जिला मुख्यालय के नगर पालिका से संचालित गौठान में लाए गए मवेशियों की बदहाली प्रदेश सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना पर पलीता लगा रही है. रोका-छेका के तहत जिन मवेशियों को गौठानों में लाया गया है, उनमें कई मवेशी गंभीर रुप से जख्मी हैं, लेकिन उनके इलाज के लिए गौठान का संचालन करने वाली नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. यहीं नहीं कई मवेशी इलाज के अभाव में मरने की कगार पर पहुंच गए हैं.

दम तोड़ रहा सरकार का रोका-छेका अभियान, बढ़ रहे सड़क हादसे

गौठान संचालक का गोल-मोल जवाब

मौके पर मौजूद नगर पालिका अधिकारी से जख्मी बीमार पशुओं के बारे में पूछा गया तो वह गोल मोल जब देकर अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आये. मवेशियों की देखरेख को लेकर कलेक्टर ने कहा कि मुझे अभी जानकारी मिली है. हम पशु चिकित्सकों की टीम भेज रहे हैं.

रोका-छेका अभियान हुआ कमजोर

बता दें कि प्रदेश में आवारा पशुओं के कारण लगातार हो रही दुर्घटनाओं से आम आदमी परेशान है. आवारा पशुओं के कारण ट्रैफिक व्यवस्था भी बाधित होती है. इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार के रोका-छेका अभियान की क्या स्थिति है.

कोंडागांव: छत्तीसगढ़ सरकार पशुओं के प्रति लगातार संवेदनशील नजर आ रही है. यहीं कारण है कि भूपेश सरकार ने आते ही अपने पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी के रूप में शुरू किया. इसके अलावा सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने और खड़ी फसल को नुकसान से बचाने के लिए रोका-छेका योजना की भी शुरुआत की, लेकन कोंडागांव के गौठानों में मवेशियों की स्थिति खराब है. यहां मवेशियों को ठीक से इलाज नहीं हो रहा है.

गौठानों में नहीं हो रहा मवेशियों का इलाज

जिला मुख्यालय के नगर पालिका से संचालित गौठान में लाए गए मवेशियों की बदहाली प्रदेश सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना पर पलीता लगा रही है. रोका-छेका के तहत जिन मवेशियों को गौठानों में लाया गया है, उनमें कई मवेशी गंभीर रुप से जख्मी हैं, लेकिन उनके इलाज के लिए गौठान का संचालन करने वाली नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. यहीं नहीं कई मवेशी इलाज के अभाव में मरने की कगार पर पहुंच गए हैं.

दम तोड़ रहा सरकार का रोका-छेका अभियान, बढ़ रहे सड़क हादसे

गौठान संचालक का गोल-मोल जवाब

मौके पर मौजूद नगर पालिका अधिकारी से जख्मी बीमार पशुओं के बारे में पूछा गया तो वह गोल मोल जब देकर अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आये. मवेशियों की देखरेख को लेकर कलेक्टर ने कहा कि मुझे अभी जानकारी मिली है. हम पशु चिकित्सकों की टीम भेज रहे हैं.

रोका-छेका अभियान हुआ कमजोर

बता दें कि प्रदेश में आवारा पशुओं के कारण लगातार हो रही दुर्घटनाओं से आम आदमी परेशान है. आवारा पशुओं के कारण ट्रैफिक व्यवस्था भी बाधित होती है. इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार के रोका-छेका अभियान की क्या स्थिति है.

Last Updated : Aug 24, 2020, 10:53 PM IST
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