कांकेर: छत्तीसगढ़ को राज्य बने 23 वर्ष हो गए. इस बीच कई सरकारें आईं और गईं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या जस की तस बनी हुई (Villagers making wooden bridge in Kanker for years) है. कांकेर में साल 2011 से पुल की मांग करते आ रहे ग्रामीण अब खुद लकड़ी से जुगाड़ का पुल बना रहे हैं. कांकेर जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर ग्राम साल्हेभाट से किरगापाटी गांव. जहां के ग्रामीणों के आने-जाने के लिए बनाया गया पुल साल 2011 में आई बाढ़ में बह गया.
ग्रामीणों ने इसकी जानकारी शासन-प्रशासन को दी. लेकिन प्रशासन ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया. जिसके बाद नाराज ग्रामीण खुद लकड़ी का पुल बना रहे हैं. हर साल इसी तरह बारिश से पहले ग्रामीण लकड़ी का पुल बनाते आ रहे हैं ताकि बारिश के दिनों में कोई आने जाने में परेशानी ना हो.
स्कूली बच्चों को पढ़ाई में भी दिक्कत: इस ग्राम के ग्रामीण और शिक्षकों का कहना है कि स्कूली बच्चों को बारिश के दिनों में काफी कठिनाई होती है. नदी में बारिश के दौरान जब बहाव तेज होता है तो बच्चों को नदी के एक ओर से दूरी ओर पहुंचाने के लिए शिक्षक या फिर परिजन खुद पहुंचते हैं. ताकि कोई अनहोनी न हो.
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राशन लाने में भी होती है दिक्कत: ग्रामीणों की मानें तो इस रास्ते से गुजरना किसी मुश्किल से कम नहीं है. कई बार यहां हादसा हो चुका है.जिसमें लोगो को गंभीर चोट भी आई है. पुल नहीं होने पर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं में भी काफी दिक्कतें होती है. राशन लाना भी लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है. पीढ़ापाल मुख्य चौक की दूरी जहां 1 किलोमीटर है, तो बारिश के दिनों में यहां पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है.
पुलिया निर्माण के स्वीकृति की नहीं कोई जानकारी: ग्रामीणों का कहना है कि शासन ने पुल निर्माण की स्वीकृति दी है या नहीं इस बात की जानकारी अब तक ग्रामीणों को या फिर ग्राम पंचायत को नहीं है. हालांकि ऐसा कहा जा रहा है कि दिसम्बर 2022 में पुलिया निर्माण की स्वीकृति दी गई है.