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छत्तीसगढ़ में BSF कैंप और पुल बनाने का विरोध, 200 गांव के हजारों आदिवासियों का प्रदर्शन

दक्षिण बस्तर के बाद अब आदिवासियों ने (Tribals in Kanker district of Bastar ) उत्तर बस्तर में जंगी आंदोलन शुरू कर दिया है. छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पखांजुर क्षेत्र अंतर्गत छोटेबैठिया के बेचाघाट में हजारों आदिवासियों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन (Bastar tribals indefinite strike) शुरू कर दिया है. आदिवासी BSF कैंप और पुल बनने का विरोध (Tribals protest over proposed BSF camp) कर रहे हैं.

tribals protest over proposed BSF camp
200 गांव के हजारों आदिवासियों का प्रदर्शन
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Published : Dec 9, 2021, 4:06 PM IST

Updated : Dec 10, 2021, 1:10 PM IST

कांकेर: बेचाघाट में 200 गांवों के हजारों महिला-पुरुष पहुंचे हैं. आदिवासियों का कहना है कि (Tribals in Kanker district of Bastar ) बेचाघाट में सरकार पुल बनाने और बीएसएफ कैम्प खोलने की तैयारी कर रही है. आदिवासी इसका खुला विरोध (Tribals protest over proposed BSF camp) कर रहे हैं.

BSF कैंप और पुल बनाने का विरोध

जल जंगल जमीन की लड़ाई

आदिवासियों का कहना है कि पूर्वजों के समय से वे जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक खनिज संपदा की रक्षा करते आ रहे हैं. सरकार ये पुल हमारी सुविधा के लिए नहीं बना रही है, बल्कि इलाके के जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा को लूटने के लिए पुल का निर्माण कर रही है.

ग्रामीणों का पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, एसपी ने दी सफाई, कहा- नक्सलियों के दबाव में लगा रहे आरोप

आदिवासियों का यह भी आरोप है कि बीएसएफ कैंप खुलने से सुरक्षाबल के जवान अंदरूनी इलाके में जाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करते हैं. वे ग्रामीणों की सुरक्षा नहीं करते हैं. आदिवासी ग्रामीण जवानों से अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि अंदरूनी गांवों में बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में सरकार नाकाम रही है. अब जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा लूटने के लिए पुलिया बना रही है. हम आदिवासी इसका विरोध करते हैं.

कब तक प्रदर्शन करेंगे आदिवासी ?

आदिवासियों का यह भी कहना है कि जबतक सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटती और बीएसएफ कैम्प खुलने और पुलिया बनाने का निर्णय वापस नहीं लेती, वे तबतक अनिश्चितकालीन आंदोलन में डंटे रहेंगे.

ग्रामीणों को समझाने की कोशिश

कांकेर पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा (Kanker SP Shalabh Sinha) का कहना है कि छोटेबैठिया के कोटरी नदी में पुल निर्माण होना है. पहले गांव के ग्रामीण नाव से आवागमन करते थे. पुल निर्माण से उन्हें आवागमन में सुविधा मिलेगी. ग्रामीण पुल के बनने का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों के साथ संवाद जारी है. एसपी ने सुरक्षा बल के कैंप लगने को लेकर कहा कि अबतक कैंप लगने का किसी प्रकार का आदेश नहीं आया है.

दंतेवाड़ा में भी कैंप का विरोध

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में भी एक बार फिर ग्रामीण नये पुलिस कैंप खोले जाने के विरोध में लामबंद हो गए हैं. दंतेवाड़ा के नहाड़ी गांव में मूल आदिवासी मंच की अगुवाई में 10 पंचायत के सैकड़ों ग्रामीण पिछले 38 दिनों से नए पुलिस कैम्प स्थापना का विरोध (Villagers protest against police) कर रहे हैं. आदिवासियों का आरोप है कि पुलिस ने ग्रामीणों पर फायरिंग की (Police fire on villagers) है. 29 और 30 नवम्बर को सर्चिंग पर नहाड़ी पहुंचे जवानों ने खेत में काम कर रहे ग्रामीणों पर फायरिंग कर (Police fire on villagers) दी. ग्रामीण ने भागकर जान बचाई. आदिवासियों ने दोषी जवानों पर कार्रवाई की मांग की है.

नक्सलियों के दबाव में ग्रामीण

दंतेवाड़ा एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव (SP Dr. Abhishek Pallav) ने आदिवासियों के आरोपों को खारिज किया है. दंतेवाड़ा एसपी का कहना है कि नक्सलियों के बहकावे में आकर ग्रामीण आरोप (Villagers protest under Naxalite pressure) लगा रहे हैं.

नए पुलिस कैंप क्यों खोले जा रहे?

नक्सली गतिविधियों को खत्म करने के लिए नए पुलिस कैंप खोले जा रहे हैं. लेकिन इस कैम्प के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों के लामबंद होने की वजह से पुलिस को विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

कांकेर: बेचाघाट में 200 गांवों के हजारों महिला-पुरुष पहुंचे हैं. आदिवासियों का कहना है कि (Tribals in Kanker district of Bastar ) बेचाघाट में सरकार पुल बनाने और बीएसएफ कैम्प खोलने की तैयारी कर रही है. आदिवासी इसका खुला विरोध (Tribals protest over proposed BSF camp) कर रहे हैं.

BSF कैंप और पुल बनाने का विरोध

जल जंगल जमीन की लड़ाई

आदिवासियों का कहना है कि पूर्वजों के समय से वे जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक खनिज संपदा की रक्षा करते आ रहे हैं. सरकार ये पुल हमारी सुविधा के लिए नहीं बना रही है, बल्कि इलाके के जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा को लूटने के लिए पुल का निर्माण कर रही है.

ग्रामीणों का पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, एसपी ने दी सफाई, कहा- नक्सलियों के दबाव में लगा रहे आरोप

आदिवासियों का यह भी आरोप है कि बीएसएफ कैंप खुलने से सुरक्षाबल के जवान अंदरूनी इलाके में जाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करते हैं. वे ग्रामीणों की सुरक्षा नहीं करते हैं. आदिवासी ग्रामीण जवानों से अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि अंदरूनी गांवों में बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में सरकार नाकाम रही है. अब जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा लूटने के लिए पुलिया बना रही है. हम आदिवासी इसका विरोध करते हैं.

कब तक प्रदर्शन करेंगे आदिवासी ?

आदिवासियों का यह भी कहना है कि जबतक सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटती और बीएसएफ कैम्प खुलने और पुलिया बनाने का निर्णय वापस नहीं लेती, वे तबतक अनिश्चितकालीन आंदोलन में डंटे रहेंगे.

ग्रामीणों को समझाने की कोशिश

कांकेर पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा (Kanker SP Shalabh Sinha) का कहना है कि छोटेबैठिया के कोटरी नदी में पुल निर्माण होना है. पहले गांव के ग्रामीण नाव से आवागमन करते थे. पुल निर्माण से उन्हें आवागमन में सुविधा मिलेगी. ग्रामीण पुल के बनने का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों के साथ संवाद जारी है. एसपी ने सुरक्षा बल के कैंप लगने को लेकर कहा कि अबतक कैंप लगने का किसी प्रकार का आदेश नहीं आया है.

दंतेवाड़ा में भी कैंप का विरोध

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में भी एक बार फिर ग्रामीण नये पुलिस कैंप खोले जाने के विरोध में लामबंद हो गए हैं. दंतेवाड़ा के नहाड़ी गांव में मूल आदिवासी मंच की अगुवाई में 10 पंचायत के सैकड़ों ग्रामीण पिछले 38 दिनों से नए पुलिस कैम्प स्थापना का विरोध (Villagers protest against police) कर रहे हैं. आदिवासियों का आरोप है कि पुलिस ने ग्रामीणों पर फायरिंग की (Police fire on villagers) है. 29 और 30 नवम्बर को सर्चिंग पर नहाड़ी पहुंचे जवानों ने खेत में काम कर रहे ग्रामीणों पर फायरिंग कर (Police fire on villagers) दी. ग्रामीण ने भागकर जान बचाई. आदिवासियों ने दोषी जवानों पर कार्रवाई की मांग की है.

नक्सलियों के दबाव में ग्रामीण

दंतेवाड़ा एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव (SP Dr. Abhishek Pallav) ने आदिवासियों के आरोपों को खारिज किया है. दंतेवाड़ा एसपी का कहना है कि नक्सलियों के बहकावे में आकर ग्रामीण आरोप (Villagers protest under Naxalite pressure) लगा रहे हैं.

नए पुलिस कैंप क्यों खोले जा रहे?

नक्सली गतिविधियों को खत्म करने के लिए नए पुलिस कैंप खोले जा रहे हैं. लेकिन इस कैम्प के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों के लामबंद होने की वजह से पुलिस को विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

Last Updated : Dec 10, 2021, 1:10 PM IST
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