कांकेर : बचपन में खेलने कूदने की उम्र में जब किसी के सिर से मां बाप का साया उठ जाता है तो उसे हर कोई अनाथ कहकर पुकारने लगता है. लेकिन जब उसे कोई अपना मिल जाये तो उनकी झोली खुशियों से भर जाती है.ऐसा हुआ है एक अनाथ बेटी लक्ष्मी के साथ.जो अब किसी के घर की लक्ष्मी बन गई है.जिसकी शादी पूरे विधि विधान पूर्वक बड़े ही धूमधाम के साथ की गई. एक बेसहारा की शादी में शरीक होने के लिए राजनेता से लेकर समाज के कई लोग पहुंचे.
कौन है लक्ष्मी : लक्ष्मी की कहानी भी काफी दर्द भरी है.खेलने कूदने की उम्र में पिता का साया पहले छीन गया.मां ने जब लक्ष्मी और छोटी बहन को संभालकर पालन पोषण शुरू करना किया.तो डोंगरगढ़ के रेलवे स्टेशन में भी मां की अचानक मौत हो गई.मां के शव के पास पड़ी बच्चियों की मदद को कोई आगे नहीं आया.रोती बिलखती आवाज सुन रेलवे पुलिस ने बच्चियों को बाल संप्रेषण गृह भिजवा दिया.
कांकेर में लक्ष्मी ने की पढ़ाई : जहां से उन्हें बालिका बाल गृह कांकेर भेजा गया.यहां रहकर पढ़ाई लिखाई कर आगे बढ़ते हुए लक्ष्मी सहभागी समाज सेवी संस्था से जुड़कर लोगों की सेवा करने लगी.लक्ष्मी के बड़ी होने के बाद सहभागी समाज सेवी संस्था के प्रमुख बसंत यादव ने लक्ष्मी के हाथ पीले करने का सोचा. शादी के लिए जब अच्छा रिश्ता सामने आया तो उन्होंने इसे मना नहीं किया और पूरी जानकारी जुटाकर लक्ष्मी की शादी की तैयारी शुरू की.
लक्ष्मी को पाकर दुर्गेश हैं खुश : लक्ष्मी के मुताबिक सहभागी समाज सेवी संस्था ही उनका परिवार थी. सभी ने एक परिवार बनाकर मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.आज जब मुझे एक परिवार और कोई अपना मिलने जा रहा है तो वह बेहद खुश है. दूल्हा बने दुर्गेश का कहना है कि ''वह लक्ष्मी को अपनी पत्नी के रूप में पाकर बेहद खुश है.शादी से पहले उन्होंने अपने परिवार और समाज से चर्चा की.परिवार और समाज दोनों ने इस नेक कार्य के लिए हामी भरी. जिसके बाद सभी इस शुभ पल के साक्षी बनें.''
गाजे बाजे के साथ विदा हुई लक्ष्मी : मंगलवार के दिन गाजे बाजे की धुन और पूरे रस्मो रिवाज के साथ लक्ष्मी की शादी सम्पन्न हुई.शादी में संस्था के सदस्यों ने मां- बाप रिश्तेदार बनकर लक्ष्मी का कन्यादान कर उसे विदा किया.काफी संख्या में पहुंचे लोगों ने लक्ष्मी को आशीर्वाद दिया.यही नहीं मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी भी अपनी पत्नी के साथ शादी समारोह में शामिल होने पहुंचे.