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कांकेर में स्कूली छात्र क्यों पहुंचे कलेक्टर कार्यालय ?

कांकेर के लामकन्हार गांव स्थित एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय के छात्र स्कूल की बदहाल स्थिति से परेशान हैं. इस वजह से छात्रों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर अपनी मांग जिला प्रशासन के सामने रखी है.

children reached district headquarters-
बच्चे पहुंचे जिला मुख्यालय
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Published : Jul 1, 2022, 5:34 PM IST

कांकेर: कांकेर जिले में नया शिक्षा सत्र शुरू हुए 15 दिन होने जा रहा है. जिले में शिक्षकों की भारी कमी से बच्चों को परेशानी हो रही है. कांकेर में नए कलेक्टर प्रियंका शुक्ला पद भार ग्रहण करने वाली हैं. सौ किलोमीटर का सफर कर एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय के छात्र कांकेर पहुंचे. लेकिन छात्रों को अधिकारियों ने उन्हें जोर जबरदस्ती कर वापस भेज दिया.

दरअसल, कांकेर जिला मुख्यालय में आज अलग नजारा देखने को मिला, यहां अन्तागढ़ विकासखंड के लामकन्हार गांव में स्थित एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय के बच्चे अपने स्वयं के खर्चे से बस के जरिए कलेट्रेट पहुंचे. उन्होंने आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त अधिकारी से अपनी समस्या की शिकायत करने यहां आने का फैसला लिया था. फिर क्या था प्रशासन में हड़कम्प मच गया. बिना प्रिंसिपल के जानकरी के आखिर आवासीय विद्यालय के 35 बच्चे जिला मुख्यालय कैसे पहुंच गए? बच्चे जो मीडिया से बात करना चाह रहे थे, उन्हें आदिवासी विभाग के कर्मचारियों ने जबरदस्ती अन्तागढ़ जाने वाली बस में बैठा कर भेज दिया. बस में बैठे बच्चों से ETV भारत ने आधे रास्ते बस में चढ़कर बातचीत की.

कांकेर में स्कूली छात्र पहुंचे कलेक्टर कार्यालय

प्रिंसिपल की जानकरी के बगैर पहुंचे बच्चे: बच्चों का कहना था कि हम लोग बिना प्रिंसिपल को सूचना दिए अपने पैसे सेआदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त अधिकारी से मिलने आए थे. अगर प्रिंसिपल को बताते तो हमें अपनी समस्या को रखने ही नहीं दिया जाता.

जबरदस्ती बस में बैठा कर भेजा: लेकिन आज आवेदन लेने के बाद हम लोगों को उनके कुछ कर्मचारी जबरदस्ती बस में बैठा दिए. बता दें कि जिले में स्थानांतरण होकर नए कलेक्टर आने वाले हैं. अधिकारियों कि लापरवाही उन तक ना पहुंचे, इसलिए बच्चों को बस में बैठा कर अन्तागढ़ भेज दिया गया.

बिजली, पानी, दरवाजा तक छात्रावास में नहीं: बच्चों ने बताया कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय लामकंहार अंतागढ़ में रहने के लिए 37 रूम है, लेकिन एक भी कमरे रहने के लायक नहीं है. कमरों में लाइट, पंखा, लाइट बोर्ड, दरवाजा की सुविधा ही नहीं है. यहां तक कि शौचालयो में भी दरवाजा, लाइट, पानी की सुविधा नहीं है. छात्रावास में एक बोरवेल है, लेकिन लाइट जाने पर गांव से पानी लाना पड़ता है. खाने में कभी चावल जला हुआ तो आधा पका मिलता है. सब्जी भी नहीं दिया जाता है.

शिक्षकों की कमी: छात्रों ने अपने आवेदन में जिक्र किया है कि छात्रावास के अधीक्षक सप्ताह में सिर्फ दो से तीन दिन आते हैं. उनको समस्या के बारे में कई बार अवगत कराया गया, लेकिन ध्यान ही नहीं देते हैं. बच्चों ने अधीक्षक पर नशा कर गाली-गलौज करने का भी आरोप लगाया है. बच्चों ने यह भी बताया कि स्कूल में शिक्षकों की भी कमी है. कक्षा छठवीं से बारहवीं तक शिक्षकों की संख्या मात्र 8 ही है, जिससे स्कूलों में कुछ विषयों को हम लोग पढ़ ही नहीं पा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: धमतरी में मिडिल स्कूल के बच्चों के सामने पुलिस-प्रशासन के छूटे पसीने

जिले में शिक्षकों की भारी कमी: कांकेर जिले में मिडिल स्कूलों में प्रधान अध्यापक के 608 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 62 पद रिक्त है. जिले में हायर सेकेंडरी के और हाई स्कूल की बात करें तो 242 पद स्वीकृत है. जिनके 197 पद रिक्त हैं, मात्र 45 कार्यकर्ता हैं. व्यख्याता के 2079 पद स्वीकृत है, जिनमें 200 पद अभी भी रिक्त है.

जर्जर स्कूल: बस्तर में स्कूलों की हालात किसी से छिपी नहीं है. उत्तर बस्तर में 67 स्कूल भवनें जर्जर अवस्था में है, जिसमे सबसे ज्यादा 55 प्राथमिक स्कूल है. यही नहीं 62 स्कूल भवन विहीन है.

कांकेर: कांकेर जिले में नया शिक्षा सत्र शुरू हुए 15 दिन होने जा रहा है. जिले में शिक्षकों की भारी कमी से बच्चों को परेशानी हो रही है. कांकेर में नए कलेक्टर प्रियंका शुक्ला पद भार ग्रहण करने वाली हैं. सौ किलोमीटर का सफर कर एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय के छात्र कांकेर पहुंचे. लेकिन छात्रों को अधिकारियों ने उन्हें जोर जबरदस्ती कर वापस भेज दिया.

दरअसल, कांकेर जिला मुख्यालय में आज अलग नजारा देखने को मिला, यहां अन्तागढ़ विकासखंड के लामकन्हार गांव में स्थित एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय के बच्चे अपने स्वयं के खर्चे से बस के जरिए कलेट्रेट पहुंचे. उन्होंने आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त अधिकारी से अपनी समस्या की शिकायत करने यहां आने का फैसला लिया था. फिर क्या था प्रशासन में हड़कम्प मच गया. बिना प्रिंसिपल के जानकरी के आखिर आवासीय विद्यालय के 35 बच्चे जिला मुख्यालय कैसे पहुंच गए? बच्चे जो मीडिया से बात करना चाह रहे थे, उन्हें आदिवासी विभाग के कर्मचारियों ने जबरदस्ती अन्तागढ़ जाने वाली बस में बैठा कर भेज दिया. बस में बैठे बच्चों से ETV भारत ने आधे रास्ते बस में चढ़कर बातचीत की.

कांकेर में स्कूली छात्र पहुंचे कलेक्टर कार्यालय

प्रिंसिपल की जानकरी के बगैर पहुंचे बच्चे: बच्चों का कहना था कि हम लोग बिना प्रिंसिपल को सूचना दिए अपने पैसे सेआदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त अधिकारी से मिलने आए थे. अगर प्रिंसिपल को बताते तो हमें अपनी समस्या को रखने ही नहीं दिया जाता.

जबरदस्ती बस में बैठा कर भेजा: लेकिन आज आवेदन लेने के बाद हम लोगों को उनके कुछ कर्मचारी जबरदस्ती बस में बैठा दिए. बता दें कि जिले में स्थानांतरण होकर नए कलेक्टर आने वाले हैं. अधिकारियों कि लापरवाही उन तक ना पहुंचे, इसलिए बच्चों को बस में बैठा कर अन्तागढ़ भेज दिया गया.

बिजली, पानी, दरवाजा तक छात्रावास में नहीं: बच्चों ने बताया कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय लामकंहार अंतागढ़ में रहने के लिए 37 रूम है, लेकिन एक भी कमरे रहने के लायक नहीं है. कमरों में लाइट, पंखा, लाइट बोर्ड, दरवाजा की सुविधा ही नहीं है. यहां तक कि शौचालयो में भी दरवाजा, लाइट, पानी की सुविधा नहीं है. छात्रावास में एक बोरवेल है, लेकिन लाइट जाने पर गांव से पानी लाना पड़ता है. खाने में कभी चावल जला हुआ तो आधा पका मिलता है. सब्जी भी नहीं दिया जाता है.

शिक्षकों की कमी: छात्रों ने अपने आवेदन में जिक्र किया है कि छात्रावास के अधीक्षक सप्ताह में सिर्फ दो से तीन दिन आते हैं. उनको समस्या के बारे में कई बार अवगत कराया गया, लेकिन ध्यान ही नहीं देते हैं. बच्चों ने अधीक्षक पर नशा कर गाली-गलौज करने का भी आरोप लगाया है. बच्चों ने यह भी बताया कि स्कूल में शिक्षकों की भी कमी है. कक्षा छठवीं से बारहवीं तक शिक्षकों की संख्या मात्र 8 ही है, जिससे स्कूलों में कुछ विषयों को हम लोग पढ़ ही नहीं पा रहे हैं.

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जिले में शिक्षकों की भारी कमी: कांकेर जिले में मिडिल स्कूलों में प्रधान अध्यापक के 608 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 62 पद रिक्त है. जिले में हायर सेकेंडरी के और हाई स्कूल की बात करें तो 242 पद स्वीकृत है. जिनके 197 पद रिक्त हैं, मात्र 45 कार्यकर्ता हैं. व्यख्याता के 2079 पद स्वीकृत है, जिनमें 200 पद अभी भी रिक्त है.

जर्जर स्कूल: बस्तर में स्कूलों की हालात किसी से छिपी नहीं है. उत्तर बस्तर में 67 स्कूल भवनें जर्जर अवस्था में है, जिसमे सबसे ज्यादा 55 प्राथमिक स्कूल है. यही नहीं 62 स्कूल भवन विहीन है.

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