कोंडागांव: वन संपदाओं से भरा कोंडागांव का केशकाल कई सालों से साफ और पीने के पानी के लिए तरस रहा था. यहां के आस-पास के कई गांव इस समस्या से जूझ रहे थे. शासन-प्रशासन से गुहार के बावजूद ये कमी पूरी नहीं हो पा रही थी. हर साल गर्मी के महीनों में यहां जल सकंट गहरा जाता है.
ग्रामीणों को नदी, नालों और झिरिया के पानी से प्यास बुझानी पड़ती है. लेकिन इस बार प्रशासन ने ग्रामीणों को साफ पानी उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है. जिले में 5 हजार कुएं बनवाने का निर्णय लिया है. जिसमें से 113 कुएं कुएंमारी क्षेत्र में बनने हैं. जिसकी शुरुआत हो गई है.
कुएंमारी का इलाका नक्सल प्रभावित और अतिसंवेदनशील माना जाता है. यहां की जनसंख्या लगभग 1422 है जो कि साफ पानी से वंचित है ऐसे में यहां प्रशासनिक कार्यों के लिए काफी परेशानी होती है. यहां प्राकृतिक संपदा तो है लेकिन मानव-जनजीवन का एक अहम हिस्सा पानी की बहुत बड़ी समस्या भी है.
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ग्रामीणों को रोजगार
कोरोना काल में क्षेत्र के ग्रामीणों को इससे रोजगार भी मिल सकेगा. क्योंकि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत ये कार्य हो रहे हैं. जिससे इस संकट की घड़ी में ग्रामीणों के खाते में सीधे पैसे पहुंचेंगे. पेयजल संकट दूर होने के साथ-साथ ग्रामीणों को इससे रोजगार भी मिलेगा. इसके अलावा इलाके में खेती किसानी में भी मदद मिलेगी.
कलेक्टर ने लिया जाएजा
क्षेत्र में जारी कार्यों का जायजा लेने जिला प्रशासन के अमले के साथ खुद कलेक्टर नीलकंठ टेकाम पहुंचे थे. उन्होंने कई कुओं के निर्माण का जायजा लिया. साथ ही ग्राम कोरकोटी में बने नए पुलिया के उद्घाटन भी किया. इस दौरान उनके साथ जिला पंचायत अध्यक्ष देवचंद मतलाम, सीईओ देवनारायण कश्यप, PMGSY के ई. अरुण शर्मा, केशकाल केए सडीएम दीनदयाल मंडावी और कई विभागीय अधिकारी मौजूद थे.
बोर वेल संभव नहीं है
कोंडागांव का केशकाल इलाके में प्रचुर मात्रा में बॉक्साइट पाया जाता है. यहां के पहाड़ों में लौह अयस्क पाए जाते हैं, ऐसे में यहां बोर साफ पानी नही मिलता, इसके साथ ही खुदाई में भी दिक्बकत आती है. बरसों से पानी के लिए झरने, नालों पर निर्भर कुएंमारी के ग्रामीणों की देर सबेर ही सही शासन-प्रशासन ने गुहार सुनी है. लॉकडाउन में जहां मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है वहीं प्रशासन की इस पहल से यहां के ग्रामीणों को काम मिल रहा है.